Friday, July 26, 2024
HomeSasaram3. Samay Yatraताराचण्डी धाम में 12 वीं सदी के राजा प्रताप धवल का शिलालेख...

ताराचण्डी धाम में 12 वीं सदी के राजा प्रताप धवल का शिलालेख । Tarachandi Shilalekh Pratap Dhaval

ताराचंडी शिलालेख देश का पहला प्रमाणिक व लिखित दस्तावेज है जिसमें राजा के अधिकारी को उत्कोच (रिश्वत) देकर जाली ताम्रपत्र जारी करा दिया गया हो | सासाराम के सोनहर गांव के दो लोगों ने राजा के अधिकारी (मंत्री ) को रिश्वत देकर ताम्रपत्र जारी करा किरहंडी व बड़ैला गांव को अपने नाम दान करा लिया है । राजा प्रताप धवल ने ताराचंडी धाम में शिलालेख लगवाकर राजा विजयचंद्र का जाली ताम्रपत्र रद्द करते हुए अपनी प्रजा और वंशजो को कई निर्देश दिए ।

बिहार के सासाराम शहर से महज 5 किलोमीटर पूरब कैमूर पहाड़ी में शिव तांडव से भस्म हुए माता सती के चिता से उत्पन्न भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक मां ताराचंडी विराजमान हैं। मां ताराचण्डी धाम एक हजार वर्ष पूर्व भी प्रसिद्ध् धार्मिक स्थलों में से एक था । 

Table of Contents

सासाराम पर गहड़वाल वंश का शाशन

रोहतास जिला और सासाराम में उस समय  गहड़वाल वंश के शासक राजा विजय चंद्र का शासन था । यहां के महानायक पलामू – जपला के प्रताप धवल देव थे। राजा प्रताप धवल देव इस स्थल की प्रसिद्धि के लिए ही यहां पर शिलालेख लिखवा कर अपनी प्रजा को यह बताया था कि राजा विजयचंद्र द्वारा जारी किया गया ताम्रपत्र जाली है ।

Tarachandi Temple
Tarachandi Temple Navaratri

आपको बताते चलें कि, सासाराम के सोनहर गांव के दो लोगों ने राजा के अधिकारी (मंत्री ) को रिश्वत देकर ताम्रपत्र जारी करा किरहंडी व बड़ैला गांव को अपने नाम दान करा लिया है । जो कि पूरी तरह गलत है। गलत घोषणापत्र जारी कराने वाले का रत्ती भर भी उस गांव पर अधिकार नहीं है। राजा प्रताप धवल ने आदेश दिया कि जाली ताम्रपत्र रद्द किया जाता है और वह उस गांव का राजस्व प्राप्त करने या दान करने के लिए सक्षम होंगे । ।

राजा प्रताप धवल ने ताराचण्डी में लगवाया था शिलालेख

रोहतास के पुरातात्विक व सांस्कृतिक धरोहरों पर शोध कर चुके इतिहासकार डॉ. श्याम सुंदर तिवारी बताते हैं कि ताराचंडी शिलालेख देश का पहला प्रमाणिक व लिखित दस्तावेज है जिसमें राजा के अधिकारी को उत्कोच (रिश्वत) देकर जाली ताम्रपत्र जारी करा दिया गया हो ।

सन् 1169 का है ताराचंडी शिलालेख

राजा प्रताप धवल का मां ताराचंडी शिलालेख
राजा प्रताप धवल का मां ताराचंडी शिलालेख | नोट : यह बहुत बड़ा ( लम्बा ) है , तस्वीर लेने पर एक बार में एक पार्ट ही दिखाई देगा

यह शिलालेख ख्यारवाल वंश के महानायक प्रताप धवल देव द्वारा विक्रम संवत 1225 के ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष की तृतिया तिथि यानि 16 अप्रैल 1169 को लिखवाया गया था । 212 सेमी लंबे और 38 सेमी चौड़े पत्‍थर पर यह शिलालेख लिखवाया गया था ।

मां ताराचण्डी की मूर्ति के बगल में है शिलालेख

राजा प्रताप धवल का शिलालेख सासाराम शहर में स्थित है । यह शिलालेख ताराचंडी देवी प्रतिमा के ठीक उत्तर तरफ स्थित है।

क्या है ताराचण्डी शिलालेख में ?

मां ताराचंडी धाम में राजा प्रताप धवल का शिलालेख
मां ताराचंडी धाम में राजा प्रताप धवल का शिलालेख | नोट : मंदिर के इस संवेदनशील गुफा में आम आदमी का प्रवेश वर्जित है , कृपया अंदर जाने की कोशिश नहीं करें

इस शिलालेख में राजा के रिश्‍वत लेने का वर्णन किया गया है। राजा के अधिकारियों को रिश्‍वत देकर गांव को पाने की मंशा के बारे में उल्‍लेख किया गया है। राजा के अधिकारी ने एक ताम्रपत्र से राजा का जाली हस्‍ताक्षर करके ये सब काम किया था। इसकी जानकारी खुद महानायक को नहीं थी। लेकिन जैसे ही इस जाली घोषणापत्र का पता चला तो उन्‍होंने इस ताम्रपत्र को ही रद कर दिया ।

राजा प्रताप धवल देव ने इस धाम का महत्व देख कर प्रसिद्धि के लिए ही ताराचंडी धाम में शिलालेख लिखवा कर अपनी प्रजा को यह बताया था कि राजा विजयचंद्र द्वारा जारी किया गया ताम्रपत्र जाली है । राजा प्रताप धवल ने ताराचंडी धाम में शिलालेख लगवाकर अपनी प्रजा और वंशजो को कई निर्देश दिए ।

ताराचण्डी शिलालेख में जाली ताम्रपत्र को नहीं मानने का निर्देश

मां ताराचण्डी धाम में राजा प्रताप धवल का शिलालेख
मां ताराचण्डी धाम में राजा प्रताप धवल का शिलालेख

संवत 1229 में जपिलाधिपति महानायक प्रतापधवल देव अपने पुत्रों, पौत्रों आदि के साथ अपने अन्य वंशजों से कहते हैं कि कान्यकुब्ज के सौभाग्यशाली महाराज विजयचंद्र के बेईमान दासों को घूस देकर उन्हें परलोकगमन संबंधी धार्मिक अनुष्ठान के प्रयोजन की जालसाजी से कलहंडी व बरैला गांवों को छद्म नाम से मिलने का ताम्रपत्र प्राप्त किया है ।

ऐसा सुवर्णहल के आमजनों से सुना गया है कि वे विप्र व्यभिचारी हैं । जमीन का एक टुकड़ा यहां तक कि सूई की नोक के बराबर भी उनके अधिकार में नहीं है। इनकी उपज से शुल्क प्राप्त करने का अधिकार तुम्हें है ।

सन् 1166 में बना था जाली ताम्रपत्र

गहड़वाल वंश का सोनहर (सासाराम ) का ताम्रपत्र
गहड़वाल वंश का सोनहर (सासाराम ) का ताम्रपत्र

गहड़वाल वंश का जिले का पहला अभिलेख सोनहर का ताम्रपत्र है। जिसे राजा विजयचंद्र के राजमोहर से एक घोषणापत्र जारी हुआ था। यह ताम्रपत्र विक्रम संवत 1223 के भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की नवीं तिथि सोमवार यानी पांच सितंबर 1166 को जारी किया गया था । इस ताम्रपत्र में सासाराम के सोनहर गांव के दो लोगों को सासाराम के ही कुम्हउ व बड़ैला गांव दान में दिए जाने की घोषणा की गई है। जिसे महानायक प्रताप धवल देव ने जाली करार दिया। 

खेत जोतते समय मिला था ताम्रपत्र, अब पटना संग्रहालय में है

यह ताम्रपत्र सोनहर निवासी राम खेलावन कुशवाहा को खेत जोतते समय प्राप्त हुआ था, जिसे उनके पौत्र गरीबन महतो ने राष्ट्रीय संपत्ति समझकर 11 मार्च 1959 को तत्कालीन आयुक्त डॉ. श्रीधर वासुदेव को सौंप दिया। तब से यह ताम्रपत्र पटना संग्रहालय में है ।

फ्रांसिस बुकानन ने की थी इस शिलालेख की आधिकारिक खोज 

मां ताराचंडी धाम , सासाराम
मां ताराचंडी धाम , सासाराम

फ्रांसिस बुकानन बंगाल चिकित्सा सेवा के चिकित्सक थे । वे कोलकता में 1794 से 1815 ई तक रहे। इसी बीच  भारतीय पुरातात्विक व धार्मिक क्षेत्राों का सर्वेक्षण भी उन्‍होंने किया। इसी क्रम में वे रोहतास में भी सर्वेक्षण कार्य कर कई शिलालेख व ताम्रपत्रों की खोज की। 1812-13 में ताराचंडी शिलालेख की खोज भी बुकानन ने की थी।

हेनरी कालब्रुक ने अनुवाद कराया

  • WhatsApp Image 2021 04 16 at 8.07.07 PM
    Advertisement**
  • Royal Crockery Sasaram
    Advertisement**
  • WhatsApp Image 2021 04 12 at 11.39.29 PM
    Advertisement**
  • WhatsApp Image 2021 03 06 at 10.10.52 PM
    Advertisement**
  • Advertisement**
    Advertisement**
  • swadeshi Restaurant add
    Advertisement**
  • daksha
    **Advertisement
  • banner

1823 में हेनरी कालब्रुक ने इसे पढ़ा व आधा-अधूरा अनुवाद कराया, लेकिन यह पूरी तरह पढ़ा नहीं जा सका था।

श्याम सुन्दर तिवारी ने पूर्ण अनुवाद कराया

डॉ. श्याम सुंदर तिवारी बताते हैं कि वे उस शिलालेख का पूरी तरह अनुवाद कराया है। शिलालेख संस्कृत में है तथा इसकी लिपि प्रारंभिक नागरी है।

ताराचंडी धाम में शिलालेख में उपयोग में लाया गया शब्द उत्‍कोच का मतलब होता है रिश्‍वत या घूस  

शोध अन्वेषक और इतिहासकार डाॅ. श्याम सुंदर तिवारी कहते हैं कि उत्कोच संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ रिश्वत या घूस है। इसे निंदनीय माना गया है। बताते हैं कि प्राचीन ग्रंथों में वर्णन है कि भगवान महावीर के नाना राजा चेटक से राजा श्रोणिक के पुत्र अभय कुमार मिलने गए तो कोतवाल उन्हें महल के अंदर नहीं जाने दिया ।

मां ताराचंडी धाम में राजा प्रताप धवल का शिलालेख | नोट : मंदिर के इस संवेदनशील गुफा में आम आदमी का प्रवेश वर्जित है , कृपया अंदर जाने की कोशिश नहीं करें
मां ताराचंडी धाम में राजा प्रताप धवल का शिलालेख | नोट : मंदिर के इस संवेदनशील गुफा में आम आदमी का प्रवेश वर्जित है , कृपया अंदर जाने की कोशिश नहीं करें

इसके बाद कोतवाल व सिपाहियों को उत्कोच देकर उन्‍होंने महल में प्रवेश किया। आदि पुराण व कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी उत्कोच (रिश्वत ) देकर काम कराने की बात आई है। लेकिन ताराचंडी धाम पर महानायक प्रताप धवल देव का शिलालेख देश का पहला शिलालेख है जो लिखित व प्रमाणिक रूप में प्रसिद्ध देवी स्थल पर लगाया गया जिससे सभी तक अधिकारी के घूस लेकर गलत दस्तावेज बनाने की बात पहुंच सके। 

ऐसे पहुंचे ताराचंडी धाम 

सासाराम से मां ताराचंडी का धाम मात्र 5 किलोमीटर पूरब राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या दो पर स्थित है। सासाराम रोहतास जिला का मुख्यालय है तथा यह पंडित दीन दयाल -गया रेलखंड के बीच में प्रमुख रेलवे जंक्शन है तथा यहां अधिकांश मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव है ।

मां ताराचंडी धाम , सासाराम
मां ताराचंडी धाम , सासाराम

यदि आप सड़क मार्ग से आना चाह रहे हैं तो सासाराम शहर का मां ताराचण्डी धाम वाराणसी से 105 किलोमीटर पूरब, पटना से 160 किलोमीटर दक्षिण व गया से 150 किलोमीटर पश्चिम राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या दो पर स्थित है। वाराणसी, गया व पटना तक हवाई मार्ग से पहुंच वहां से सड़क या रेलमार्ग से यहां पहुंचा जा सकता है । सासाराम से ताराचंडी के लिए ऑटो, टैक्सी आदि दिनभर उपलब्ध रहता है ।

संदर्भ और साभार

तिवारी, श्याम सुंदर “बुचुन”, प्रज्ञा भारती, काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थान ,पटना ।
फ्रांसीसी बुकानन , ब्रजेश पाठक,दैनिक जागरण ,गरीबन महतो ( सोनहर,सासाराम)

Subscribe to our newsletter

To be updated with all the latest news, offers and special announcements.

Sasaram Ki Galiyan
Sasaram Ki Galiyanhttps://www.sasaramkigaliyan.com
Sasaram Ki Galiyan is a Sasaram dedicated Digital Media Portal which brings you the latest updates from across Sasaram,Bihar and India.
- Advertisment -spot_img

Most Popular

error: Content is protected !!