सासाराम का रोहित इंटरनेशनल होटल जिला प्रशासन लेगा !!
सासाराम में धधकी थी अगस्त क्रांति की ज्वाला – Sasaram Ki Galiyan
क्रांति की ज्वाला में जब देश में हर तरफ अंग्रेजों के विरुद्ध बगावत का स्वर बुलंद हो रहा था, उस समय सासाराम में भी क्रांति की ज्वाला धधक रही थी। 11 अगस्त 1942 को सासाराम के छात्र व नौजवानों का विशाल समूह जनक्रांति में बदल गया। सासाराम रेलवे स्टेशन जला दिया गया। संचार व्यवस्था भंग कर दी गई और सरकारी कार्यालयों पर तिरंगा लहरा दिया गया।
12 अगस्त को डॉ. रामसुभग ¨सह के नेतृत्व में हजारों छात्रों के आने से क्रांति हुंकार भरने लगी। टाउन हाईस्कूल सासाराम के गेट पर सूर्यमल, तारा ¨सह, जगदीश प्रसाद, निरंतर ¨सह, रामनाथ रस्तोगी व इंद्रदमन पाठक के नेतृत्व में छात्रों ने धरना देकर स्कूल बंद करा दिया।
लेकिन अंग्रेजों से सहानुभूति रखने वाले एक सिद्दिकी नामक शिक्षक ने छात्रों में फूट पैदा कर दी। इस पर नियंत्रण के लिए 13 अगस्त को दानापुर से फौजियों का दल आ धमका। एसडीएम मार्टिन ने भीड़ पर लाठी चार्ज करा दिया। बचरी निवासी जगदीश प्रसाद नामक छात्र को सीधे गोली मार दी। जिससे भीड़ हिंसक हो गई। धर्मशाला चौक पर गोरी फौज व विद्रोहियों में भयंकर मुठभेड़ हो गई। यहां हुई फायरिंग में आजादी के तीन दीवाने सासाराम के महंगू राम, जगन्नाथ राम चौरसिया व कउपा के जयराम सिंह गोली खाकर शहीद हो गए। इसके अलावा दो अन्य लक्ष्मण अहीर व बंशी प्रसाद वकील ने भी अपनी शहादत दी थी।
जिले के अन्य भागों में भी हुआ विद्रोह :
10 अगस्त को डेहरी हाई स्कूल के छात्रों ने विद्यालय का बहिष्कार कर दिया। 13 अगस्त को डालमियानगर में किसान, मजदूर व छात्र संगठनों ने विशाल प्रदर्शन किया। रेलवे स्टेशन में आग लगा दी गई, मालगोदाम लूट लिया गया। उसी दिन तिलौथू में छात्र नेता ब्रजबिहारी दूबे के नेतृत्व में छात्रों ने हड़ताल कर डाकखाना जला दी। ढाई माह तक रोहतास, अकबरपुर, बंजारी व कैमूर के पर्वतीय क्षेत्रों में घूम-घूमकर क्रांति की ज्वाला फैलाते रहे। 11 अगस्त को अकबरपुर में परमानंद मिश्र के नेतृत्व में बकनउरा गांव में धरमू ¨सह, शिवविलास श्रीवास्तव, सरयू प्रसाद अग्रवाल समेत अन्य लोगों ने थाने पर धावा बोल कब्जा कर लिया। लेकिन 12 अगस्त को ये सभी गिरफ्तार कर लिए गए।
उपेक्षित है स्मारक :
स्वतंत्रता के इन अमर सेनानियों का स्मारक आज उपेक्षा का शिकार है। स्मारक के चारों ओर ठेला-खोमचा वालों का अघोषित कब्जा है। दुकानदारों द्वारा फलों के छिलके व कचरे स्मारक के पास फेंक दिए जा रहे हैं। स्मारक पर 15 अगस्त व 26 जनवरी को माल्यार्पण की रस्मअदायगी भर की जाती है। अधिकतर लोगों को शायद यह भी नहीं मालूम कि वे जहां खड़ा होकर गंदगी फैला रहे हैं, उस जगह पर देश को आजाद कराने के लिए आजादी के मतवालों ने कभी अपने खून की होली खेली थी।
सासाराम में बनेगा वाइल्डलाइफ सेंचुरी
बिहार के सासाराम एवं कैमूर जिला में फैले कैमूर वन्यप्राणी आश्रयणी क्षेत्र को टाइगर रिजर्व घोषित किया जा सकता है. इसके लिए वन विभाग के अधिकारी भी प्रयास में जुट गए हैं.कैमूर के वन प्रमंडल पदाधिकारी विकास अहलावत ने मंगलवार को मीडिया को बताया, ‘इस क्षेत्र में बाघों का आना-जाना लगा रहता है. हाल ही में कई क्षेत्रों में बाघों के भ्रमण करने के प्रमाण मिले थे.इस साल से कैमूर वन्यप्राणी आश्रयणी क्षेत्र को और विकसित करने की योजना बनाई गई है.
वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि रोहतास जिले के चेनारी के औरैया, भुड़कुड़ा एवं दुर्गावती जलाशय वाले इलाके के पहाड़ी पर बाघ के पदचिन्ह देखे गए हैं.सभी जगहों पर देखे गए पंजे के निशान एक ही तरह के हैं. चेनारी में बाघ को देखा भी गया है.रोहतास वन विभाग द्वारा इस बाघ की ट्रैकिंग भी करवाई गई है. अधिकारी ने दावा करते हुए कहा कि पिछले वर्ष चार नवंबर को तिलौथू क्षेत्र में पहली बार इस बाघ का मल प्राप्त हुआ था, जिसके बाद बाघ के मल को देहरादून स्थित वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के लेबोरेटरी में जांच में भी इसकी पुष्टि की गई है.कयास लगाए जा रहे हैं कि बाघ झारखंड के टाइगर रिजर्व से पहुंचा हो सकता है.
रोहतास वन प्रमंडल,सासाराम अधिकारी प्रद्युम्न गौरव भी कहते हैं, ‘तिलौथू क्षेत्र में बाघ आने की पुष्टि के बाद बाघों की ट्रैकिंग की जा रही है. चेनारी वनक्षेत्र में भी बाघ के पदचिन्ह एवं वृक्षों पर भी निशान प्राप्त हुआ है.
उन्होंने कहा कि कैमूर वाइल्डलाइफ सेंचुरी के जीव-जंतुओं को सुरक्षित करने की प्रक्रिया शुरू की गई है तथा जंगल पर पूरी तरह से निगरानी रखी जा रही है. .उन्होंने कहा कि कैमूर वन्यप्राणी अश्रयणी क्षेत्र में जीव-जंतु को सुरक्षित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. सूत्रों का दावा है कि ये आंकड़े एनसीटीए को भेजे जा सकते हैं.उल्लेखनीय है कि कैमूर वन्यक्षेत्र का इलाका 1800 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र में फैला है. यहां तेंदुआ सहित अन्य जानवर पाए गए हैं.
इस वनक्षेत्र की पहुंच छोटानागपुर की पहाड़ी और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती इलाके तक है. इस कारण यह क्षेत्र वन्यप्राणियों के लिए बहुत बड़ा और अनुकूल इलाका माना जाता है.गुजरात के गाँधीनगर में आयोजित 13वां कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज यानी कॉप-13 में बिहार पवेलियन में कैमूर वाइल्डलाइफ सेंचुरी को डिस्प्ले लगाया गया है.
कॉन्फ्रेंस में कैमूर वाइल्डलाइफ सेंचुरी की राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) सहित देश-विदेश से आयें वन्यजीवों एवं प्रवासी पक्षिओं के एक्सपर्ट ने सराहना की.कॉन्फ्रेंस में एनटीसीए ने कहा कि कैमूर वाइल्डलाइफ सेंचुरी टाइगर रिजर्व के लिए सुरक्षित क्षेत्र है. एनटीसीए द्वारा राज्य सरकार को कैमूर टाइगर रिजर्व के लिए प्रस्ताव भेजने को कहा गया है.
जिस प्रस्ताव पर एनटीसीए विचार कर कैमूर वाइल्डलाइफ सेंचुरी को टाइगर रिजर्व घोषित कर सकती है.