Wednesday, October 9, 2024
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ऐसा हुआ तो सासाराम स्वर्ग बन जाएगा ! शहर का एक नागरिक आईना दिखा रहा है | citizens can develop sasaram

गन्दगी में मामले में सासाराम टॉप पर है अर्थात इससे गंदा शहर पूरे भारतवर्ष मे और कोई नहीं है । इसे सासाराम के लोग भली भांति रोज भोगते हैं और वर्षों से भोगते आ रहे हैं। नरकीय जिंदगी से प्रतिदिन दो- चार होना यहां के शाहरियों दैनिक जीवन का अंग हो गया है। अब हमारे सामने बहुत ही महत्वपूर्ण नगर निगम का चुनाव है। यह चुनाव आने वाले वर्षों मे सासाराम शहर का भविष्य का निर्धारण करेगा। हमे अपने वार्ड का पार्षद, मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव  आने वाले पांच वर्षों के लिए करना है। बीच मे हम अपना भूल सुधार नही कर सकते।

“सासाराम कि गलियां” के YOUR STORY फैसिलिटी का उपयोग करके शहर के एक सशक्त नागरिक और बुद्धिजीवी विजय विष्ट जी हम सभी शहरवासियों को आईना दिखा रहे हैं । अगर सभी लोग नहीं, केवल कुछ लोग भी इसपर अमल कर लेंगे तो यकीन मानिए सासाराम शहर को अपने माथे से “सबसे गंदा शहर”, “बेकार शहर” होने का कलंक मिटाने में 1 वर्ष का भी समय नहीं लगेगा । पढ़िए, उन्होंने क्या लिखा है ।

Tomb of Hasan Shah Suri sasaram
हसन शाह सुरी मक़बरा | Tomb of Hasan Shah Suri | pc : gargi manish , Ashish Kaushik

सासाराम शहरवासियो को नमस्कार,
मैं आपके बीच का ही आदमी हूं और एक आम मतदाता के रूप मे आपसे कुछ कहना चाहता हूं। आप अवगत हैं कि नगर निगम चुनाव आने वाले दिनों मे संभावित है। सरकार के निर्णयानुसार इस चुनाव मे वार्ड पार्षद के साथ साथ, मेयर और डिप्टी मेयर का चयन भी जनता के प्रत्यक्ष मतदान से होगा ।

निर्वाचन प्रक्रिया लोकतांत्रिक प्रणाली की बुनियाद होती है । लोकतंत्र मे बहुमत का आदर होता है। पूरे पांच वर्षों मे मात्र कुछ ही दिन मतदाताओ की होती है जब उनके दरवाजे पर उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधि अपने पक्ष मे मतदान करने के लिए दुराग्रह करते हैं। तब वे अपनापन दिखाते हैं और अपना संवेदनशीलता को भी प्रदर्शित करते हैं। अचानक स्थानीय समस्याओं से रूबरू होने मे दिलचस्पी बढ़ जाती हैं और वादा भी करते हैं कि निर्वाचित होने के बाद वे सभी समस्याओं से निजात दिला देंगे। विकास के योजनाएं प्रस्तुत करते हैं ।

गीता घाट आश्रम धरती पर स्वर्ग का अनुभव कराता है
गीता घाट आश्रम धरती पर स्वर्ग का अनुभव कराता है

बड़े बड़े पोस्टर लगाते हैं उसपर लोक लुभावने नारे भी लिखे जाते है , सुनहरे सपने दिखाए जाते  हैं और लोगों के उम्मीदों को जगाया जाता है। हम सभी मतदाताओ के पास उनसे सवाल करने का यही कुछ दिनों का वक्त होता है । बाकी के दिनों मे तो उनका आना तो दूर, वे लोगों से मिलने मे भी परहेज करते हैं। यह विडंबना है कि हमे नेतृत्व देने वालों मे से साफ सुथरा छवि वाले अत्यंत ही कम लोग ही होते हैं । ऐसे मे हमे जागरूक होना होगा और सवाल करना होगा।अब हम सभी मतदाताओं की जिम्मेवारी होती है कि हम अपने मताधिकार का प्रयोग करते हुए योग्य और इमानदार उम्मीदवार का ही चयन करें।

गीता घाट आश्रम शीर्ष से आप प्रकृति की खूबसूरती को बेहद करीब से देख सकते हैं और इसका आनंद ले सकते हैं
गीता घाट आश्रम शीर्ष से आप प्रकृति की खूबसूरती को बेहद करीब से देख सकते हैं और इसका आनंद ले सकते हैं

यह भी बिचारणीय है कि हमारे सामने हमारे लोकतंत्रिक मूल्यों को प्रभावित करने वाले अनेक कारक भी मौजुद होते है जिसमे सबसे बड़ा कारक तो जाति- धर्म के आधार पर गुटबंदी है। अन्य कारको मे कल्पनिक भय, नफरती उन्माद, भावनाओ को भड़काना, धन- बल का प्रयोग, विभिन्न तरह के लालच आदि को रखा जा सकता है। विगत पंचायत चुनाव मे हम देख चुके हैं कि किस तरह चुनाव मे पैसे को पानी की तरह बहाया गया। कितने जगहों पर शराबबंदी के बीच शराब की खेपें पकड़ी गई। लोगों को लालच देकर मत को खरीदा गया।

Rohtas Fort - HATHIYA POL
Rohtas Fort – HATHIYA POL | Pc : gargi manish

क्या यही निर्वाचन का मतलब है ? इस तरह का चुनाव भी कोई चुनाव है? क्या हमने यह जानने की कोशिश की कि यह पैसे कहां से आए और किस मकसद से इंवेस्ट हुए? ध्यान रहे कि इसी तरह से लोग जब चुनकर आते हैं तब हमें रोना पड़ता हैं क्योकि उनकी सोच चुनाव जीतने के साथ ही बदल जाती है। तब यही तथाकथित संवेदनशील व्यक्ति सामंती सोच के शिकार हो जाते हैं जिनकी सोच आम लोगों के भावनाओ, मजबूरियों और जरूरतों से मेल नहीं खाती ।

मां ताराचंडी धाम , सासाराम
मां ताराचंडी धाम , सासाराम

इसी तरह से निर्वाचित हमारे नेताओ को जन सरोकार संबंधित मुद्दों से कोई मतलब नहीं होता और वे सबसे पहले अपना वह धन पुनः ब्याज सहित प्राप्त करना चाहते हैं जो चुनाव के समय वे व्यय किए होते हैं। उन्हे अगले चुनाव को ध्यान में रखते हुए आवश्यक फंड भी बनानी होती है जिसका परिणाम भयावह होता है।संभवतः आपसभी अवगत होंगे कि हमारा ऐतिहासिक शहर सासाराम, हिंदुस्तान के सबसे गंदे शहरों की लिस्ट में टॉप पर है ।

Grit Mines Sasaram
Grit Mines Sasaram

जी हां, टॉप पर अर्थात इससे गंदा शहर पूरे भारतवर्ष मे और कोई नहीं। यह सत्य भी है। इसे सासाराम के लोग भली भांति रोज भोगते हैं और वर्षों से भोगते आ रहे हैं। नरकीय जिंदगी से प्रतिदिन दो- चार होना यहां के शाहरियों दैनिक जीवन का अंग हो गया है ।

शहर बिन बरसात पानी मे सड़ रहा है,वर्षों से मच्छरों का आतंक है, आप शहर के किसी भी गली मुहल्ले मे जाओ, आपको कूड़ा कचरा पर भिन्नाती मक्खियां मिलेगी ही मिलेगी।नगर निगम का हाल ऐसा कि विगत चार वर्षों से एक भी मुख्य नाली तक नहीं बना सकी दैनिक सफाई तो दूर की बात है। ऐसे मे लोग अपने चुने हुए प्रतिनिधियों कोश रहें हैं लेकिन लाचार हैं, कुछ कर नही सकते।

हसन शाह मक़बरा
हसन शाह मक़बरा | Hasan Shah Suri Tomb |तस्वीर : सैयद ख़्वाजा

अब हमारे सामने बहुत ही महत्वपूर्ण नगर निगम का चुनाव है। यह चुनाव आने वाले वर्षों मे सासाराम शहर का भविष्य का निर्धारण करेगा। हमे अपने वार्ड का पार्षद, मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव  आने वाले पांच वर्षों के लिए करना है।

बीच मे हम अपना भूल सुधार नही कर सकते। हमे अपने और अपने भावी पीढ़ियों को ध्यान मे रखते हुए चुनाव मे भाग लेना है। योग्य उम्मीदवार का चयन ही हमारे शहर का कायाकल्प कर सकता है। हमसभी मतदाताओ को एक जागरूक और जिम्मेवार मतदाता के रूप मे उम्मीदवार का अच्छी तरह से जांच परख करके अपना मत देना होगा। मतदाताओ मे आपसी विमर्श होनी चाहिए ।

Sukha Rauza Sasaram
हसन शाह सुरी का मकबरा | Tomb of hasan shah | pc : ashish kaushik

चर्चा का विषय उम्मीदवार का जाति समुदाय नहीं अपितु उसका व्यक्तित्व, संवेदंशीलता का स्तर, ऊर्जा स्तर, व्यवहार, योग्यता, अनुभव, सामाजिक कार्यों मे योगदान, जबबदेही, ट्रैक रिकॉर्ड आदि मानवीय गुणों के आधार पर होनी चाहिए। यदि हम योग्य लोगों को नहीं चुनेंगे तो यकीन मानीय उनका स्थान पर एक अयोग्य आदमी आसीन हो जाएगा और उस अयोग्यता का परिणाम अपने समाज, शहर  के लोगों और उनके भावी पीढ़ियों को उठाना पड़ता ही है।

मीडिया को भी अपने  दायित्वों का निर्वाहन करना होगा। अक्सर देखा गया है कि मीडिया मे उम्मीदवार के जाति और उस क्षेत्र मे मतदाताओ के जाति का प्रतिशत का आंकड़े पर चर्चा शुरू हो जाती है। मीडिया को भी ऐसे चर्चा से बचना होगा ।

शंकर कॉलेज मैदान में जगह जगह कूड़ा का अंबार
शंकर कॉलेज मैदान में जगह जगह कूड़ा का अंबार

मीडिया को भी ध्यान रखना चाहिए कि बहस और विमर्श का मुद्दा जाति आधारित ना हो अन्यथा सामाजिक सरोकार और विकास से संबंधित मुद्दे गौण हो जाएंगे। कुछ ऐसा माहौल बने कि लोग खुलकर आपस मे योग्यता पर विमर्श करे।सार्थक तर्क करे, तुलना करे और जाति- धर्म से परे जाकर योग्य उम्मीदवार का चयन करें।

सासाराम
सासाराम

इन सभी बातों का एक ही मतलब है कि आइए अपने शहर के विकास, सौंदर्य, स्वच्छता, जल जमाव  और गंदगी से मुक्ति के लिए , और सबसे बड़ी बात अपना जीवन स्तर सुधारने के लिए जाति और समुदाय से परे हो कर  अच्छा और योग्य उम्मीदवार का ही चयन  करें।

आलेख
विजय वशिष्ठ

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