Saturday, December 7, 2024
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सतयुग से कलयुग तक भारतवर्ष के स्वर्णिमयुग एवं संघर्ष का नेतृत्वकर्ता रहा बिहार | Bihar the world leader

गयासुर के आतंक से लोक को त्राण दिलाने के लिए ‘गदाधर भगवान विष्णु’ गया में अवतरित हुए। वही गयाधाम आज जन-जन के लिए सम्पूर्ण विश्व में मोक्षधाम के रूप में प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। राजा हरिश्चंद्र के पुत्र रोहिताश्व का गढ़ रोहतास किला सहस्त्रबाहु की नगरी सासाराम पौराणिक धरोहर देव् (औरंगाबाद) में स्थित भारत का एकमात्र पूजित प्राचीन सूर्यमन्दिर एवं पोखरा बिहार में ही है। छठ पूजा तो दुनिया भर में बिहार की धार्मिक सांस्कृतिक पहचान है।बिहार जो कभी देश के स्वर्णिम युग का निर्माता रहा आज जातिवादी क्षेत्रवादी राजनीति के चक्रव्यूह में उलझकर इतना पीछे हो चुका है कि दुनिया के सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा एवं प्रचुर श्रमशक्ति के रहते हुए भी पिछड़ेपन के अंधकार में भटकने को विवश है।

“सासाराम कि गलियां” के YOUR STORY फैसिलिटी का उपयोग करके शहर कि एक सशक्त नागरिक और बुद्धिजीवी छात्रा प्रेरणा सुमन जी हम सभी बिहार वासियों को से अपने मन की बात साझा कर रही हैं । पढ़िए, उन्होंने क्या लिखा है ।

सतयुग से कलयुग तक भारतवर्ष स्वर्णिमयुग एवं संघर्ष का नेतृत्वकर्ता रहा बिहार आज अपने अतीत को याद कर रो रहा है। बिहार का वो स्वर्णिम अतीत आज भी जिंदा है; बिहार की हर गलियों में। आज यहाँ के लोग बिहार दिवस मना रहे हैं। बिहार के गौरवशाली अतीत से जुड़कर फिर से स्वर्णिम भविष्य के संकल्पनाओं को साकार करने के लिए क्या कुछ कर सकें यह विचार कर रहे हैं।

सत्ययुग और बिहार

अगर हम सत्ययुग की बात करें तो आसुरी शक्तियों को नियंत्रित करने के लिए पावन बक्सर की भूमि पर भगवान ‘वामन’ का अवतार हुआ। भस्मासुर को वरदान देकर जब भगवान शिव कैमूर पहाड़ के गुफा में छुपे मोहनिया में भगवान विष्णु मोहनी रूप में अवतरित होकर ‘भष्मासुर’ का वध किए। भष्मासुर से ही बचने के लिए ‘भगवती उमा’ जहाँ छुपी। वह स्थल आज भी औरंगाबाद जिले में “उमगा तीर्थ” के रूप में प्रसिद्ध है।

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गयासुर के आतंक से लोक को त्राण दिलाने के लिए ‘गदाधर भगवान विष्णु’ गया में अवतरित हुए। वही गयाधाम आज जन-जन के लिए सम्पूर्ण विश्व में मोक्षधाम के रूप में प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। अपने भक्त गज की ग्राह से रक्षा करने भगवान विष्णु जहाँ पधारे। वो स्थान हर (शिव) एवं हरि(विष्णु) का मिलन स्थल पर भी दुनिया का सबसे बड़ा मेला लगता है।

त्रेता और बिहार 

Bihar the world leader
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त्रेता में भी जब आसुरी शक्तियों का आतंक बढ़ा तब श्रीराम महर्षि विश्वामित्र के निर्देशन में तड़का एवं सुबाहु सहित अनेकों आतंकियों का वध किए। बिहार में ही मिथिला की वह पावन धरती भी है। जहाँ महान ज्ञानी एवं त्यागी ‘सम्राट जनक’ जिन्हें विदेह भी कहते हैं जिनकी पुत्री के रूप ‘माता सीता’ जन्म ली।

महर्षि बाल्मीकि की तपोभूमि

महर्षि बाल्मीकि की तपोभूमि (बाल्मीकिनगर) भी बिहार में ही है; जहाँ विश्व का प्रथम महाकाव्य लिखा गया। अगर द्वापर की बात करें तो भगवान श्रीकृष्ण को बिहार के तत्कालीन पराक्रमी किंतु आततायी सम्राट जरासन्ध से अपने परिजनों के रक्षार्थ मथुरा छोड़कर द्वारिकापूरी जाना पड़ा था और वे भी बाद में जरासन्ध का अंत करने बिहार आए थे।

कर्ण का प्रसिद्ध अंगप्रदेश

महायोद्धा कर्ण का प्रसिद्ध अंगप्रदेश भी बिहार में ही अवस्थित है जिसे हम मुंगेर के रूप में जानते हैं। कलियुग में तीर्थंकर महावीर एवं महात्मा बुद्ध के ज्ञान की भूमि भी बिहार ही रही है। जिन्होंने सम्पूर्ण विश्व को शांति एवं अहिंसा का संदेश दिया।

चाणक्य से चन्द्रगुप्त मौर्या का शौर्य का साक्षी बिहार 

Bihar the world leader
Bihar the world leader

जब भारत पर प्रथम विदेशी आक्रमणकारी सिकन्दर ने आक्रमण किया तब अर्थशास्त्र के प्रणेता एवं महान कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य विष्णुगुप्त ने चन्द्रगुप्त के नेतृत्व में उसके सेनाओं को भारत की सीमाओं पर सिर्फ बाहर खदेड़ा ही नहीं बल्कि छोटे-छोटे हिस्सों में बंटे भारतवर्ष को एकसूत्र में बांधकर भारतवर्ष के स्वर्णिम अध्याय भी लिखा।

महाप्रतापी मगध सम्राट अशोक महान 

बोध गया में सम्राट अशोक द्वारा निर्मित बुद्ध मंदिर
बोध गया में सम्राट अशोक द्वारा निर्मित बुद्ध मंदिर | pc : govt of bihar

आज भारतवर्ष का जो राज्य चिन्ह है वह अशोक स्तम्भ महाप्रतापी मगध सम्राट अशोक के कालखंड का ही है। जिसके शासन काल मे श्रीलंका से चीन तक बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ। कालांतर में कई प्रतापी सम्राट हुए जिनके शासनकाल में बिहार के धरती पर ज्ञान विज्ञान कला संस्कृति का अविस्मरणीय उत्थान हुआ।

आर्यभट से नागार्जुन तक

Rohtas Fort | AINA - E - MAHAL
Rohtas Fort | AINA – E – MAHAL | Pc : gargi manish

आर्यभट्ट जिन्होंने दशमलव प्रणाली दिया पृथ्वी का आकार बताया। वराह मिहिर जैसे गणितज्ञ एवं ज्योतिर्विद ब्रम्हगुप्त ने गुरुत्वाकर्षण का सर्वप्रथ सिद्धांत दिया। नागार्जुन जैसे रसायन वैज्ञानिक जिन्होंने पारे की खोज की।

सुश्रुत से वाणभट्ट तक 

सुश्रुत एवं जीवक जैसे चिकित्सा वैज्ञानिक हुए तो वाणभट्ट जैसे विद्वान हुए। नालन्दा औऱ विक्रमशिला जैसे विश्व प्रसिद्ध विश्वविद्यालय। बोध गया जहाँ महात्मा बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुए विश्व भर के बुद्धिस्टों का तीर्थ है। राजगीर का गर्म पानी का झरना, जहाँ भारत का पहला गणतन्त्र हुआ तो आपातकाल में भारत के गणतंत्र को बचाने के लिए लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में जनांदोलन का आगाज हुआ यह बिहार की ही भूमि है।

राजा नारायण सिंह से बाबू वीर कुँअर सिंह तक 

स्वतन्त्रता संग्राम में अंग्रेजो के छक्के छुड़ाने वाले राजा नारायण सिंह हुए तो बाबू वीर कुँअर सिंह भी यहीं से हुए। स्वतन्त्रता की बलिवेदी पर सबसे कम उम्र के शहीद खुदीराम बोस बिहार में ही शहीद हुए तो 1942 के क्रांति में सचिवालय पर तिरंगा लहराते सात शहीद बिहार के नौजवान ही थे।

बापू का बिहार

Bihar the world leader
Bihar the world leader

महात्मा गांधी को स्वतन्त्रता संग्राम में सर्वमान्य नेता के रूप में प्रतिष्ठित करने वाली चंपारण की भूमि बिहार में ही है। देश के संविधान निर्माण समिति के प्रथम अध्यक्ष सच्चिदानंद सिन्हा एवं प्रथम राष्ट्रपति भी बिहार के ही सपूत थे। राष्ट्रकवि दिनकर औऱ भारतरत्न शहनाई वादक विस्मिल्लाह खान बिहार के ही सपूत है।

रोहिताश्व वाला बिहार 

रोहतासगढ़ किला पर वनवासियों का सांस्कृतिक कार्यक्रम
रोहतासगढ़ किला पर वनवासियों का सांस्कृतिक कार्यक्रम

राजा हरिश्चंद्र के पुत्र रोहिताश्व का गढ़ रोहतास किला सहस्त्रबाहु की नगरी सासाराम पौराणिक धरोहर देव् (औरंगाबाद) में स्थित भारत का एकमात्र पूजित प्राचीन सूर्यमन्दिर एवं पोखरा बिहार में ही है। छठ पूजा तो दुनिया भर में बिहार की धार्मिक सांस्कृतिक पहचान है।

विद्यापति के मनभावन गीत भिखारी ठाकुर की लोक कला

Rohtas Fort - HATHIYA POL
Rohtas Fort – HATHIYA POL | Pc : gargi manish

महाकवि विद्यापति के मनभावन गीत। लोक कलाकार भिखारी ठाकुर की लोक कला, शारदा सिन्हा के गीत संगीत, मैथिल, भोजपुरी, मगही, जैसी लोक भाषाएं। बिहार को प्रकृति ने जहाँ सब कुछ दिया तो वहीं इसकी रत्नगर्भा धरती ने हर कालखंड में स्वर्णीय अध्याय लिखने वाले व्यक्तिव भी दिए।

बाढ़ का दुःख और उद्योगों का चाक चौंध 

यहाँ बाढ़ की विभीषका है तो सुखाड़ से लड़ने की चुनौतियां भी हैं। यहाँ की प्रतिभाओं ने देश और दुनिया में यदि परचम लहरायें हैं तो स्वास्थ शिक्षा और रोजगार के लिए पलायन भी है। कभी बिहार के डालमियानगर, बरौनी एवं उत्तर बिहार में उद्योग ,दक्षिण बिहार में सुप्रसिद्ध कालीन, रेशमी एवं कपड़ो के कुटीर उद्योग चीनी मिलें थी जो आज बंद पड़ी है। कुछ थर्मल पावर प्रोजेक्ट लगे हैं कुछ नए उद्योग लगने भी शुरू हुए हैं।

जातिवाद और क्षेत्रवाद का दंश झेलता बिहार 

Bihar the world leaderby prerna suman
Bihar the world leader by prerna suman

किंतु वह बिहार जो कभी देश के स्वर्णिम युग का निर्माता रहा आज जातिवादी क्षेत्रवादी राजनीति के चक्रव्यूह में उलझकर इतना पीछे हो चुका है कि दुनिया के सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा एवं प्रचुर श्रमशक्ति के रहते हुए भी पिछड़ेपन के अंधकार में भटकने को विवश है। स्वर्णिम अतीत के खंडहर पर ठिठका वर्तमान अनिश्चित भविष्य को निहारता जो खड़ा है। आज वही बिहार है।

( इस लेख की लेखिका प्रेरणा सुमन हैं, प्रेरणा पत्रकारिता की छात्रा हैं )

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