Monday, February 17, 2025
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रोहतास किला के गर्भ में छिपा है भगवान हरिश्चंद्र से रोहतास सरकार तक का स्वर्णिम इतिहास | Rohtas Fort

रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर विंध्य पर्वत श्रृंखला अन्तर्गत कैमूर पहाड़ी के शिखर पर स्थित है रोहतास गढ़ का किला। आपको बताते चलें कि रोहतास जिला का आदि काल में कारुष प्रदेश नाम था। जिसका वर्णन ब्रह्मांड पुराण में भी आया है। रोहतास गढ़ के नाम पर ही इस क्षेत्र का नामकरण रोहतास होता रहा है । कभी भारत के बादशाह शाहजहां भी इस रोहतास गढ़ किले में अपनी बेगम के साथ रहे हैं।

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सरंचना | Rohtas Fort Bihar

Rohtas Fort | Ashish kaushik

रोहतास गढ़ का किला आलीशान है। 28 मील तक किले का घेरा फैला हुआ है । इस किले के भीतर कुल 83 दरवाजे हैं, जिनमें मुख्य द्वार इस प्रकार हैं :- चारा घोड़ाघाट, राजघाट, कठौतिया घाट और मेढ़ा घाट प्रमुख है।

किले के प्रवेश द्वार पर निर्मित हाथी, दरवाजों के बुर्ज, दीवारों पर पेंटिंग अद्भुत है। रंगमहल, शीश महल, पंचमहल, खूंटा महल, आइना महल, रानी का झरोखा, मानसिंह की कचहरी आज भी किले में मौजूद हैं । परिसर में अनेकों इमारतें हैं जिनकी भव्यता देखते ही बनती है ।

बुकानन के दस्तावेजों में “खून टपकने की बात” सच या अंधविश्वास ?

Rohtas Fort | Pc : RamaShankar

दो हजार फीट की उंचाई पर स्थित इस किले के बारे में कहा जाता है कि कभी इस किले की दीवारों से खून टपकता था।अपने समय के विश्व भर में मशहूर अंग्रेजी इतिहासकार फ्रांसीसी बुकानन के रोहतास किले पर किए गए दावे आश्चर्य करने वाले हैं। फ्रांसीसी इतिहासकार बुकानन ने लगभग 200 साल पूर्व रोहतास क्षेत्र की यात्रा किया था, तब उन्होंने पत्थर से निकलने वाले खून की चर्चा एक दस्तावेज में की थी ।

उन्होंने अपने दस्तावेजों में कहा था कि इस किले की दीवारों से खून निकलता है। वहीं, आस-पास रहने वाले कुछ लोग भी इसे सच मानते हैं , जबकि कुछ अंधविश्वास । हमलोग अंधविश्वास ही मानते हैं , विज्ञान के युग में कहां भूत, आत्मा , स्वर्ग , नरक है ?

पौराणिक इतिहास

Raja-Harischandra-Movie

सोन नद के बहाव वाली दिशा में पहाड़ी पर स्थित इस प्राचीन किले का निर्माण त्रेता युग में अयोध्या के राजा त्रिशंकु के पौत्र व राजा सत्य हरिश्चंद्र के पुत्र रोहिताश्व ने कराया था ।

मध्यकालीन इतिहास

जनजातीय और हिन्दू इतिहास

Temple : Rohtas Fort

परंपरागत रूप से यह किला कुशवाहा (Source : Serving Empire,Serving Nation : James Tod And Rajputs Of Rajasthan https://brill.com/view/title/15251) और खरवार जनजाति के अधीन रहा

इस्लामिक इतिहास

Rohtas Fort | Pc : RamaShankar

16 वीं सदी में रोहतास गढ़ किला मुसलमानों के अधिकार में चला गया और लंबे समय तक उनके अधीन रहा ।

शेरशाह के अधीन हुआ रोहतास किला

sher-shah-suri

1539 ई मे शेरशाह और हूँमायूँ मे यूध्द ठनने लगा तो शेरशाह ने रोहतास के खरवार राजा नृपती से निवेदन किया कि मै अभी मूसीबत मे हूँ अतः मेरे जनान खाने को कूछ दिनो के लिये रोहतास किला मे ठहरने दिया जाए ।

रोहतास के खरवार राजा नृपती ने पडोसी के मदद के ख्याल से प्रार्थना स्वीकार किया और केवल औरतो को भेज देने का संवाद प्रेसित किया । कई सौ डोलिया रोहतास दूर्ग के लिये रवाना हूई और पिछली डोली मे स्वयं शेरशाह चला । आगे कि डोलिया जब रोहतास दूर्ग पर पहूची उनकी तलासी होने लगी जीनमे कूछ बूढी औरते थी ।

Rohtas Fort | Pc : Arjun Mehta

ईसी बीच अन्य डोलीयो से सस्त्र सैनिक कूदकर बाहर नीकले पहरदार का कत्ल कर के दूर्ग मे प्रवेश कर गये शेरशाह भी तूरन्त पहूचा और अपने कुशल युद्धकौशल और प्लानिंग के दम पर किले पर कब्जा कर लिया । अपने ब्राह्मण मंत्री चूड़ामणि के मदद से शेरशाह सूरी इस किले पर कब्जा जमाने में कामयाब रहें । रोहतास किला खरवारों के हाथ से निकलकर बादशाह शेरशाह सूरी के अधीन हो गया ।

बहुत सारे इतिहासकार शेरशाह के इस कदम को धोखा मानते हैं , जबकि बहुत इतिहासकार कहते है कि गीता में श्री कृष्ण ने कहा था कि ” युद्ध में सब जायज़ है ” , चाणक्य ने भी कहा था कि ” राजा को ताकतवर होना चाहिए” उसके लिए दाम, साम, दंड,भेद सब अपनाना चाहिए । शेरशाह ने यही किया ।

भूत प्रेत के अफवाहों को इसी घटना से बल मिला आपको बताते चले की , इतने बड़े कत्लेआम के कारण ही लोग इसे डरावना और भूत प्रेत के आवाज, खून इत्यादि के अंधविश्वास से जोड़ते हैं ।

शेरशाह इस किले से बहुत प्रभावित था

Rohtas Fort | Pc : RamaShankar

शेरशाह सूरी इस किले से इतना प्रभावित हुआ कि, उसने रोहतास किला का फोटो कॉपी पाकिस्तान में झेलम नदी के किनारे बनाया । वो किला बिल्कुल इसी तरह का है । नाम भी एक ही है “रोहतास किला” ।

Rohtas Fort Of pakistan | via : TripAdvisor.com

वो विश्व धरोहर में शामिल है, लाखो पर्यटक जाते हैं , जबकि ये असली वाला रोहतास किला सरकारी उदासीना का शिकार है ।

भूत प्रेत की बाते अफवाह है

AAJ TAK NEWS CHANNEL ON ROHTAS FORT

शेरशाह के बाद कई और लोगों ने भी इस किले में राज किया है , जिनके बारे में आप नीचे पढ़ेंगे । अगर भूत ,प्रेत होते तो ये लोग राज कैसे कर पाते ? अभी भी कई ग्रामीण किले के उपर कभी कभार सोते हैं । जो भी लोग रात में किले के अंदर रात को रुके हैं , वो लोग बताते हैं कि भूत , प्रेत की बाते अफवाह है । किले की चारदीवारी का निर्माण शेरशाह सुरी ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से कराया था, ताकि कोई किले पर हमला न कर सके।

राजा मान सिंह के सूबेदारी में अकबर के अधीन रोहतास किला

Raja-Man-Singh-Kushwaha

1587 ई. में सम्राट अकबर ने अपने परम प्रिय कछवाहा ( Kachwaha / Kushwaha ) राजा “राजा मान सिंह(*Click Details) को बिहार व बंगाल का संयुक्त सूबेदार बनाकर रोहतास भेजा था। राजा मान सिंह ने उसी वर्ष रोहतास गढ़ को अपना प्रांतीय राजधानी घोषित कर दिया था ।

रोहतास सरकार में अहम था रोहतास किला

Rohtas Fort | Pc : RamaShankar

प्रसिद्ध पुस्तक शाहजहांनामा के अनुसार इखलास खां को रोहतास का किलेदार सन्न 1632-33 में नियुक्त किया गया था । अकबरपुर से सटे पहाड़ी के नीचे स्थित एक शिलालेख के अनुसार किलेदार नवाब इखलास खां को मकराइन परगना तथा चांद, सीरिस, कुटुम्बा से बनारस तक फौजदारी प्राप्त थी।

वह चैनपुर, मगसर, तिलौथू, अकबरपुर, बेलौंजा, विजयगढ़ व जपला का जागीरदार था। यानी उसके क्षेत्र में पुराना शाहाबाद, गया, पलामू और बनारस क्षेत्र शामिल था। जिसका शासन वह रोहतास से करता था। 25 फरवरी 1702 को वजीर खां के पुत्र अब्दुल कादिर को रोहतास का किलेदार नियुक्त किया गया। उसी समय रोहतास का किला अवांछित तत्वों के काम आने लगा।

औरंगजेब ने अकबर के रोहतास सरकार में किया बदलाव

अकबर के समय से चली आ रही रोहतास सरकार में औरंगजेब ने कई परिवर्तन किया । औरंगजेब ने सातों परगना को पुनगर्ठित किया ।

ब्रिटिश राज | मॉडर्न इतिहास

1764 ई. में मीर कासिम को बक्सर युद्ध में अंग्रेजों से पराजय के बाद यह क्षेत्र अंग्रेजों के हाथ आ गया। 1774 ई. में अंग्रेज कप्तान थामस गोडार्ड ने रोहतास गढ़ को अपने कब्जे में लिया और उसे तहस-नहस किया ।

फिर बना रोहतास जिला

शाहाबाद गजेटियर में पुन: 1784 में रोहतास जिला स्थापित होने का उल्लेख मिलता है। जिसमें रोहतास, सासाराम व चैनपुर परगनों को मिलाकर जिला बनाया गया है ।

शाहाबाद के अंदर चला गया रोहतास

ब्रिटिश बंदोबस्त में 1787 में जिला के रूप में शाहाबाद जिला का आधिकारिक रूप से स्थापना हुआ । विलियम ऑगस्टस ब्रुक साहब शाहाबाद के पहले कलक्टर बनें । अब रोहतास जिला के रूप में नहीं रहा । रोहतास जिला शाहाबाद के अंदर चला गया और रोहतासगढ़ किले का भी रूतबा कम हुआ ।

पहला स्वतंत्रता संग्राम

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स्वतंत्रता संग्राम की पहली लड़ाई (1857) के समय कुंवर सिंह के भाई अमर सिंह ने यही से अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का संचालन किया था।

आजादी के बाद

शाहाबाद से टूट कर फिर बना जिला रोहतास

10 नवंबर 1972 में पुन: रोहतास जिला का निर्माण हुआ और इसका मुख्यालय सासाराम किया गया ।

नक्सल आंदोलन का गवाह बना Rohtas Fort

ref : naxalites

आजादी के बाद , बंगाल के नक्सलबाड़ी से जमींदारों और सामंतवादी शोषण के खिलाफ शुरू हुए नक्सल आंदोलन का गवाह रोहतास किला भी बना । लंबे समय तक यह किला उत्तरप्रदेश,झारखंड और बिहार के सीमावर्ती नक्सलियों के लिए सेफ ज़ोन बना रहा । यह क्षेत्र नक्सलियों का गढ़ बन चुका था ।

बाद में जब नक्सली अपने परंपरागत सिद्धांतो से भटक गए, सामाजिक न्याय से लूट मार के तरफ बढ़ने लगे तो यह किला नक्सलियों के क्रूरता और अपराध का भी अड्डा बना रहा । आम आदमी तो दूर, पुलिस भी यहां नहीं पहुंचती थी ।

आजादी के बाद पहली बार फहराया तिरंगा

pic : ankit

नक्सलियों के चुंगल से मुक्त करा कर तत्कालीन एसपी विकास वैभव ने 26 जनवरी ,2011 को फलीबर रोहतास किले पर तिरंगा फहराया था ( डिटेल के लिए क्लिक कीजिए )

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीन है किला

Rohtas Fort | Pc : RamaShankar

भारत सरकार द्वारा रोहतास किला को राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर , उसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीन किया गया है । लेकिन व्यवस्था,संसाधनों तथा पर्यटकों कि घोर कमी रहती है ।

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