Friday, July 26, 2024
HomeSasaram3. Samay Yatraबाबू कुंवर सिंह जिसने 80 वर्ष की उम्र में उस साम्राज्य के...

बाबू कुंवर सिंह जिसने 80 वर्ष की उम्र में उस साम्राज्य के नुमाइंदों से लोहा लिया जिसका सूरज कभी अस्त नहीं होता था | Babu Kunwar Singh

बाबू कुंवर सिंह के पिता बाबू साहबजादा सिंह हिंदुस्तान के प्रसिद्ध राजा भोज के वंशज थे । बचपन में दादी ,नानी की जुबान से मालवा के राजा भोज की बहादुरी की कहानियां तो सबने सुनी ही होंगी, उसी राजा भोज के वंशज थें साहिबजादा सिंह । अंग्रेज़ों की हड़प नीति के चलते बाबू कुंवर सिंह की ज़मींदारी जाती रही । पूरे परिवार में अंग्रेज़ों के लिए वह वैमनस्य का भाव आ गया ।

मचल ग़दर जब 57 के , भड़क उठल चिंगारी !                      लाज़ बचाव एह माटी के, मईया कहे पुकारी !! 

बिहार का तत्कालीन शाहाबाद जिला जो अब सासाराम(रोहतास),भोजपुर(आरा),कैमूर, बक्सर में विभाजित हो चुका है । उसी शहाबाद की धरती ने एक बड़े ही वीर मर्द को जन्म दिया था । उस बहादुर का जन्म वर्तमान भोजपुर जिला के जगदीशपुर गांव में हुआ था। बिहार के उस तेज और प्रतापी बालक का नाम था कुंवर सिंह । लोग इन्हे जवानी में प्यार, दुलार और आदर से बाबू कुंवर सिंह (Babu Kunwar Singh) बुलाते थें, जो की आगे चल कर बाबू वीर कुंवर सिंह नाम से मशहूर हुए ।

राजा भोज का वंश और बाबू कुंवर सिंह

खैर, कहानी के इस भाग में हम लोग बालक कुंवर पर फोकस कर रहे हैं यानी सिर्फ कुंवर सिंह नाम का एक जमींदार घराने का लड़का । इस लिए हमलोग कहानी के इस भाग में सिर्फ इसी नाम का उपयोग करेंगे ,जो उम्र और प्रारंभिक जीवन को चित्रित करता हो । कुंवर सिंह का जन्म 13 नवंबर 1777 ईसवी में प्रसिद्ध शासक भोज के वंशजों में हुआ था ।

  • WhatsApp Image 2021 04 16 at 8.07.07 PM
    Advertisement**
  • Royal Crockery Sasaram
    Advertisement**
  • WhatsApp Image 2021 04 12 at 11.39.29 PM
    Advertisement**
  • WhatsApp Image 2021 03 06 at 10.10.52 PM
    Advertisement**
  • Advertisement**
    Advertisement**
  • swadeshi Restaurant add
    Advertisement**
  • daksha
    **Advertisement
  • banner

बाबू कुंवर सिंह के माता पिता 

इनके पिता बाबू साहबजादा सिंह हिंदुस्तान के प्रसिद्ध राजा भोज के वंशज थे । बचपन में दादी ,नानी की जुबान से मालवा के राजा भोज की बहादुरी की कहानियां तो सबने सुनी ही होंगी, उसी राजा भोज के वंशज थें साहिबजादा सिंह । उनके पास एक बड़ी ज़मींदारी थी । बाबू कुंवर सिंह के मां का नाम पंचरत्न कुंवर थीं ।

बाबू कुंवर सिंह का ख़ानदान बिहार का मशहूर जमींदार था 

कुंवर सिंह के छोटे भाई अमर सिंह, दयालु सिंह और राजपति सिंह एवं इसी खानदान के बाबू उदवंत सिंह, उमराव सिंह तथा गजराज सिंह बिहार के मशहूर जागीरदार/जमींदार थें । मानवीय गुणों के धनी और लोकप्रिय कुंवर सिंह को उनके बटाईदार बहुत प्यार करते थे । वह अपने गांववासियों में लोकप्रिय थे ही, साथ में अंग्रेजी हुकूमत में भी उनकी अच्छी पैठ थी । कई ब्रिटिश अधिकारी उनके मित्र रह चुके थे लेकिन इस दोस्ती के कारण वह अंग्रेजनिष्ठ नहीं बने ।

अंग्रेज़ों की हड़प नीति और बाबू कुंवर सिंह

अंग्रेज़ों की हड़प नीति के चलते बाबू कुंवर सिंह की ज़मींदारी जाती रही । पूरे परिवार में अंग्रेज़ों के लिए वह वैमनस्य का भाव आ गया ।

“सासाराम कि गलियां” बताने जा रहा है बिहार के उस महान पुरुष की कहानी जिसने 80 वर्ष की उम्र में उस साम्राज्य के नुमाइंदों से लोहा लिया जिसका सूरज कभी अस्त नहीं होता था । आपके प्यार और सपोर्ट से ,आगे की कहानी भी बताएंगे ।

Subscribe to our newsletter

To be updated with all the latest news, offers and special announcements.

Sasaram Ki Galiyan
Sasaram Ki Galiyanhttps://www.sasaramkigaliyan.com
Sasaram Ki Galiyan is a Sasaram dedicated Digital Media Portal which brings you the latest updates from across Sasaram,Bihar and India.
- Advertisment -spot_img

Most Popular

error: Content is protected !!