Tuesday, October 28, 2025
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देश घूमने से पहले सासाराम में बिहार का एकलौता अशोक शिलालेख घूम लिजिए | Ashoka Inscription Sasaram

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Ashoka Inscription Sasaram
Ashoka Inscription Sasaram

पुरातात्विक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण और सासाराम शहर को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने वाला कैमूर पहाड़ी के चंदन गिरी पर्वत पर स्थित सम्राट अशोक का लघु शिलालेख (Ashoka Inscription Sasaram ) ताले में बंद है ,और इसका अस्तित्व संकट में है ।

20 वर्षों से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) शिलालेख को कब्जे में लेने के लिए कई बार गुहार लगाती आई है, परन्तु स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार ने ध्यान नहीं दिया । फलस्वरूप, यह राष्ट्रीय धरोहर 2 दशकों से सासाराम पहाड़ी के छोटे से कमरे में कैद होकर रह गया है ।

Table of Contents

बुद्ध और सम्राट अशोक ने सासाराम में बिताया था रात 

बुद्ध और अशोक ( Just for representation**)
बुद्ध और अशोक ( Just for representation**)

सम्राट अशोक महान का सासाराम में शिलालेख है और वे अपनी धम्म यात्रा के दौरान यहीं पास में ही एक रात रुके थे, शिलालेख पर इसका प्रमाण लिखा हुआ है ।

सम्राट अशोक एक रात यहाँ इसलिए रुके थे कि यहीं गौतम बुद्ध भी संबोधि स्थल से धम्म चक्क पवत्तन स्थल तक जाने के दौरान सासाराम में एक रात रुके थे । 1875 ई. में विश्व विख्यात अंग्रेजी इतिहासकार एलेक्जेंडर कनिंघम भी अशोक का शिलालेख देखने सासाराम आए थे ।

बिहार का एकमात्र लघु शिलालेख सासाराम में

Samrat Ashok the great
Samrat Ashok the great | pc : google

256 ई. पूर्व में अखंड भारत के मात्र आठ जगहों पर मौर्यवंशी सम्राट अशोक महान ने लघु शिलालेख स्थापित करवाए थे । बिहार में सम्राट अशोक का एकमात्र लघु शिलालेख सासाराम के कैमूर पहाड़ी की चोटी पर चंदन शहीद मजार ( 1804 ई. में निर्मित ) के पास स्थापित किया गया था । यह शिलालेख सासाराम को अंतरराष्ट्रीय महत्व प्रदान करता है।

भारत में इन स्थानों पर अशोक के लघु शिलालेख

यह शिलालेख 14 शिलालेखों के मुख्य वर्ग में सम्मिलित नहीं है और इसलिए इन्हें लघु शिलालेख कहा गया है । यह निम्नलिखित स्थानों से प्राप्त हुए हैं

  • रूपनाथ (मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले  मैं स्थित)
  • गुर्जरा (मध्यप्रदेश के दतिया जिले में स्थित )
  • सासाराम (बिहार)
  • भाब्रू  (वैराट, राजस्थान के जयपुर जिले में स्थित )
  • मास्की (कर्नाटक के रायचूर जिले में स्थित )
  • ब्रहाहगिरी (कर्नाटक चितलदुर्गे जिले में स्थित )
  • सिद्धपुर (ब्रहागिरि से 1 मील पश्चिम में स्थित )
  • पालकी गुंडू (गवीमठ से 4 मील की दूरी पर कर्नाटक के रायचुर जिले में स्थित )
  • राजुल मंडगिरि(आंध्र प्रदेश के कुर्नूल जिले में स्थित )
  • अहरौरा (उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में स्थित )

क्या है अशोक के इस शिलालेख में ?

Ashoka Inscription Sasaram Rohtas
Ashoka Inscription Sasaram Rohtas

सासाराम स्थित अशोक का शिलालेख ब्राम्ही भाषा में लिखा हुआ है । इस शिलालेख की पहली पंक्ति “एलेन च अंतलेन जंबूदीपसि” है । इतिहासकार ब्राह्माी लिपि में लिखित इस पंक्ति का अर्थ इस प्रकार बताते हैं, “जम्बू द्वीप भारत में सभी धर्मों के लोग सहिष्णुता से रहें ” ।

अशोक शिलालेख सासाराम
अशोक शिलालेख सासाराम

इसके अलावे भी कई चीजें इस शिलालेख में लिखा हुआ है जो कि तत्कालीन मौर्या वंश , भारत की स्थिति, उस समय के समाज की जानकारियां ,बौद्ध धर्म ,बुद्ध और दुनिया के बारे में समझने में मददगार हो सकता है । 

अन्तर्राष्ट्रीय महत्व के शिलालेख को नष्ट करने की कोशिश

 

लोहे के दरवाजे में कैद शिलालेख को कई बार चुना पेंट से पोता गया है । अशोक का शिलालेख पत्थर का है और इस पत्थर में खुदाई करके संदेश लिखा गया था ।

अशोक शिलालेख सासाराम
अशोक शिलालेख सासाराम

इस खुदाई करके लिखी गई संदेशों को मिटाने के दुर्भावना से जानबूझकर उसके ऊपर बार बार चुना पेंट पोता गया । इससे इसका अस्तित्व संकट में है ।

पुरातत्व विभाग ने मरने दिया सम्राट अशोक के आत्मा को

Ashoka Inscription Sasaram
Ashoka Inscription Sasaram

सम्राट अशोक महान ने जिस सिद्दत और समर्पण से अखंड भारत के गिने चुने स्थानों पर अपने शिलालेख लगवाएं थें , कहा जाता है कि इन्हीं में सम्राट की पवित्र आत्मा निवास करती है ।

Ashoka Inscription Sasaram
Ashoka Inscription Sasaram

लेकिन भारतीय पुरात्त्व विभाग ने उस सम्राट के आत्मा को भी नहीं बख्शा जिसने भारत की ख्याति पूरी दुनिया में कराई । अनेकों देशों ने जिसको अपना आदर्श बनाया और श्रद्धा से उसका धर्म भी अपना लिया ।

सासाराम में अशोक शिलालेख का एक भी बोर्ड नहीं

Ashoka Inscription Sasaram
Ashoka Inscription SasaramAshoka Inscription Sasaram

अशोक शिलालेख के आस पास या सासाराम शहर में कहीं भी अशोक शिलालेख का सरकारी बोर्ड तक नहीं है, जिससे आम आदमी यह जान सके कि यह महत्वपूर्ण शिलालेख इसी शहर और राज्य में है ।

अशोक शिलालेख सासाराम
अशोक शिलालेख सासाराम

आपको बताते चलें की यहाँ पर पहले अशोक शिलालेख का बोर्ड हुआ करता था , लेकिन बाद में अशोक शिलालेख को लगातार नष्ट करने के प्रयास में अवैध कब्ज़ा जमाए अतिक्रमणकारियों ने उस बोर्ड को भी उखाड़ कर फेक दिया ।

Ashoka Inscription Sasaram
अतिक्रमणकारियों ने अशोक शिलालेख का बोर्ड उखाड़ कर फेक दिया

सासाराम की प्राचीनता दर्शाने वाले और बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए महत्वपूर्ण यह शिलालेख लोगों के आकर्षण का केंद्र है ।

अशोक शिलालेख सासाराम
अशोक शिलालेख सासाराम

सैकड़ों इतिहासकार, पुरातत्वविद् व पर्यटक शिलालेख देखने की चाहत में पहाड़ी पर पहुंचते हैं और निराश लौट जाते हैं ।

अतिक्रमणकारियों ने अशोक शिलालेख का बोर्ड व गेट उखाड़ कर फेक दिया 

अवैध अतिक्रमणकारियों ने इस आर पार दिखाई देने वाले अशोक शिलालेख के गेट को भी उखाड़ कर फेक दिया था
अवैध अतिक्रमणकारियों ने इस आर पार दिखाई देने वाले अशोक शिलालेख के गेट को भी उखाड़ कर फेक दिया था

शुरुआत में यहाँ पर अशोक शिलालेख का बोर्ड हुआ करता था लेकिन शिलालेख पर अवैध कब्ज़ा करके नष्ट करने के नियत से सबसे पहले अतिक्रमणकारियों ने अशोक शिलालेख का बोर्ड उखाड़ कर फेक दिया ।

चार फीट चौड़ी गुफा में लघु शिलालेख है

गुफा में स्थित अशोक शिलालेख सासाराम
अशोक शिलालेख सासाराम

चंदन शहीद मजार से लगभग 20 फीट नीचे पश्चिम दिशा में 10 फीट गहरी व चार फीट चौड़ी गुफा में सम्राट अशोक महान का लघु शिलालेख रखा हुआ है ।

सरकार व प्रशासन के पास अशोक शिलालेख का चाभी नहीं

Ashoka Inscription Sasaram
Ashoka Inscription Sasaram

पुरातत्व विभाग ने कई बार अशोक शिलालेख की स्थिति का जायजा भी लिया था । मरकजी मुहर्रम कमेटी को चाबी सौंपने का सरकारी पत्र भी भेजा गया पर ताला नहीं खुला । प्रशासन द्वारा अनान फानन में एएसआइ को चाबी सौंपने का निर्णय भी लिया गया था ।

Ashoka Inscription Sasaram
Ashoka Inscription Sasaram

अखबारों और मीडिया में खूब खबर चला कईयों ने सुर्खियां भी बटोरी । फिर भी मामला ठंडे बस्ते में ही रहा ।

सासाराम से पर्यटक लौट जाते हैं खाली हाथ

Ashoka Inscription Sasaram
Ashoka Inscription Sasaram

बोधगया से सारनाथ जाने वाले बौद्ध पर्यटक , विदेशी पर्यटक कई बार अशोक शिलालेख देखने के लिए सासाराम आते हैं लेकिन , अशोक शिलालेख देखे बिना वापस चले जाते हैं ।

बोध गया में सम्राट अशोक द्वारा निर्मित बुद्ध मंदिर
बोध गया में सम्राट अशोक द्वारा निर्मित बुद्ध मंदिर | pc : venkygrams

पहले बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक सासाराम में आकर खाली हाथ लौट जाया करते थें ।

तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा अशोक शिलालेख का चाभी लेने के लिए SDM और SDPO को लिखा गया पत्र , लेकिन फिर भी नहीं मिला चाभी
तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा अशोक शिलालेख का चाभी लेने के लिए SDM और SDPO को लिखा गया पत्र , लेकिन फिर भी नहीं मिला चाभी

धीरे धीरे यह बात उन्हें भी मालूम चल गई, की सासाराम स्थित अशोक शिलालेख अवैध अतिक्रमण का शिकार है । इस कारण साल दर साल विदेशी पर्यटकों की संख्या कम होती चली गई ।

बुद्धिजीवी और पर्यटक ताला खोलने का करते हैं प्रार्थना

Ashoka Inscription Sasaram
Ashoka Inscription Sasaram

शहर के बुद्धिजीवी और शिक्षित समाज विश्व पटल पर भारत का डंका बजाने वाले सम्राट अशोक महान द्वारा लगाए गए बिहार का एकलौता लघु अशोक शिलालेख का ताला खुलने और सासाराम में विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ने कि आस में सरकार और सर्वशक्तिमान से प्रार्थना करते हैं ।

बोध गया और सारनाथ के बीच सबसे बड़ा आकर्षण बन सकता है सासाराम

बोध गया और सारनाथ के बीच में सासाराम एक प्रमुख ऐतिहासिक शहर है । लॉर्ड कनिंघम ने अपने शोध में बताया है कि सम्राट अशोक खुद सासाराम में रात बिताए थें । गौतम बुद्ध संबोधि स्थल से धम्म चक्क पवत्तन स्थल तक जाने के दौरान सासाराम में एक रात रुके थे

बोध गया में सम्राट अशोक द्वारा निर्मित बुद्ध मंदिर
बोध गया में सम्राट अशोक द्वारा निर्मित बुद्ध मंदिर | pc : govt of bihar

अशोक भी यहां पर एक रात रुके थे । सासाराम एक महत्वपूर्ण शहर था ,तभी तो अफगानिस्तान , हिन्दू कुश पर्वत से लेकर म्यांमार तक फैले मौर्य साम्राज्य के अखंड भारत में अनेकों जगहों को छोड़कर सासाराम में लघु शिलालेख लगाया गया होगा ।

अगर अशोक शिलालेख का चाभी प्रशासन अपने कब्जे में ले लेता है और पर्यटकों के लिए पानी, बिजली, सीढ़ी, गार्ड जैसे आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराता है तो निश्चित ही सासाराम में बड़ी संख्या में बौद्ध और विदेशी पर्यटक आने लगेंगे ।

इससे शहर का विकास होगा , स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा । विदेशी पर्यटक आएंगे तो सासाराम एयरपोर्ट बनना भी आसान हो जाएगा , रेलवे स्टेशन तो विश्व स्तरीय होगा ही ।

ऐसे पहुंचे अशोक शिलालेख

अशोक शिलालेख सासाराम
अशोक शिलालेख सासाराम

शहर के किसी भी कोने से ई रिक्शा या ऑटो से आप एसपी जैन कॉलेज के पास स्थित चंदन शहीद पहुंच सकते हैं । चंदन शहीद मजार से लगभग 20 फीट नीचे पश्चिम दिशा में 10 फीट गहरी व चार फीट चौड़ी गुफा में सम्राट अशोक महान का लघु शिलालेख लगा हुआ है ।

वास्‍तुकला देखने के शौकीन हैं तो सासाराम का ‘सूखा रौजा’ घूम आईए | Hasan Shah Suri Tomb

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Hasan Shah Suri Tomb
हसन शाह सुरी मक़बरा | Tomb of Hasan Shah Suri | pc : gargi manish , Ashish Kaushik

वास्‍तुकला का अद्भुत संगम देखना हो तो सासाराम का ‘ हसन शाह सुरी का मक़बरा’ (hasan shah suri tomb) अर्थात ‘सूखा रौजा’ एक बेहतरीन ऑप्‍शन हो सकता है। यहां का वास्‍तुशिल्‍प और मकबरे के अंदर बनाई गई वास्‍तुकला ,वास्‍तुप्रेमियों को खूब लुभाती है । अगर आपको भी किसी ऐसी ही जगह की तलाश है तो इस वीकेंड्स का प्‍लान कर सकते हैं । साथ ही इस शानदार जगह की यादगार ट्रिप को अपनी ट्रैवल मेमोरी का हिस्‍सा बना सकते हैं ।

हसन शाह मक़बरा
हसन शाह मक़बरा | Hasan Shah Suri Tomb |तस्वीर : सैयद ख़्वाजा

हसन शाह सुरी का मकबरा (Hasan Shah Suri Tomb ) बिहार के सासाराम शहर में स्थित है । यह मकबरा इंडो अफगान वास्‍तुकला का बेजोड़ नमूना है । इसे स्थानीय लोग सूखा रौजा भी कहते हैं, मुख्य रूप से यह इसी नाम से मशहूर है ।

कौन था हसन शाह सुरी ?

हसन शाह सुरी अफगानिस्तान से आए हुए एक अफगान पश्तून ( पठान) थें । दरसल, हसन शाह के पिता इब्राहिम शाह सुरी अफगानिस्तान से भारत के पंजाब हरियाणा राज्य में आए थें और वह घोड़ा का व्यापार करते थे । इसमें इन्हे बहुत सफलता नहीं मिली , इसलिए इब्राहिम और हसन शाह सुरी दोनों सेना में शामिल हो गए और पंजाब के बजवरा में बस गए ।

शिकंदर लोधी के समय हसन शाह सुरी अपने बॉस /अधिकारी / मालिक जमाल खान के साथ जौनपुर आए । यहीं पर उन्हें सासाराम का जागीरदार बना दिया गया ।

सूखा रौज़ा सासाराम
सूखा रौज़ा सासाराम

हसन शाह सुरी की 4 बिबियां थी । पहली बीवी से जन्मा फरीद खान जो कि बड़ा बेटा था , आगे चल कर शेरशाह सूरी के नाम से मशहूर हुआ और इसने उत्तर भारत पर हुकूमत की । इसका कार्यकाल उत्तर भारत के शानदार कार्यकालों में गिना जाता है । भारत का वो बादशाह , जिसके डर से हुमायूँ 15 साल बाहर रहा हिंदुस्तान से : Click To Read

किसने बनवाया था सूखा रौजा | hasan shah suri tomb ? 

सूखा रौजा ,सासाराम
सूखा रौजा ,सासाराम | Sukha Rauza,Sasaram | तस्वीर : गार्गी मनीष

बादशाह शेरशाह सुरी ने अपने पिता हसन शाह सुरी के लिए सूखा रौजा अर्थात हसन शाह सुरी का मकबरा ( Hasan Shah Suri Tomb ) का निर्माण करवाया था । इस मकबरा का मुख्य आर्किटेक्ट वास्तुकार मीर मुहम्मद अलीवाल खान था , आपको बताते चलें कि बाद में इसी अलीवाल खान ने ही विश्व विख्यात शेरशाह सूरी मकबरा को भी डिजाइन किया था ।

शेरों के शेर शेरशाह सुरी का मकबरा घूमने से पहले यह जान लिजिए : CLICK**

इस मक़बरा के कुछ हिस्सों को हसन शाह सुरी का पोता ( यानी शेरशाह सूरी का पुत्र ) बादशाह इस्लाम शाह सुरी अर्थात सलीम शाह सुरी ने भी बनवाया था ।  इसलिए इतिहासकारों द्वारा मकबरे का निर्माण 1535 में शुरू हुआ और 1545 में पूर्ण हुआ माना गया है । 

सासाराम के इस्लाम शाह सुरी ने ग्वालियर से चलाया उत्तर भारत का सल्तनत, शेरशाह सूरी का वंश आगे बढ़ाया : Click Here 

हसन शाह सुरी मकबरा का बनावट

लाल बलुआ पत्थर का यह मकबरा एक वर्गाकार पत्थर के केंद्र में खड़ा है जिसके गुंबदनुमा कियोस्क, पत्थर के किनारों और इसके प्रत्येक कोने पर छतरियों के साथ एक चौकोर पत्थर की चौखट पर एक कृत्रिम झील है, जो चौड़ी तरफ से मुख्य भूमि से जुड़ी हुई है । यह झील बावली कहलाता है, जिसके बारे में आगे विस्तार से बताया गया है।

Sukha Rauza Sasaram
हसन शाह सुरी का मकबरा | Tomb of hasan shah | pc : ashish kaushik

मुख्य मकबरे में एक बड़ा अष्टकोणीय मकबरा कक्ष है जो चारों तरफ चौड़े बरामदे से घिरा हुआ है। आठ पक्षों में से प्रत्येक पर, बरामदा तीन धनुषाकार उद्घाटन और इसके ऊपर तीन संबंधित गुंबदों के साथ प्रदान किया जाता है। मुख्य मकबरा कक्ष बरामदे की गुंबददार छतों की तुलना में ऊंचा है ।

भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन है सूखा रौजा

Hasan Shah Suri Tomb sasaram Rohtas
Hasan Shah Suri Tomb sasaram Rohtas

हसन शाह सूरी का मकबरा पर्यटकों और स्थानीय लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय इमारत है । वर्तमान में यह मकबरा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है और यह भारत सरकार की संपत्ति है ।

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मुख्य इमारत बंद रहता है, लेकिन बाकी सब फ़्री में घूमिए

सरकारी और प्रशासनिक उदासीनता का शिकार सूखा रौजा का मुख्य इमारत जिसके अंदर कब्र हैं , प्रायः आम नागरिकों और पर्यटकों के लिए बंद रहता है ।

Hasan Shah Suri Tomb sasaram
हसन शाह मक़बरा | Hasan Shah Suri Tomb |

हालांकि , मुख्य इमारत को छोड़कर इसका कैंपस घुमा जा सकता है और बाहर से मकबरा का दीदार किया का सकता है । घूमने के लिए टिकट सिस्टम की व्यवस्था नहीं है,मतलब यहां घूमना फ्री है । मुख्य इमारत खास मौकों पर खोला जाता है ।

हसन शाह सुरी की बावली

Hasan Shah Suri Bawali
हसन शाह सुरी के अंदर बावली | तस्वीर अल्तमश अहमद

हसन शाह सुरी के चारदीवारी के अंदर एक छोटी सी बावली भी मौजूद है । हाता के अंदर से ही इसका प्रवेश द्वार है । मुख्य रूप से नमाज़ से पहले हाथ ढोने के रश्म के लिए इस बावली का उपयोग किया जाता था ।

शाही मस्जिद

हसन शाह सूरी मकबरा के अंदर शाही मस्जिद

सूखा रौजा के चारदीवारी में एक पुरानी मस्जिद भी स्थित है । यह खुला रहता है । आस पास के लोग इस मस्जिद का अभी भी उपयोग करते हैं । यह मस्जिद भी प्राचीन है ।

कब और कैसे पहुंचे हसन शाह सुरी का मक़बरा घूमने

Hasan Shah Suri Tomb sasaram Rohtas Bihar
हसन शाह सूरी के मकबरा कि ओर जाने वाला रास्ता

रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम रेल नेटवर्क से वेल कनेक्टेड है । आस पास के राज्यों से बस सेवा भी उपलब्ध रहती है । आप सासाराम पहुंच कर ई रिक्शा या ऑटो के माध्यम से सूखा रौजा पहुंच सकते हैं । सूखा रौजा घूमने का कोई खास मौसम नहीं है, आप साल के किसी भी मौसम और महीना में यहां घूमने आ सकते हैं ।

Tomb of Hasan Shah Suri sasaram
हसन शाह सुरी मक़बरा | Tomb of Hasan Shah Suri | pc : gargi manish , Ashish Kaushik

हसन शाह सुरी का मकबरा सासाराम के शेरगंज मुहल्ले में स्थित है । यह शेरशाह सूरी मकबरा ( पानी रौजा) के एकदम नजदीक है ।

प्रकृति की महफ़िल सजी है, चले आईए धुआं कुंड सासाराम | Dhuan Kund

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Dhuan Kund
Dhuan Kund

आखिर प्रकृति से प्यार कौन नहीं करता है। हर कोई अपनी छुट्टियों में पहाड़ों पर घूमने का ही प्लान बनाता है । ऐसी जहां जहां पर प्रकृति की अनोखी छटा देखने को मिले और साथ ही वॉटरफॉल का आनंद लेने को मिल जाए फिर क्याही कहना । दूर-दराज से लोग हर साल ही प्रकृति का आनंद लेने देश विदेश के अलग-अलग जगहों पर जाते हैं।

लेकिन क्या आप कभी धुआं कुंड वॉटरफॉल सासाराम गए हैं ? अगर नहीं, तो चलिए हम आपको इस जगह के बारे में कई ऐसी बातें बताते हैं जिसके बाद आप यहां जाने का प्लान जरूर बनाने की सोचेंगे । तो चलिए जानते हैं इस जगह के बारे में ।

धुआं कुंड कि प्राकृतिक छटा आंखों को सुकून देती है ।
धुआं कुंड कि प्राकृतिक छटा आंखों को सुकून देती है ।

धुआं की खासियत ये है कि इसके शीर्ष से आप प्रकृति की सुंदरता को बेहद करीब से देख सकते हैं और मंत्रमुग्ध हो सकते हैं । यहां हर साल काफी तादाद में लोग पहुंचते हैं और प्रकृति की इस अनोखी छटा को देखकर हैरान रह जाते हैं। धुआं कुंड वॉटरफॉल (Dhuan Kund Waterfall) से आपको विंध्य पर्वत श्रृंखला कि कैमूर पहाड़ियों की खूबसूरती भी देखने को मिल सकती है।

मांझर कुंड के बिना धुआं कुंड अधूरा है

 

 

Manjhar Kund Sasaram
मांझर कुंड

सासाराम स्थित कैमूर पहाड़ी का पानी चट्टानों में एक धारा बना कर टेढ़े-मेढे रास्तों से गुजरते हुए मांझर कुंड जलप्रपात में इकट्ठा होता है ।

अंग्रेजों ने इस पुलिया का निर्माण मांझर कुंड से धुआं कुंड जाने के लिए किया था
अंग्रेजों ने इस पुलिया का निर्माण मांझर कुंड से धुआं कुंड जाने के लिए किया था

यह पानी लगभग आधा किलोमीटर आगे जाकर ऊँचे पर्वत से झरना के रूप में जमीन पर गिरता है, यही धुआं कुंड ( Dhua Kund ) कहलाता है ।

130 फिट की ऊंचाई से पानी गिरकर धुआं बन जाता है

मांझर कुंड से धुआं कुंड की तरफ बहता हुआ पानी
मांझर कुंड से धुआं कुंड की तरफ बहता हुआ पानी

सासाराम के कैमूर पहाड़ी से 37.1 मीटर की उंचाई से 6.2 मील की गहरी घाटी में गिरने वाले पानी से उठने वाले धुंध या धुआं के कारण इस स्थान को धुंआ कुंड का नाम मिल गया है ।

Dhuan Kund Sasaram
Dhuan Kund Sasaram

आपको बताते चलें कि धुआं कुंड में चारो तरफ पहाड़ियों के बीच से सूर्य की किरणे गिरते हुए जलप्रपात पर जैसे ही पड़ती है , इस गिरते हुए जलप्रपात में सतरंगी छटा बिखेर देती है । यह देखने में इंद्रधनुष ही नजर आती है । ये प्राकृतिक छटा आंखों को सुकून पहुंचाती है ।

दो नदियों का जन्मस्थली है धुआं कुंड / Dhuan Kund 

Dhuan Kund Sasaram
Dhuan Kund Sasaram

धुआं कुंड के धारा से बिहार के दो नदियों का जन्म होता है । काव और कुदरा नदी इसी धुआं कुंड से जन्म लेती हैं । दोनों नदियां बिहार के विभिन्न जिलों से होते हुए अलग अलग स्थानों पर गंगा में विलीन हो जाती हैं । काव नदी के बारे में जानने के लिए मेरे ऊपर क्लिक कीजिए । कूदरा नदी के बारे में जानने के लिए मेरे ऊपर क्लिक कीजिए ।

ऋषि मुनियों की तपोस्थली है धुआं कुंड

धुआं कुंड में स्थित प्राचीन शिव मंदिर
धुआं कुंड में स्थित प्राचीन शिव मंदिर

धुआं कुंड में भगवान शिव और मां शक्ति की आराधना होती है । पूर्व काल में इस इलाके में कई ऋषि मुनि रहा करते थें । यहां पर साधु संतो की कई इमारतें और गुफाएं हैं ।

मां शक्ति की आराधना और आकर्षक व्यू सेंटर

Ma Durga Temple Dhuan Kund Sasaram
Ma durga temple at dhuan kund ,sasaram

धुआं कुंड में मां दुर्गा का एक छोटा सा लेकिन महत्वपूर्ण मंदिर है । कई लोगों कि आस्था इस मंदिर से जुड़ी हुई है । लोग कहते हैं कि सच्ची श्रृद्धा भावना से मांगी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है इस मंदिर में । इस मंदिर को सासाराम के टक्साल संगत मुहल्ले में रहने वाले माता रानी के अनन्य भक्तो ने बनवाया था ।

आपको बताते चलें कि धुआं कुंड की सुंदरता से मंत्रमुग्ध होने के लिए यह मंदिर सबसे उत्तम स्थान है । यहां से धुआं कुंड झरना का बेस्ट व्यू मिलता है । फोटो प्रेमियों के लिए इस मंदिर का कंपाउंड सबसे पसंदीदा स्पॉट है ।

बरसात में सैलानियों का पसंदीदा स्पॉट

बरसात के मौसम में सावन और रक्षाबंधन के ठीक बाद पड़ने वाले रविवार तक धुआं कुंड सैलानियों से पटा रहता है । इस दौरान बड़ी संख्या में लोग पिकनिक मानने यहां आते हैं ।

धुआं कुंड में स्थित यह गुफा ऋषि मुनियों की तपोस्थली है

कई लोग धुआं कुंड के पास दोनों तरफ की पहाड़ियों पर खाना पकाकर खाते हैं , तो कुछ लोग रेडीमेड खाना भी लेकर आते हैं । इस दौरान पिकनिक मानने वाले सैलानी पहाड़ी पर बहने वाली छोटे छोटे जल धाराओं का पानी पीते हैं , जो जड़ी बूटियों युक्त और सुपाच्य होता है ।

ऐसे पहुंचे धुआं कुंड ( Dhua Kund )

माँ ताराचण्डी धाम से मांझर कुंड और धुआं कुंड जाने का रास्ता
माँ ताराचण्डी धाम से मांझर कुंड और धुआं कुंड जाने का रास्ता

बिहार के राजधानी पटना से करीब 159 किलोमीटर और जिला मुख्यालय सासाराम से सिर्फ 7 से 8 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित धुआं कुंड फॉल तक जाने के लिए ताराचंडी मंदिर के पास से सड़क बनी हुई हैं ।

सासाराम पहाड़ी के ऊपर से मांझर कुंड जाने का रास्ता
सासाराम पहाड़ी के ऊपर से मांझर कुंड जाने का रास्ता

दो पहिया और चारपहिया वाहन यहां सुबह जाकर शाम तक लौट सकते हैं । आपको बताते चलें कि, इन रास्तों में लाईट तथा पंचर इत्यादि की व्यवस्था नहीं है और बीच में कोई मानव बस्ती भी नहीं है, इसलिए अंधेरा होने से पहले लौटना जरूरी है ।

इन बातों का रखें ध्यान

सासाराम कि गालियां” संगठन आपसे अनुरोध करती है कि किसी भी जलप्रपातों पर भ्रमण करने से पहले इन बातों का जरुर ध्यान रखें :-

  • धुआं कुंड के बेस्ट व्यू सेंटर यानी दुर्गा माता के मंदिर के पास संकीर्ण रास्ता है, इसलिए वहां पर भीड़ नहीं लगाएं ।
  • इस मंदिर कि बाउंड्री बहुत छोटी और कमजोर है , इसलिए लटकने, झूलने या इसके ऊपर चढ़ने की कोशिश गलती से भी नहीं करें यह जानलेवा साबित हो सकता है ।
Kav River Sasaram Rohtas
Kav River Sasaram Rohtas
  • धुआं कुंड में नीचे उतरने की गलती हरगिज नहीं करें ।
  • धुआं कुंड में नहाने या गहराई नापने की कोशिश नहीं करें ।
  • सेल्फी लेने के लिए जलप्रपात के खतरनाक जगहों पर बिल्कुल नहीं जाएं ।
धुऑं कुंड के पास पर्यटकों के लिए बनाया गया यात्री शेड
धुऑं कुंड के पास पर्यटकों के लिए बनाया गया यात्री शेड
  • बारिश के कारण फिसलन का डर है , इसलिए विशेष सावधानी रखें ।
  • तेज उफान वाले जगहों के अत्यधिक करीब जाने का प्रयास बिल्कुल नहीं करें, इन जगहों पर खतरों की अंदेशा हमेशा बनी रहती है । 
माँ ताराचंडी धाम से मांझर कुंड और धुआं कुंड के रास्ते में वन विभाग का चेक पोस्ट
माँ ताराचंडी धाम से मांझर कुंड और धुआं कुंड के रास्ते में वन विभाग का चेक पोस्ट
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सासाराम जंक्शन से आमदनी रुपैया लेकिन खर्च व् सुविधाएं अठन्नी

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सासाराम जंक्शन से आमदनी
सासाराम जंक्शन से आमदनी

मॉडल का दर्जा प्राप्त ए श्रेणी के सासाराम रेलवे स्टेशन की आमदनी में पिछले वित्तीय वर्ष में वृद्धि हुई है । आपको जान कर आश्चर्य होगा कि सासाराम रेलवे जंक्शन से सिर्फ यात्री किराया के रूप में रेलवे को 2020 वित्तीय वर्ष में 24.25 करोड़ की आमदनी हुई है ।

यह आमदनी वित्तीय वर्ष 2018-19 की तुलना में अधिक था । चावल व अन्य खाद्य सामग्री को दूसरे शहरों में भेजने में सासाराम रेलवे स्टेशन डीडीयू डिवीजन में अव्वल में रहा है।

तेजी से विकास करने वाला देश का पांचवां रेलवे स्टेशन बना था सासाराम

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देश में तेज गति से विकास करने वाला पांचवा स्टेशन बन गया था सासाराम जंक्शन । स्वच्छ रेल, स्वच्छ भारत सर्वे 2019 की रिपोर्ट में इस स्टेशन को तेज गति से विकास करने वाले देश के टॉप टेन की सूची में शामिल किया गया था । इंप्रुवमेंट रैंकिग में सासाराम को पांचवा स्थान प्राप्त हुआ था ।

सासाराम में आमदनी के हिसाब से सुविधाएं नहीं

सासाराम के शहर वासियों ने रेलवे को छप्पर फाड़कर राजस्व दिया है । लेकिन रेलवे उन्हें उनका हक कभी नहीं दिया । यहां के लोगों कि लंबे समय से राजधानी एक्सप्रेस के ठहराव की मांग रही है । सासाराम से बड़ी संख्या में छात्र तथा वयस्क बैंगलोर और दक्षिण भारत में पढ़ाई और रोजगार के लिए जाते हैं , लेकिन बैंगलोर तक जाने वाली एक भी ट्रेन सासाराम के लिए नहीं है।

हल्की बारिश से डूब गया रेलवे कॉलोनी
हल्की बारिश से डूब गया रेलवे कॉलोनी

रेल कर्मचारियों के आवास खंडहर का रूप धारण कर चुका है । हल्की बारिश से इनके घरों में जल जलमाव होने लगता है । आम यात्रियों को भी रेलवे परिसर में लगे पानी में डूब कर जाना पड़ता है। जलनिकासी की ठोस व्यवस्था नहीं है । कई वर्षों के बित जाने के बाद भी एक्सिलेटर / स्वचालित सीढ़ियों का कार्य पेंडिंग है ।

सासाराम स्टेशन पर एस्केलेटर लगाने में फेल रेलमंत्रालय !! शिलान्यास के 2 .3 वर्ष बाद भी नहीं हुआ ठोस काम

अधिकांस जरूरी ट्रेनें सासाराम के आस पास के स्टेशनों पर रुकती हैं , लेकिन उनसे अधिक राजस्व देने वाले ऐतिहासिक शहर और जिला मुख्यालय सासाराम में नहीं रुकती हैं । आधुनिक सुविधाओं युक्त वेटिंग हॉल, पीने का साफ पानी जैसी अति आवश्यक सुविधाओं से भी सासाराम वासियों को वंचित रखा गया है ।

सासाराम जंक्शन का पिछले 10 वर्षों का रिकॉर्ड देखिए

दस वित्तीय वर्ष की आमदनी (लगभग)

वित्तीय वर्ष यात्रियों की संख्या (लाख में) आमदनी (करोड़ में)
2009- 10 22.07 13.37
2010- 11 22.07 14.35
2011- 12 24.31 14.71
2012- 13 24.27 15.35
2013- 14 22.35 18.85
2014- 15 18.96 20.13
2015- 16 20.16 20.85
2016- 17 21.73 22.55
2017-18 22.01 23.09
2018-19 20.86 24.13
2019-20 (21 मार्च 2020 तक*) 20.28 24.25

सासाराम जंक्शन से आमदनी लगातार सुधरती गई

सासाराम
सासाराम

एक समय ऐसा था कि सासाराम स्टेशन की स्थिति राजस्व के दृष्टिकोण से काफी पीछे /नीचे हुआ करती थी । लेकिन पिछले सात वित्तीय वर्षों से राजस्व में वृद्धि होने के कारण सासाराम रेलवे स्टेशन सबसे अधिक राजस्व देने वाले कई महत्वपूर्ण स्टेशनों की श्रेणी में जगह बना चुका है । कृपया अधिक से अधिक शेयर करके लोगों को अपने हक के लिए जागरूक कीजिये ।

सासाराम के लेरूआ गांव में पूर्व मध्यकालिन मूर्तियां और खंडित मंदिर अवशेष | Lerua sasaram history

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Lerua sasaram history

सासाराम का एक पुराना और दिलचस्प इतिहास है। प्राचीनता और ऐतिहासिक विशिष्टताओं को समेटे जिले में ऐतिहासिक स्थलों की भरमार है। सासाराम शहर से मात्र 8 किलोमीटर दूर और सासाराम की नगर देवी मां ताराचण्डी के धाम से मात्र 3 किलोमीटर दूर स्थित लेरुआ गांव में पुर्व मध्यकालीन मंदिर के अवशेष इधर उधर बिखरे पड़े हुए हैं । इतिहासकार इन अवशेषों को देख कर बताते हैं कि अपने काल का यह प्रमुख और अति महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल रहा होगा ।

लंका की तरह लेरूआ मंदिर कीर्तिमुख जड़ित था

Demon Guru Sukracharya
Demon Guru Sukracharya | pc : srijyotishguru.com

सासाराम प्रखंड के लेरूआ गांव का पूर्व मध्यकालीन मंदिर कीर्तिमुख जड़ित था । पौराणिक कथाओं के अनुसार कीर्तिमुख का जीवंत निर्माण लंका के प्रवेशद्वार पर राक्षसों के गुरु शुक्राचार्य द्वारा किया गया था । वर्णन है कि शुक्राचार्य ने रुद्र कीर्तिमुख नाम का दारुपंच अस्त्र लंका के प्रवेश द्वार पर स्थापित किया गया था । इसके कारण बाहर होने वाली प्रत्येक गतिविधि इस पर चिंत्रित होकर दिखाई देती थी।

सासाराम के सेनुआर उत्खनन में मिले नवपाषाण युग के सभ्यता के प्रमाण :- Click here to read

भगवान सूर्य के पुत्र और पत्नी की मूर्तियां भी मौजूद है

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इसके अलावा यहाँ सूर्य और उनके पुत्र रेवंत, जिसकी उत्पत्ति सूर्य की बड़्वा रूपधारणी संक्षा नाम की पत्नी से हुई थी, की मूर्ति भी मौजूद है ।

इतिहासकार क्या कहते हैं ?

पूर्व शोध अन्वेषक , डॉक्टर केपी जयसवाल शोध संस्थान पटना के श्याम सुन्दर तिवारी जी कहते हैं कि लेरुआं गांव में स्थित प्राचीन मंदिर के घ्व॑सावशेषों को नष्ट होने से सहेजने कि जरूरत है। यह मंदिर कीर्तिमुख यानी “ग्लोरियस फेस” है। यह हिंदू, बौद्ध, जैन घर्म के मंदिर स्थापत्य में मुख्य द्वार पर इस्तेमाल किया जाता है। दक्षिण भारत के मंदिरों में इसका प्रतिनिधित्व ज्यादा
है।

लेरुआ गांव में पुर्व मध्यकालीन मंदिर के अवशेष इधर उधर बिखरे पड़े हुए हैं । इतिहासकार इन अवशेषों को देख कर बताते हैं कि अपने काल का यह प्रमुख और अति महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल रहा होगा
लेरुआ गांव में पुर्व मध्यकालीन मंदिर के अवशेष इधर उधर बिखरे पड़े हुए हैं । इतिहासकार इन अवशेषों को देख कर बताते हैं कि अपने काल का यह प्रमुख और अति महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल रहा होगा

इसके मुख से अग्नि का गोला निकल कर शत्रु का संहार करता था। वर्तमान में घरों, दुकानों द अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर सीसीटीवी का इस्तेमाल इसी का एक रूप है इसके मुख से आग का एक गोला निकल कर शत्रु का संहार करता था।

सांसद को Sasaram Ki Galiyan ने शहर के विकास के लिए 10 सूत्री मांगों का ज्ञापन सौंपा | 10 demands raised infront of mp

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10 demands raised infront of mp
10 demands raised infront of mp

सोमवार को सासाराम के स्थानीय सांसद श्री छेदी पासवान जी के समक्ष 10 मांगों को रखा गया । सांसद के सासाराम स्थित आवास पर उनके पुत्र श्री रवि पासवान जी के माध्यम से सभी मांगों को सांसद तक पहुंचाया गया ।

लगभग 3 घंटे की चर्चा में कई बातें सामने आई

शाम 5 बजे से रात 8 बजे तक सासाराम के सांसद छेदी पासवान के पुत्र रवि पासवान तक शहर से जुड़ी विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई । इस चर्चा से कई बातें निकल कर सामने आई , करोना के कारण विकास कार्यों के लिए फंड की कमी से लेकर क्षेत्र में हो रहे सरकारी कार्यों और योजनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त हुआ ।

हमारी प्रमुख मांगें ये थी | 10 demands raised infront of mp

सांसद को सौपा गया "सासाराम कि गलियां" का 10 सूत्री मांग
सांसद को सौपा गया “सासाराम कि गलियां” का 10 सूत्री मांग

पहला सवाल : आपके द्वारा शहर के विकास के लिए क्या किया जा रहा है ?
इस पर रवि पासवान ने पूर्व सांसद के कार्यकाल से तुलना करते हुए वर्तमान के बदलावों की ओर इशारा कर रहे थे ।

तभी हमने टोका की, ओवरऑल के बदले ऑब्जेक्टिव में बताईए कि फिलहाल क्या क्या हो रहा है ।

इस पर उन्होंने करोना के कारण फंड में कटौती की समस्या को हमारे समक्ष रखा । और अपने कार्यकाल में सासाराम में ठहराव शुरू करने वाली गरवा एक्सप्रेस सहित 8-10 ट्रेनों की सूची प्रदान किया ।

सासाराम तथा भभुआ में बीटीएस टॉवर

नवहट्टा, चेनारी,रोहतास, अधौरा जैसे सासाराम तथा भभुआ के पहाड़ी इलाकों में संचार चैनल/ नेटवर्क की समस्या कम करने के लिए सासाराम में 41 और भभुआ में 60-80 ( हम भूल रहे हैं , लिखे नहीं थें) टावरों की स्वीकृति केंद्र सरकार से हुई है ।

राजधानी एक्सप्रेस का सासाराम में ठहराव

सांसद सासाराम द्वारा 2014 में राजधानी एक्सप्रेस के लिए संसद में उठाया गया मांग का सरकारी विवरण ( अगर साफ साफ नहीं दिख रहा तो हमे व्हाट्सअप करके अनकम्प्रेस्सेड तस्वीर सकते हैं )
सांसद द्वारा 2014 में राजधानी एक्सप्रेस के लिए संसद में उठाया गया मांग का सरकारी विवरण ( अगर साफ साफ नहीं दिख रहा तो हमे व्हाट्सअप करके अनकम्प्रेस्सेड तस्वीर प्राप्त कर सकते हैं )

इन्होंने बताया कि इसके लिए संसद में सवाल उठाया का चुका है, और फिर से उठाया जाएगा । रेलवे पहले ट्रायल करेगी , अगर एस्टीमेटेड अर्निंग होगी तभी इसको कंटिन्यू करेगी । कल तक हमारे पास रेवेन्यू का डाटा नहीं था, अब आ गया है । इसके अनुसार सासाराम का रेवेन्यू बहुत अच्छा है । इसलिए पुनः हमलोग इस डाटा के साथ मांग को सांसद के समक्ष रखेंगे ।

धनबाद डेहरी ट्रेन

इन्होंने कहा कि इसी सप्ताह में रेलवे को सांसद के द्वारा पत्र लिखा गया है । हमने इस पत्र के अलावा भी प्रोसेस के विकास पर ध्यान देने का आग्रह किया , ताकि लेटर सिर्फ कागज का टुकड़ा बन कर न रह जाए । उन्होंने भी सुर में सुर मिलाया ।

बैंगलोर तक के लिए कोई एक ट्रेन

बैंगलोर और दक्षिण भारत में रहने वाले सासाराम के स्टूडेंट्स और नौकरीपेशा लोगों के सुविधा के मद्देनजर
गया, सासाराम होते हुए या रांची इत्यादि से शुरू हो कर सासाराम से होते हुए बैंगलोर तक जाने वाली किसी एक ट्रेन का मांग किया गया , उन्होंने रेल मंत्रालय से इस बारे में बात करने का आश्वासन दिया ।

अड्डा रोड के पास बुडको कम्पनी द्वारा खोदा गया गड्ढा

हमने इस गड्ढे के कारण परेशानी और दुर्घटना होने के आशंका के बारे में बताया । उन्होंने तुरंत मेरे सामने बुडको के अधिकारी को फोन लगा कर पूछा, बिडको अधिकारी ने बताया कि आगे नाला के रास्ते में समस्या है , इसलिए उसे मोड़ा जाना है, इसके कारण विभागीय पेंच भी है । बहुत जल्द ही उसे ढक दिया जाएगा ।

adda road gaddha sent to mp
adda road naked sewage image sent to mp

इस पर रवि पासवान ने हमसे उस गड्ढे के फोटो को वॉट्सएप पर मांग कर , पुनः बुडको अधिकारी को भेजा और समस्या के गंभीरता के बारे में बताया ।

शहर में एक भी पार्क नहीं है

हमने सासाराम में पार्कों के नहीं होने का गंभीर मुद्दा उठाया, और कहा कि नेहरू पार्क जो कि नगर निगम का संपत्ति है बन्द है । पिछले एक वर्ष से शेरशाह रौजा के फ्री पार्क को भी बड़े चालाकी से करोना के आड़ में पैसे कमाने के लिए बन्द कर दिया गया है । मॉर्निंग वॉक के लिए सासाराम में एक भी जगह नहीं है ।

  • पटना सहित देश भर के पार्क खुल गए हैं तो यहां का पार्क क्यूं खुला ?
  • अगर रौजा के पार्क में करोना फैलता है तो रौजा के अंदर क्यूं नहीं ? उसको तो खोल दिया गया है ?
  • जो लोग पैसे देकर रौजा जाते समय पार्क में भी चले जा रहे है , क्या उन्हें करोना इसलिए नहीं पकड़ेगा क्यूंकि उनके पास टिकट है ?

उत्तर : उन्होंने शेरशाह पार्क के लिए कल डीएम से बात करने को कहा और कहा कि यदि यह पार्क नहीं खुलता है तो रेलवे स्टेडियम में फुट पाथ बनाकर टहलने के लिए सुबह में उपयोग किया जा सकता है । उसके लिए वो फंड भी दे सकते हैं , जल्द ही हमें उनके साथ स्टेडियम का मुआयना करने के लिए निमंत्रण दिया ।

एयरपोर्ट

इसे संसद में उठाया जा चुका है । फिर उठाने का वादा किया । हमने कहा कि उद्यान मंत्री से मिलकर मांग कीजिए , आपके ही पार्टी के है ? तो उन्होंने इसका भी वादा किया । एक बार सासाराम के सोनहर में जमीन सर्वेक्षण किया गया था , लेकिन उतनी बड़ी भूमि सासाराम शहर के आस पास मिल नहीं रही । सुआरा हवाई अड्डा पहले ही प्राइवेट कंपनी को बेचा जा चुका है , वहां टेक्सटाइल पार्क खुलेगा । इसलिए वह जमीन भी उपयोग नहीं हो सकती है ।

जो पाठक इसे पढ़ रहे हैं , अगर आपके नजर में इतनी बड़ी जमीन हो तो हमें 9472390420 पर जरूर वॉट्सएप करें , हमलोग पुनः इस मांग को रखेंगे ।

शहर में जल जलमाव और गंदगी की समस्या

नगर निगम जब तक प्लानिंग के साथ शहर को नहीं बसाएगा तब तक समस्या का निदान नहीं होगा । जो नालियों के उपर घर बनाए हैं या नाली पर कब्जा किए हैं , नगर निगम को सख्ती से निपटना चाहिए । नगर निगम विभाग को भारत में इसीलिए बनाया गया है कि वो लोकल मुद्दों पर ध्यान दे । यह बिहार सरकार के शहरी विकास विभाग के अंतर्गत आता है ।

यूनिवर्सिटी , एम्स अस्पताल

इसका मांग संसद में उठाने का वादा किया है ।

सासाराम को कमिश्नरी बनाना

इस पर कोई ठोस जवाब हमें नहीं मिला ।

इंडस्ट्री इन सासाराम

इस पर उन्होंने हमसे पूछा किस चीज की इंडस्ट्री सासाराम में लगेगी, इंडस्ट्री के लिए तो राज्य सरकार का पॉलिसी महत्वपूर्ण होता है ? हमने कहा सासाराम में सब्जी उत्पादन ज्यादा होता है, टोमैटो प्रोसेसिंग इंडस्ट्री आसानी से लग सकती है । उन्होंने इसे नोट किया और इसके बारे में मालूम करने के लिए फोन पर एक अधिकारी को काम सौंपा ।

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उन्होंने यह भी कहा कि और भी कोई छोटी इंडस्ट्री , बिहार सरकार के मौजूदा पॉलिसी के रहते लग सकती है तो बताया जाए । हमने इसके लिए समय मांगा है । आपके नजर में कोई फीजिबल टाइप के उद्योग ( रॉ मटेरियल, मार्केट, जमीन, संसाधन और बिहार की स्थिति को ध्यान में रख कर) हो तो हमें जरूर बताइए ।

डीआईजी ऑफिस सासाराम लाने के लिए

पहले डीटीओ ऑफिस को डेहरी से सासाराम लाया जा चुका है , धीरे धीरे ,सही समय और जरूरत के हिसाब से अन्य चीजें में जिला मुख्यालय आएंगी क्यूंकि यहां होने से ज्यादा लोगों को एक जगह पर सुविधाएं मिल सकेंगी ।

एसपी ऑफिस को सासाराम लाने के लिए

पूर्व प्रधानमंत्री जगजीवन राम पर इन्होंने इसका ठीकरा फोड़ा । इन्होंने कहा कि जगजीवन राम जब सासाराम के सांसद थें तब नया जिला बना था । उन्होंने सासाराम के लिए कुछ नहीं किया । अगर हम मंत्री रहते तो क्या क्या कर देते ।

हमने उन्हें टोका और पूछा, उनको छोड़ीए अभी आप क्या करेंगे ? इन्होंने कहा कि इसके लिए प्रयास करेंगे लेकिन फिलहाल सासाराम में भी एसपी ऑफिस है , कभी कभी बैठते है ।

हमने कहा , कभी कभी बैठने से नहीं होगा । निश्चित दिन तय हो ।

हमने कहा कि लोग एक कागज पर साइन करवाने डीएम ऑफिस जाते हैं दूसरे कागज के लिए 20 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है । अगर एसपी ऑफिस जब तक सासाराम नहीं आ जाता तब तक कम से कम दिन तय किया जाए कि फलाने फलाने दिन सासाराम में बैठना है । जो लोग (बुजुर्ग,बीमार,गरीब जो भाड़ा नहीं दे सकते) डेहरी नहीं सकते वो उस दिन का इंतेज़ार करेंगे और उस दिन अपना काम करवा लेंगे । उन्होंने इस आईडिया पर सहमति जताया और इसके लिए बात करने का आश्वासन दिया ।

टूरिज्म के विकास के लिए

सासाराम में अतिक्रमण का शिकार अशोक शिलालेख के बारे में हमने बताया तो उन्होंने कल डीएम से बात करने को कहा और बिहार सरकार को वोट बैंक के लालच में इसे अनदेखी करने का आरोप लगाया ।

रोहतास किला के लिए पैसा जारी हो चुका है

रोहतास जिला पर रोपवे निर्माण के लिए सरकार के तरफ से पैसा जारी किया का चुका है । जल्द ही रोपवे का निर्माण कार्य चालू हो जाएगा ।

अगर सभी मांगे पूरी नहीं हुई तब क्या होगा ?

मंजिल मिले न मिले, ये तो मुकद्दर की बात है,
हम कोशिश भी न करे, ये तो गलत बात है !!

अगर आपको लगता है कि आप और भी बेहतर कर सकते थें या हमने अच्छा से नहीं किया तो आप अपने स्तर से जरूर प्रयास कीजिए । हमलोग आपका सहयोग करेंगे । आप प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री से मिल कर समाधान निकलवाने का प्रयास कीजिए । या सांसद, विधायक इत्यादि से आप दोबारा मिलकर भी समाधान निकलवाने का कोशिश कर सकते हैं । ये लोग आपके भी जनप्रतिनिधि हैं ।

अगर आपको लगता है कि ये लोग ( अधिकारी + नेता) कुछ नहीं कर सकते तो कौन कर सकता है उसके बारे में सोचिए और वहां से समाधान निकलवाने का कोशिश कीजिए । सिस्टम खराब है तो आप बदलने के लिए क्या क्या कर रहे हैं ? क्यूं नहीं कर रहे हैं ?

यह सबका शहर है, आप भी यहां के नागरिक है । आपको जरूर कोशिश करना चाहिए । कब तक हमलोग अपनी समस्यायों के लिए दूसरे के भरोसे बैठे रहेंगे ? जब तक सभी लोग अपने हिस्से का मेहनत नहीं करेंगे तब तक बहुत ठोस बदलाव आना किसी भी देश में असंभव है ।

नोट : अगर आप दूसरों में कमी निकालने वाले व्यक्ति नहीं है , अपने समर्थ अनुसार खुद भी कुछ कुछ काम करते रहते हैं, सभी प्रेक्टिकल चीजों कि जानकारी रखते हैं और हमें सुझाव देना चाहते हैं तो आपका हार्दिक स्वागत है । आप हमें इसका स्क्रीनशॉट भेज कर 9472390420 पर कभी भी वॉट्सएप से संपर्क कर सकते हैं । हमें आपसे मिलकर खुशी होगी ।

प्रकृति का मधुर संगीत सुनना है तो चले आईए मांझर कुंड | Manjhar Kund Waterfall

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Manjhar Kund Waterfall
Manjhar Kund Waterfall | Pc : Gargi Manish

सासाराम के कैमूर पहाड़ी पर स्थित मांझर कुंड अपनी मनोरम सुंदरता के लिए दूर दूर तक विख्यात है । बरसात मौसम के आगमन के साथ ही पर्यटकों की आमद भी बढ़ जाती है। मांझर कुंड सदियों से प्रकृति प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है । मांझर कुंड आकर लोग प्रकृति के मधुर ध्वनियों को करीब से सुन पाते हैं । पहाड़ियों से कल कल करते गिरते हुए पानी को निहारना अद्भुत रोमांचक एहसास देता है ।

मांझर कुंड
मांझर कुंड

विंध्याचल रेंज के कैमूर पर्वत श्रृंखला में सवा तीन किमी की परिधि में अवस्थित मांझर कुंड राज्य के रमणीक स्थानों में महत्व रखता हैं । पहाड़ियों पर काव एवं कुदरा नदी का संयुक्त पानी एक धारा बना कर टेढ़े मेढे रास्तों से गुजरते हुए मांझर कुंड के जलप्रपात में इकट्ठा होता है । उपर से बहने वाला पानी झरना के रूप में जमीन पर गिरता है । ये प्राकृतिक छटा आंखों को सुकून देती है ।

Manjhar Kund Rohtas
Manjhar Kund Rohtas

इस जलप्रपात को महसूस करने के लिए सासाराम जिले के साथ ही कैमूर, भोजपुर, औरंगाबाद और पटना के अलावे देश के अन्य राज्यों से भी पर्यटक पहुंचते है ।

मांझर कुंड का सिक्खों और हिन्दुओं के लिए धार्मिक महत्व

मांझर कुंड के पास बने इस बंकरनुमा घर से प्राकृतिक की छटा देखते ही बनती है
मांझर कुंड के पास बने इस बंकरनुमा घर से प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है

मांझर कुंड सिक्ख और हिन्दू धर्म के लिए धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है । आपको बताते चलें कि आजादी के कुछ वर्षों बाद तक हिन्दू और सिक्ख एक ही धर्म हुआ करते थें , लेकिन बाद में सिक्ख समुदाय को अलग धार्मिक स्टेटस मिल गया, इस कारण हम इन दोनों के धार्मिक महत्वों को अलग अलग बता रहे हैं ।

  • सनातन संस्कृति में महत्व
Manjhar Kund Waterfall Sasaram 2
मांझर कुंड के पास संत का आश्रम , अब यहाँ कोई नहीं रहता

अनादि काल से ही साधु संतो और ऋषि मुनियों के लिए प्रकृति और एकांत वातावरण साधना के केंद्र रहे हैं । कैमूर पहाड़ी पर सासाराम और आस पास के इलाकों में कई साधु संतो के ध्यान एवम् साधना केंद्र मौजूद हैं । कई संत मोक्ष प्राप्त कर चुके है , जबकि उनके चेले अभी भी साधना करते हैं । मांझर कुंड के पास भी कई साधु संतो के कुटिया के रूप में इमारतें मौजूद हैं ।

  • सिक्खों के लिए महत्वपूर्ण

सिक्ख इतिहास के अनुसार सिखों के एक गुरु ने रक्षाबंधन के अगले सप्ताह में अपने अनुयाइयों के साथ उक्त मनोरम स्थल पर अपनी रात बिताई थी । तभी से यहां पर सिख समुदाय के लिए तीन दिनों तक तीर्थ के रूप में परम्परा का विकास हो गया । रक्षाबंधन के बाद पड़ने वाले पहले रविवार को यहां गुरुग्रंथ साहब को ले जाने की परंपरा है ।

Manjhar Kund Sasaram
मांझर कुंड

पूर्व काल में सिख समुदाय के लोग सपरिवार तीन दिनों तक मांझर कुंड पर प्रवास करते थे । इस मौके पर बिहार के अलावा देश के अन्य राज्यों से भी सैलानी पहुंचते और पिकनिक मनाते थे । कई लोग आसपास के पहाड़ी पर अपने मन पसंद का भोजन पका कर लजीज व्यंजनों का लुत्फ उठाते थे तो कुछ लोग खाने-पीने का रेडिमेड सामान लेकर भी आते थें ।

मांझर कुंड में नहाते हुए पर्यटक
मांझर कुंड में नहाते हुए पर्यटक

कुंड के जल में औषधीय गुण होने के कारण यह जल भोजन पचाने में काफी सहायक सिद्ध होता है । धीरे-धीरे यह मौका धार्मिक बन्धनों को तोड़कर आम लोगों के लिए पिकनिक स्थल बनता चला गया । अब और बड़ी संख्या में पर्यटक जुटने लगे हैं ।

मांझर कुंड के बुरे दिन

सत्तर और अस्सी के दशक में कैमूर पहाड़ी पर दस्युओं द्वारा ठिकाना बना लेने और बाद में नक्सलियों के पैर जमने के कारण पिकनिक मनाने वालों की आवाजाही लगभग न के बराबर हो गई थी । लेकिन हाल के दसकों में स्थित में काफी बदलाव आया है ।

Manjhar Kund Waterfall Sasaram
Manjhar Kund Waterfall Sasaram

अब सासाराम अर्थात जिला रोहतास के कैमूर पहाड़ी से नक्सलियों के कमजोर होने के कारण अब हर वर्ष मांझर कुंड जलप्रपात पर्यटकों और पिकनिक मनाने वालों से गुलजार हो उठता है ।

युवाओं का सबसे पसंदीदा पिकनिक स्पॉट

 

मांझर कुंड में युवाओं का उत्साह
मांझर कुंड में युवाओं का उत्साह

मांझर कुंड जलप्रपात की प्राकृतिक छटा के पास युवाओं में पिकनिक को ले भी खासा उत्साह रहता है। रोहतास जिले के अलावा अन्य जगहों से लोग हाथ में बर्तन, गैस चूल्हा व अन्य सामान के साथ बाइक व चारपहिया वाहन से मांझर कुंड जलप्रपात के पास पिकनिक मनाने पहुंचते है ।

मांझर कुंड में पिकनिक मनाते सैलानी
मांझर कुंड में पिकनिक मनाते सैलानी

हर साल सावन पूर्णिमा के बाद पड़ने वाले पहले रविवार को 50 हजार से ज्यादा संख्या में सैलानी यहां पहुंचते है। जहां पिकनिक के रूप में मुर्गा, भात और पकवान का मजा लेते है।

मांझर कुंड का पानी पाचक है

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मैं मांझर कुंड का लुप्त उठाते हुए

मांझर कुंड के पानी की खासियत है कि ओवर डोज खाना खाने के बावजूद इस झरने का पानी पी लेने पर घंटे भर में ही पुनः भूख महसूस होने लगती है ।

ऐसे पहुंचे मांझर कुंड

माँ ताराचण्डी धाम से मांझर कुंड जाने का रास्ता
माँ ताराचण्डी धाम से मांझर कुंड जाने का रास्ता

बिहार के राजधानी पटना से करीब 158 किलोमीटर और जिला मुख्यालय सासाराम से सिर्फ 7 से 8 किलोमीटर दूर मांझर कुंड तक जाने के लिए ताराचंडी मंदिर के पास से दाई दिशा की ओर से सड़क बनी हुई हैं ।

माँ ताराचंडी धाम से मांझर कुंड के रास्ते में वन विभाग का चेक पोस्ट
मांझर कुंड सासाराम

पूर्व काल में पहाड़ी पर कुछ दूरी जाने के बाद सड़क दयनीय स्थिति में हुआ करती थी, लेकिन हाल के वर्षों में इसकी दसा ठीक हो चुकी है । दो पहिया और चारपहिया वाहन यहां सुबह जाकर शाम तक लौट सकते हैं । इन रास्तों में लाईट की व्यवस्था , पंचर इत्यादि की व्यस्था नहीं है , क्यूंकि बीच में कोई मानव बस्ती नहीं है ।

“सासाराम कि गलियां” का अनुरोध

सासाराम पहाड़ी के ऊपर से मांझर कुंड जाने का रास्ता
सासाराम पहाड़ी के ऊपर से मांझर कुंड जाने का रास्ता

“सासाराम कि गालियां” संगठन आपसे अनुरोध करती है कि किसी भी जलप्रपातों पर भ्रमण करने से पहले इन बातों का जरुर ध्यान रखें :- सेल्फी लेने के लिए जलप्रपात के खतरनाक जगहों पर बिल्कुल नहीं जाइए , बारिश के कारण फिसलन का डर है ।

पहाड़ी के ऊपर मांझर कुंड जाने का रास्ता
पहाड़ी के ऊपर मांझर कुंड जाने का रास्ता

चट्टानों पर काई होने के कारण फ्रिक्शन फोर्स नहीं लग पाता है इसलिए इन जगहों पर खाली पैर ही ट्रेकिंग करने का कोशिश करें । तेज उफान वाले जगहों के अत्यधिक करीब जाने का प्रयास बिल्कुल नहीं करें, इन जगहों पर खतरों की अंदेशा हमेशा बनी रहती है । 

सासाराम का नाम रौशन किया आइंस्टीन ने , फौरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन में जिले का एकमात्र सफल छात्र | Foreign medical graduate examination 2021

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einstein Foreign medical graduate examination sasaram rohtas 2021

नेशनल मेडिकल काउंसिल द्वारा आयोजित फौरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन में सफलता हासिल करनेवाले सासाराम निवासी आईन्स्टाईन सिंह ने कुल,परिवार एवं जिले का नाम रौशन किया है ।आपको बताते चलें कि वैसे छात्र जो विदेश में एमबीबीएस की पढ़ाई कर भारत में प्रैक्टिस करना चाहते हैं, उनके लिए यह स्क्रीनिंग की परीक्षा अनिवार्य होती है ।

जिले के एकलौते सफल छात्र है आइंस्टीन

सासाराम जिला में एक मात्र आईन्स्टाईन सिंह ने हीं फौरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन की परीक्षा को पास किया है । आईन्स्टाईन सिंह के पिता प्रोफेसर एसएन सिंह, बीएस कॉलेज हाटा चेनारी में गणित विभाग के विभागाध्यक्ष हैं ।

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उन्होंने बताया कि आइंस्टाइन ने एचएस एकेडमी से 12वीं की परीक्षा पास किया उसके बाद मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन चला गया ।

“सासाराम कि गलियां” से खास बात चित

उन्होंने बीएसएमयू, यूक्रेन से जुलाई 2020 में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की। डॉ. आईन्स्टाईन सिंह ने “सासाराम की गलियां” को बताया कि विदेश से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद मैंने एफएमजीई में भी सफलता प्राप्तकर लिया है ।

राष्ट्र सेवा का जज़्बा

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आईन्स्टाईन कहते हैं कि , जिस मिट्टी में खेल कूद कर बड़े हुए हैं अब समय आ गया है उसके लिए कुछ करने का । भारत में चिकित्सा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाना उनका उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि पैसे के अभाव में गरीब एवं असहायों का बेहतर इलाज नहीं हो पाता है । उनके लिए विशेष योजना बनाएंगे । लोगों की सेवा के प्रति मेरा हरसंभव प्रयास जारी रहेगा।

घर पर रह कर ही तैयारी किया और लहराया परचम

Einstein Foreign medical graduate examination 2021
Einstein Foreign medical graduate examination 2021

आइंस्टीन ने “सासाराम कि गलियां” को बताया कि मैंने एफएमजीआई के लिए सासाराम के  गौरक्षणी में रहकर तैयारी किया । हमने बिना किसी कोचिंग के सेल्फ स्टडी किया । एक साल तक पूर्ण डेडीकेशन के साथ घर पर किए गए बेहतर तैयारी का प्रतिफल है कि आज मैं इस मुकाम को हासिल कर सका हूं ।

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सासाराम के सेनुआर उत्खनन में मिले नवपाषाण युग के सभ्यता के प्रमाण | Neolithic Civilization found at senuar exhibition site

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senuar exhibition site
senuar exhibition site

Senuar exhibition site : सेनुआर गाँव, बिहार के रोहतास जिले के सासाराम अनुमंडल अन्तर्गत शिवसागर थाना में कैमूर पहाडी के दक्षिण क्षेत्र में स्थित है। सासाराम जिला मुख्यालय से करीब 8-9 किमी पश्चिम-दक्षिण दिशा में सेनुआर गाँव अवस्थित है । सासाराम के सेनुआर गाँव में एक अतिप्राचीन माउन्ड (टीला) है जिसे बिहार सरकार के रिकॉर्ड में भी शामिल किया गया है । इसका कुल क्षेत्रफल करीब 21 एकड़ है |

Table of Contents

कब हुआ सेनुआर का खुदाई | Senuar exhibition?

सेनुआर उत्खनन के दौरान टीला की तस्वीर : दस्तावेज़
सेनुआर उत्खनन के दौरान टीला की तस्वीर : दस्तावेज़  | Captured in Year : 1986

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के अन्तर्गत प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के तत्वावधान में सन्‌ 1986-87, 1989-90 में डा बीरेन्द्र प्रताप सिंह, विभागाध्यक्ष, प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के निदेशन में इस माउन्ड (टीला) का उत्खनन कार्य किया गया था ।

सेनुआर सभ्यता पर बाज़ार में किताब उपलब्ध है 

सेनुआर सभ्यता और खुदाई पर पब्लिकेशन स्कीम, जयपुर (राजस्थान) द्वारा अर्ली फार्मिंग कम्युनिटीज आफ दी कैमूर, एक्सकैमेसन्स एट सेनुआर 1986-87 , 1989-90 के नाम से पुस्तक भी प्रकाशित है जिसके लेखक खुद डा बीरेन्दर प्रताप सिंह हैं, जिन्होंने सेनुआर का खुदाई किया था । यह पुस्तक अमेजन पर 65,00 रूपए में उपलब्ध है । इस पुस्तक को पढ़ने से प्राचीन सेनुआरियन इतिहास, संस्कृति एवं सभ्यता का पता चलता है ।

नवपाषाण युग की प्राचीन सभ्यता है सेनुआर सभ्यता

Reference : Senuar Neolithic Civilization
Reference : Senuar Neolithic Civilization

सेनुआर के खुदाई में नवपाषाण युग के सामान मिले माउन्ड (टीला) के खुदाई में जो उपकरण तथा सामान मिले हैं, वो अतिप्राचीन नवपाषाण युग ( Neolithic Priod /Stone Age ) के प्रमाण हैं । ईपू. करीब 2200 वर्ष पहले के प्राचीन नवपाषाण काल की संस्कृति एवं मानव सभ्यता का पता चलता है।

सेनुआर संस्कृति के लोग कुशल कारीगर थें

उत्खनन कार्य के दौरान मिट्टी के पॉलिशदार बर्तन मिले थें और इन बर्तनों पर सोना-चाँदी के रंग का पालिश किया हुआ है । यह अपने आप में कुशल कारीगरी का नमूना है ।

सेनुआर सभ्यता में सेरामिक इन्डस्ट्री लहलहा रहा था

पत्थर का औज़ार बनाता आदि मानव | सेनुआर सभ्यता
पत्थर का औज़ार बनाता आदि मानव | सेनुआर सभ्यता | pc google

प्राचीन सेनुआर सभ्यता के लोगों द्वारा सेरामिक इन्डस्ट्री (मिट्टी के बर्तन) बैठाया गया था, इस उद्योग में तरह-तरह के मिट्टी के बर्तन बनाए जाते थे। इसके कारण इतिहासकारों ने सेनुआरियन संस्कृति को दक्षिण भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति से तुलना किया है ।

प्राचीन सेनुआर सभ्यता के प्रमाण हैं धातु और मेटल

आपको बताते चलें कि सेनुआर के खुदाई में धातु से बने हुए जो उपकरण एवं सामग्री मिले हैं उनका वर्णन डा पी के चट्टोपाध्याय, स्टील ऑथरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड, दुर्गापुर (५0 बंगाल) ने भी किया है । इन्होंने कहा है कि सेनुआर गाँव के प्राचीन इतिहास , संस्कृति एवं सम्यता का
पता चलता है ।

सेनुआर के खुदाई में मिले प्राचीन मूर्ति
सेनुआर के खुदाई में मिले प्राचीन मूर्ति  | Captured By Manish Kumar Maurya And Raj Kamal in year 2021

इसके साथ ही साथ डा पी के भट्टाचार्य एवं डा आर एन सिंह, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने भी मेटल (धातु) से संबंधित वस्तुओं का अपने रिपोर्टों में उल्लेख किया है।

सिन्घु घाटी की सम्यता और विंध्यायन संस्कृति से रिश्ता

इस पुस्तक (रिपोर्ट) के द्वारा सेनुआरियन संस्कृति को सिन्घु घाटी की सम्यता से तुलना किया गया है । इतिहासकारों ने बिन्ध्यान संस्कृति जो की विंध्य पर्वत श्रृंखला के गोद में फला फुला था , उससे भी सेनुआर सभ्यता का तुलना किया है ।

विंध्य पर्वत श्रृंखला का हिस्सा है कैमूर पहाड़ी

आपको बताते चलें कि विंध्य पर्वत श्रृंखला के ही एक छोटे से हिस्से को कैमूर पहाड़ी के नाम से पुकारा जाता है और सेनुआर सभ्यता इसी कैमूर पहाड़ी अर्थात विंध्य पर्वत श्रृंखला के गोद में सासाराम के पास जवान हुआ था।

सिन्धु घाटी की सभ्यता एवं हड्प्पा संस्कृति के लोग पहुंचे सासाराम

Senuar sasaram exhibition
सेनुआर के खुदाई में मिले प्राचीन हिन्दू और बौद्ध धर्म की मूर्तियां | Captured By Raj Kamal And Manish Kumar Maurya in year 2021

सिन्धु घाटी की सभ्यता एवं हड्प्पा संस्कृति के विलोप होने के बाद प्राचीन लोग देश के विभिन्‍न क्षेत्रों में पलायन करने लगे । ये लोग तत्कालीन भारत के दक्षिण तथा पूर्वी क्षेत्रों की ओर जाने लगे ।ये लोग कैमूर पहाड़ी के प्रथम गांव यानी सासाराम के सेनुआर में पहुंचे । यहीं पर इन्होंने अपना डेरा बसाया ।

सेनुआर सभ्यता में बांस और मिट्टी का घर था

सेनुआर उत्खनन में मिला मिट्टी का चूल्हा
सेनुआर उत्खनन में मिला मिट्टी का चूल्हा  

सेनुआर में हुए खुदाई से यह पता चलता है कि सेनुआर में बसने वाले प्रथम प्राचीन लोग लकडी, बाँस, एवं मिट्टी का झोपड़ी (घर) बनाकर निवास करते थे ।

कृषि

सेनुआर सभ्यता के लोग इसमें अन्न / खाना रखते थें , यह कोठिला की तरह है
सेनुआर सभ्यता के लोग इसमें अन्न / खाना रखते थें , यह कोठिला की तरह है

सेनुआर में बसने वाले लोग अच्छे और समृद्ध किसान थे । सिन्धु घाटी की सभ्यता, हड्प्पा संस्कृति तथा बेलान भैली (उत्तर प्रदेश) संस्कृति के बाद प्राचीन लोग पलायन करते हुए कैमूर पहाड़ी के प्रथम गाँव सेनुआर में पहुंचे तो ये लोग अपने साथ फसल का बीज घान, चना, मटर, खेसारी, गेहूँ,जौ इत्यादि भी लेकर आए थें ।

खेती इनके जीवन का मुख्य आधार था, खेती पर ही इनका जीवन निर्भर करता था । ये लोग सिर्फ जंगली धान की खेती सीमित क्षेत्रों में नहीं किया करते थें , बल्कि कई फसलों की खेती किया करते थें ।

पशुपालन और शिकार के शौकीन थे सेनुआर सभ्यता के लोग

Senuar Neolithic civilization Rohtas  | sasaram ki galiyan
पेंटिंग : जंगली पशु का शिकार करते आदि मानव

सेनुआर सभ्यता के लोगों द्वारा बैल, भैंस, बकरा, सुअर: इत्यादि पशुओं को पालने का भी प्रमाण मिला है । जंगली जानवरों का शिकार करना इन्हे बहुत पसंद था । खुदाई में मिले हड्डियों के अवशेष के बारे में डा विजय साठे एवं डा जी एल बदाम, डेक्कन कॉलेज पोस्ट ग्रेजुएट एवं रिसर्च संस्थान, पुणे ने अपने रिपोर्ट में विस्तार से वर्णन किया है कि ये हड्डियां किस-किस पशु वर्ग का अवशेष हैं ।

यह तस्वीर खुदाई में मिले सेनुआर सभ्यता के घर के अंदर के फर्श और दीवारों की है
यह तस्वीर खुदाई में मिले सेनुआर सभ्यता के घर के अंदर के फर्श और दीवारों की है

 

नोट : अगर इस आर्टिकल पर आपका रिस्पॉस अच्छा रहेगा तो , सेनुआर उत्खनन और सभ्यता पर इस आर्टिकल का अगला भाग भी लिखूंगा

सासाराम से जल्द चलेगी डेहरी धनबाद ट्रेन, जीत के करीब है सासाराम, बस लगे रहना है | Dehri Dhanbad Express

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Dehri Dhanbad Express

अभी 4 – 5 दिन पहले गया से चलकर धनबाद तक जाने वाली गया धनबाद एक्सप्रेस का डेहरी तक विस्तार हुआ था । 24 तारीख को इस ट्रेन का डेहरी तक पहला सफ़र था ।

“सासाराम की गलियां” ने जलाई थी चिंगारी

सासाराम कि गलियां संगठन ने शहर की जनसंख्या और जरूरतों के मद्देनजर , उसी दिन इस ट्रेन को जिला मुख्यालय सासाराम तक लाने का जोरदार मांग उठाया था (पढ़ने के लिए मेरे ऊपर क्लिक किजिए )। बड़े स्तर पर कंपेन चलाया गया । अभी सासाराम से धनबाद के लिए सुबह में मात्र एक ट्रेन अजमेर सियालदह था , उसके बाद दिन भर कोई ट्रेन नहीं था । इस कारण लोगों को परेशानी होती थी ।

जिला मुख्यालय सासाराम से रेलवे को छप्पर फाड़कर राजस्व मिलता है , इसके बावजूद रेल सेवाओं में घोर कमी और विकास कार्य कम होना ही हमारे लिए इस मुद्दे को उठाना मुख्य कारण था । 

पुलिस पब्लिक हेल्पलाइन संगठन का सराहनीय योगदान

अन्य संगठनों ने भी डेहरी धनबाद ट्रेन ( Dehri Dhanbad Express) को सासाराम तक लाने का मांग उठाने लगे । रेल मंत्रालय और रेल अधिकारियों तक जनाक्रोश और मांग पहुंचने लगी । पुलिस पब्लिक हेल्पलाइन के कुंडल जी, श्याम सुन्दर जी इत्यादि सदस्यों ने जी जान से मेहनत किया । रेल विभाग को इस मांग से अवगत कराया ।

अखबारों ने इस खबर को प्रमुखता दिया 

स्थानीय दैनिक जागरण अखबार ने भी इस ट्रेन का सासाराम तक विस्तार करने के खबर को प्रमुखता दिया ।

सासाराम धनबाद ट्रेन विस्तार के लिए रेल विभाग में हलचल तेज हुआ

डेहरी धनबाद एक्सप्रेस को सासाराम धनबाद एक्सप्रेस बनाने के लिए हाजीपुर जोन ने सहमति जाहिर किया है लेकिन इसके लिए मुगलसराय डिवीजन का भी सहमति महत्वपूर्ण है । मुगलसराय डिवीजन के अधिकारियों ने भी बताया है कि वह इस मांग को देख रहे हैं , पुराने फाइलों का स्टेटस देखा जा रहा है। जल्द ही इस योजना को मूर्त रूप दिया जाएगा । आपको बताते चलें कि 2019 में ही इस ट्रेन को शुरू होना था, मुगलसराय और हाजीपुर जोन।में सहमति भी बन गई थी । लेकिन विभागीय कारणों से अंतिम स्टेप में पहुंचकर पेंच फस गया था । अब नय सिरे से रिपोर्ट दिया जाएगा ।

मुगलसराय डिवीजन है महत्वपूर्ण

मुगलसराय डिवीजन इसलिए महत्वपूर्ण है क्युकी इसी को टाइम टेबल बनना होगा, रखने का व्यवस्था करना होगा और अन्य संसाधनों को भी उपलब्ध कराना होगा । अगर सब कुछ ठीक रहा तो , जल्द ही यह ट्रेन सासाराम से शुरू हो जाएगी ।

फ्लाईओवर पर ट्रेन दौड़ानेवाला देश का पांचवा शहर होगा सासाराम

Railway Station sasaram in 2021

फ्लाईओवर पर ट्रेन दौड़ने वाला देश का पांचवां स्टेशन होगा सासाराम ,जहां आरा की ओर से आने वाली ट्रेनो को गया की ओर भेजने व गया की और से आने वाली ट्रेनों को आरा की और भेजने के लिए निर्माणाधीन फ्लाईओवर का निर्माण कार्य पुनः शुरू होगा । रेलवे के अनुसार इससे पहले देश के चार स्टेशनों पर यह व्यवस्था है । रेलवे मैदान के अंदर इस फ्लाईओवर के कुछ पिलर अर्धनिर्मित अवस्था में कई महीनों से पड़े हुए हैं । अब फिर से काम शुरू होने की संभावना है ।

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