Saturday, April 13, 2024
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सासाराम के सेनुआर उत्खनन में मिले नवपाषाण युग के सभ्यता के प्रमाण | Neolithic Civilization found at senuar exhibition site

Senuar exhibition site : सेनुआर गाँव, बिहार के रोहतास जिले के सासाराम अनुमंडल अन्तर्गत शिवसागर थाना में कैमूर पहाडी के दक्षिण क्षेत्र में स्थित है। सासाराम जिला मुख्यालय से करीब 8-9 किमी पश्चिम-दक्षिण दिशा में सेनुआर गाँव अवस्थित है । सासाराम के सेनुआर गाँव में एक अतिप्राचीन माउन्ड (टीला) है जिसे बिहार सरकार के रिकॉर्ड में भी शामिल किया गया है । इसका कुल क्षेत्रफल करीब 21 एकड़ है |

Table of Contents

कब हुआ सेनुआर का खुदाई | Senuar exhibition?

सेनुआर उत्खनन के दौरान टीला की तस्वीर : दस्तावेज़
सेनुआर उत्खनन के दौरान टीला की तस्वीर : दस्तावेज़  | Captured in Year : 1986

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के अन्तर्गत प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के तत्वावधान में सन्‌ 1986-87, 1989-90 में डा बीरेन्द्र प्रताप सिंह, विभागाध्यक्ष, प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के निदेशन में इस माउन्ड (टीला) का उत्खनन कार्य किया गया था ।

सेनुआर सभ्यता पर बाज़ार में किताब उपलब्ध है 

सेनुआर सभ्यता और खुदाई पर पब्लिकेशन स्कीम, जयपुर (राजस्थान) द्वारा अर्ली फार्मिंग कम्युनिटीज आफ दी कैमूर, एक्सकैमेसन्स एट सेनुआर 1986-87 , 1989-90 के नाम से पुस्तक भी प्रकाशित है जिसके लेखक खुद डा बीरेन्दर प्रताप सिंह हैं, जिन्होंने सेनुआर का खुदाई किया था । यह पुस्तक अमेजन पर 65,00 रूपए में उपलब्ध है । इस पुस्तक को पढ़ने से प्राचीन सेनुआरियन इतिहास, संस्कृति एवं सभ्यता का पता चलता है ।

नवपाषाण युग की प्राचीन सभ्यता है सेनुआर सभ्यता

Reference : Senuar Neolithic Civilization
Reference : Senuar Neolithic Civilization

सेनुआर के खुदाई में नवपाषाण युग के सामान मिले माउन्ड (टीला) के खुदाई में जो उपकरण तथा सामान मिले हैं, वो अतिप्राचीन नवपाषाण युग ( Neolithic Priod /Stone Age ) के प्रमाण हैं । ईपू. करीब 2200 वर्ष पहले के प्राचीन नवपाषाण काल की संस्कृति एवं मानव सभ्यता का पता चलता है।

सेनुआर संस्कृति के लोग कुशल कारीगर थें

उत्खनन कार्य के दौरान मिट्टी के पॉलिशदार बर्तन मिले थें और इन बर्तनों पर सोना-चाँदी के रंग का पालिश किया हुआ है । यह अपने आप में कुशल कारीगरी का नमूना है ।

सेनुआर सभ्यता में सेरामिक इन्डस्ट्री लहलहा रहा था

पत्थर का औज़ार बनाता आदि मानव | सेनुआर सभ्यता
पत्थर का औज़ार बनाता आदि मानव | सेनुआर सभ्यता | pc google

प्राचीन सेनुआर सभ्यता के लोगों द्वारा सेरामिक इन्डस्ट्री (मिट्टी के बर्तन) बैठाया गया था, इस उद्योग में तरह-तरह के मिट्टी के बर्तन बनाए जाते थे। इसके कारण इतिहासकारों ने सेनुआरियन संस्कृति को दक्षिण भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति से तुलना किया है ।

प्राचीन सेनुआर सभ्यता के प्रमाण हैं धातु और मेटल

आपको बताते चलें कि सेनुआर के खुदाई में धातु से बने हुए जो उपकरण एवं सामग्री मिले हैं उनका वर्णन डा पी के चट्टोपाध्याय, स्टील ऑथरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड, दुर्गापुर (५0 बंगाल) ने भी किया है । इन्होंने कहा है कि सेनुआर गाँव के प्राचीन इतिहास , संस्कृति एवं सम्यता का
पता चलता है ।

सेनुआर के खुदाई में मिले प्राचीन मूर्ति
सेनुआर के खुदाई में मिले प्राचीन मूर्ति  | Captured By Manish Kumar Maurya And Raj Kamal in year 2021

इसके साथ ही साथ डा पी के भट्टाचार्य एवं डा आर एन सिंह, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने भी मेटल (धातु) से संबंधित वस्तुओं का अपने रिपोर्टों में उल्लेख किया है।

सिन्घु घाटी की सम्यता और विंध्यायन संस्कृति से रिश्ता

इस पुस्तक (रिपोर्ट) के द्वारा सेनुआरियन संस्कृति को सिन्घु घाटी की सम्यता से तुलना किया गया है । इतिहासकारों ने बिन्ध्यान संस्कृति जो की विंध्य पर्वत श्रृंखला के गोद में फला फुला था , उससे भी सेनुआर सभ्यता का तुलना किया है ।

विंध्य पर्वत श्रृंखला का हिस्सा है कैमूर पहाड़ी

आपको बताते चलें कि विंध्य पर्वत श्रृंखला के ही एक छोटे से हिस्से को कैमूर पहाड़ी के नाम से पुकारा जाता है और सेनुआर सभ्यता इसी कैमूर पहाड़ी अर्थात विंध्य पर्वत श्रृंखला के गोद में सासाराम के पास जवान हुआ था।

सिन्धु घाटी की सभ्यता एवं हड्प्पा संस्कृति के लोग पहुंचे सासाराम

Senuar sasaram exhibition
सेनुआर के खुदाई में मिले प्राचीन हिन्दू और बौद्ध धर्म की मूर्तियां | Captured By Raj Kamal And Manish Kumar Maurya in year 2021

सिन्धु घाटी की सभ्यता एवं हड्प्पा संस्कृति के विलोप होने के बाद प्राचीन लोग देश के विभिन्‍न क्षेत्रों में पलायन करने लगे । ये लोग तत्कालीन भारत के दक्षिण तथा पूर्वी क्षेत्रों की ओर जाने लगे ।ये लोग कैमूर पहाड़ी के प्रथम गांव यानी सासाराम के सेनुआर में पहुंचे । यहीं पर इन्होंने अपना डेरा बसाया ।

सेनुआर सभ्यता में बांस और मिट्टी का घर था

सेनुआर उत्खनन में मिला मिट्टी का चूल्हा
सेनुआर उत्खनन में मिला मिट्टी का चूल्हा  

सेनुआर में हुए खुदाई से यह पता चलता है कि सेनुआर में बसने वाले प्रथम प्राचीन लोग लकडी, बाँस, एवं मिट्टी का झोपड़ी (घर) बनाकर निवास करते थे ।

कृषि

सेनुआर सभ्यता के लोग इसमें अन्न / खाना रखते थें , यह कोठिला की तरह है
सेनुआर सभ्यता के लोग इसमें अन्न / खाना रखते थें , यह कोठिला की तरह है

सेनुआर में बसने वाले लोग अच्छे और समृद्ध किसान थे । सिन्धु घाटी की सभ्यता, हड्प्पा संस्कृति तथा बेलान भैली (उत्तर प्रदेश) संस्कृति के बाद प्राचीन लोग पलायन करते हुए कैमूर पहाड़ी के प्रथम गाँव सेनुआर में पहुंचे तो ये लोग अपने साथ फसल का बीज घान, चना, मटर, खेसारी, गेहूँ,जौ इत्यादि भी लेकर आए थें ।

खेती इनके जीवन का मुख्य आधार था, खेती पर ही इनका जीवन निर्भर करता था । ये लोग सिर्फ जंगली धान की खेती सीमित क्षेत्रों में नहीं किया करते थें , बल्कि कई फसलों की खेती किया करते थें ।

पशुपालन और शिकार के शौकीन थे सेनुआर सभ्यता के लोग

Senuar Neolithic civilization Rohtas  | sasaram ki galiyan
पेंटिंग : जंगली पशु का शिकार करते आदि मानव

सेनुआर सभ्यता के लोगों द्वारा बैल, भैंस, बकरा, सुअर: इत्यादि पशुओं को पालने का भी प्रमाण मिला है । जंगली जानवरों का शिकार करना इन्हे बहुत पसंद था । खुदाई में मिले हड्डियों के अवशेष के बारे में डा विजय साठे एवं डा जी एल बदाम, डेक्कन कॉलेज पोस्ट ग्रेजुएट एवं रिसर्च संस्थान, पुणे ने अपने रिपोर्ट में विस्तार से वर्णन किया है कि ये हड्डियां किस-किस पशु वर्ग का अवशेष हैं ।

यह तस्वीर खुदाई में मिले सेनुआर सभ्यता के घर के अंदर के फर्श और दीवारों की है
यह तस्वीर खुदाई में मिले सेनुआर सभ्यता के घर के अंदर के फर्श और दीवारों की है

 

नोट : अगर इस आर्टिकल पर आपका रिस्पॉस अच्छा रहेगा तो , सेनुआर उत्खनन और सभ्यता पर इस आर्टिकल का अगला भाग भी लिखूंगा

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