Thursday, October 23, 2025
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मदर्स डे पर भटकती रहीं, 2 मदर्स ऑफ सासाराम !!

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मदर्स डे पर भटकती रहीं, 2 मदर्स ऑफ सासाराम !!

ये सासाराम रेलवे स्टेशन पर रविवार को भटकती वो माताएँ है जो आजकल लाॅक डाउन में दाने दाने को मोहताज हैं । इनकी संतानों ने तो इन्हें त्याग ही दिया है हमारे निर्मम सिस्टम में भी इनके लिए कुछ नहीं है । पिछले कई दिनों से सासाराम के रेलवे स्टेशन पर ऐसे हीं भटकते हुए पाई जाति हैं । कोई समाजसेवी खाना लेकर जाता है ,और इनपर नजर पड़ती है तो इन्हे भी भोजन मिल जाता है , वर्ना भगवान ही मालिक रहता है उस दिन के लिए ।   सरकारी सिस्टम भी इस मामले में सुस्त है, शहर में ऐसे कई लोग घूमते हुए अक्सर मिल जाते हैं , जिनका कोई भी अपना नहीं होता । ऐसे लोगों के लिए सरकारी वृद्धाश्रमों की भी समुचित व्यवस्था नहीं है , जहां इनका प्रॉपर देख भाल किया जा सके ।

पिछले वर्ष की बात है, दिवाली के दिन शाम को ऐसे ही घूमते हुए रेलवे स्टेशन गया था तो ,अचानक मेरी नजर जमीन पर लेटे एक वृद्ध पर पड़ गई थी । मैंने उससे पूछा तो ,उसने बताया कि इसी शहर का रहने वाला था । जिसे उसके 2 बेटों ने घर से निकाल दिया था । वह कई दिनों से वहीं पड़ा हुआ था, फिर मैंने उसके घर वालों तक खबर भेजवाया तो ,उसके घर वाले आ कर ले गए । पूछने पर पारिवारिक विवाद मालूम चला । खैर जो भी हो , इस तरह की घटनाओं को किसी भी तरह से सभ्य समाज में सही नहीं ठहराया जा सकता है ।
इन सब चीजों में सबसे बड़ी गलती तो समाज और परिवारों का ही होता है, जहां वृद्धों की कद्र नहीं होती ।
सिस्टम का भी दोष कम नहीं है ,क्यूंकि आजाद मुल्क भारत में अपनी सरकारें और अधिकारियों के होते हुए भी इन लोगों के लिए कोई ठोस योजना नहीं बन पाते हैं ।

जब तक अंग्रेज थें , उस समय ये मान लिया जाता था कि वो अपने नहीं है । लेकिन आजादी के बाद कई सरकारें आई गई ,किसी ने इस ओर ठोस पहल नहीं किया । कुछ कानून जरूर बनें ,लेकिन उसको अमलीजामा पहनाया नहीं जा सका । तभी तो आए दिन ,छोटे शहरों से लेकर बड़े शहरों तक  से इस तरह की मन को विचलित करने वाली ख़बरें आते रहते हैं ।

तस्वीर : बृजेश जी  (जॉर्नलिस्ट )

माँ ! तुम माँ बहुत अच्छी हो, सास अच्छी क्यों नहीं?

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माँ ! तुम माँ बहुत अच्छी हो, सास अच्छी क्यों नहीं?

तुम्हारी छाया बनकर रही जब तक मैं तुम्हारे साथ रही। तुम्हारी हर चीज़ मेरी थी, आज भी है। खाना मेरी पसंद का बनाती और पेट भर जाने के बाद भी खिलाती रहती। पापा की डाँट से तुम हमेशा बचाती। मेरी बीमारी में सिरहाने बैठी रहती। ठीक हो जाने पर भगवान को लड्डू चढ़ाती और मेरी बालाएं लेती थी। तुम अपने लिए साड़ी खरीदती तो मुझ पर लगा कर देखती थी। बाद में वह मुझे दे देती थी। मेरी शादी में तुमने अपने गहने तुड़वाकर मेरे बनवाए थे। पायजेब तो अपनी ही दे दी थी। नई-नई 4-5 साड़ियां ये कहकर दे दीं कि चटकीले रंग इस उम्र में तुम पर अच्छे नहीं लगते। तुम्हारा स्नेह, त्याग और ममता देखकर मैं हमेशा अभिभूत थी। मेरी जैसी माँ किसी और की नहीं हो सकती- यह अनुभूति मन को आह्लादित कर देती। तुम- सा बनने की अब तक कोशिश ही कर रही हूँ।

सोनाली अपनी मां विभा श्रीवास्तव के साथ ,गौरक्षणी

 

मैं विदा होकर अपने नए घर आई। यहाँ भी एक बेटी थी मेरी तरह, अपनी माँ की लाडली। माँ की ही नहीं, अपने भाई और पिता की भी लाडली। उसकी छोटी सी बात भी खूब शाबाशी लूटती। कभी आँखों में आंसू भरते तो माँ के आँचल में ही सूखते। जिस दिन लड़केवाले देखने आये थे और पसंद कर लिया उस दिन उसने मेरी फिरोजी साड़ी पहनी थी। उसकी शादी में मेरी तीन कढ़ाईदार साड़ियां और मैचिंग की चूड़ियां विदाई में दी गईं।

माँ ! तुम माँ बहुत अच्छी हो, सास अच्छी क्यों नहीं?
सरदार सत्यवीर सिंह ,गुरुद्वारा रोड

 

मेरा डिनरसेट और मिक्सी भी। ये वही डिनर सेट था जिसे तुमने घरखर्च से पैसे बचा कर ख़रीदा था। शादी के बाद जब भी वो आई, अपनी माँ से घंटों बातें करती। कभी-कभी दोनों की आँखें भर आतीं। कभी दोनों खिलखिलातीं। मैं हमेशा अकेली छूट जाती।

माँ ! तुम माँ बहुत अच्छी हो, सास अच्छी क्यों नहीं?
इंतेखाब अली खान ,बड़ा शेखपुरा
मैं भैया की शादी में मायके बड़ी मुश्किल से आ पाई। ननद के पैर भारी थे, उसे मायके बुला लिया गया था। खाने-पीने से लेकर स्वस्थ्य का ध्यान रखना मेरी जिम्मेदारी थी। तुमने पापा के हाथों ये सन्देश भिजवाया कि बिटिया को भेज दो, बहन का रस्म कौन निभाएगा? मैं सगाई में आई।
माँ ! तुम माँ बहुत अच्छी हो, सास अच्छी क्यों नहीं?
सरदार अर्जुन सिंह ,गुरुद्वारा रोड
फिर शादी में भी खूब मजे किए। अब मेरे घर भाभी आ गई थी। मैं बहुत खुश थी क्योंकि मेरे जाने के बाद तुम बहुत अकेली हो गई थी। अपना सुख-दुःख साझा करने को तुम्हारे पास अब मेरे जैसी, किसी और की बेटी आ गई थी। चेहरे पर मुस्कराहट, आँखों में स्नेह और आवाज़ में मिठास तुम जैसी !
भैया की शादी के बाद मुझे विदाई में तुमने मेरे पसंद की लाल साड़ी दी। और साथ में भाभी के कान के मीनाकारीवाले टॉप्स। ये बात मुझे बाद में पता चली। भैया ने टॉप्स की डिब्बी लाकर दी थी तो मुझे लगा कि बाज़ार से मंगवाए हैं। पापा ने भी हाथ में लेकर देखे थे। मैंने बाद में भाभी को चुपचाप वापस करने की कोशिश की मगर उसने ली नहीं। फिर मैंने उसके जन्मदिन पर एक अंगूठी उपहार दी।
माँ ! तुम माँ बहुत अच्छी हो, सास अच्छी क्यों नहीं?
विक्की सिंह

 

माँ तुम्हारे घर में बहू की पायल झनकती थी मगर तुम्हारा मन उससे कभी स्पंदित नहीं हुआ। वो, सबकी मांग तुम्हारी तरह ही हँस-हँस कर पूरी करती थी, तुम्हें कमियां पहले दिखतीं। कमियां थीं, क्यों नहीं रहेंगी? मगर तुम उसे नहीं, मुझे बताती थी। मैं खुद अपनी कमियों से सीख रही थी। जब मैं आती थी तो देर रात तक तुम्हारे साथ बिस्तर पर बातें किया करती। मन में दुनिया भर के दुःख-दर्द जो तुम समेटकर रखती थी मेरे सामने उड़ेलकर खाली हो लिया करती। कभी-कभी पापा भी शामिल हो जाते। फिर भाभी जब तुम्हें दवा देने आती तो तुम क़दमों की आहट से चुप हो जाती।

माँ ! तुम माँ बहुत अच्छी हो, सास अच्छी क्यों नहीं?
अंकित राज ,नई एरिया
भाभी के साथ ही फ़्रिज आया था हमारे घर। पापा सुबह-सुबह फ्रिज की ठंडी लस्सी पीते, तुम चाय की शौकीन। भाभी चाय बनाकर अपने कमरे में ले जातीं और भैया के साथ पीती थीं। नाश्ता वही बनता जो उन्हें करना है। तुम उनदोनों को कुछ नहीं बोलती, मुझे बताकर मन हल्का कर लेती। तुम्हारे बहू लाने की चहक मैंने देखी है, पाँव ज़मीन पर नहीं थे।
माँ ! तुम माँ बहुत अच्छी हो, सास अच्छी क्यों नहीं?
अभिजीत , शोभागंज

 

भाभी के मायके से पूरे कुनबे के लिए कपड़े आए थे। लिस्ट में ऐसे भी नाम थे जिन्हें शायद मैंने एक-दो बार ही देखा हो। तुम और पापा ने सभी को जोड़ों में बुलाकर रस्म पूर्वक ये कपड़े बांटे थे। सबने कहा, शादी बहुत अच्छी की है और बहू भी चुनकर लाई है। उसके आने से घर में रौनक आ गई। मगर भाभी के आंसू को किसी का आँचल नहीं मिला।

माँ ! तुम माँ बहुत अच्छी हो, सास अच्छी क्यों नहीं?
रोहित गुप्ता ,माइको

 

वह मायके जाने की जिद्द में रूठकर बैठी थी। भैया की नाराज़गी साफ़ दिख रही थी। लेकिन शाम में वह रसोई में ख़ामोशी से रोटियां बेल रही थी। बार-बार भीगी आँखें पोंछ रही थी, दादाजी के देहावसान पर मन वहीं अटका था। वो न जाने को मजबूर थी। बड़ी बुआजी हमारे घर आने वाली थीं। फूफाजी के जाने के बाद पापा उनके ग़म में उदास थे, कुछ दिन बहन को साथ रखना चाहते थे। भाभी की लगभग हर बात तुम सब तय करते थे- घर की जरूरत के अनुसार।

माँ ! तुम माँ बहुत अच्छी हो, सास अच्छी क्यों नहीं?
जय  विशाखा ,शांति नगर ,सासाराम
तुम्हारी बीमारी की खबर सुनकर मैं भागकर आती। आधी बीमारी तो मुझे देखकर दूर हो जाती। भाभी भी अपनी माँ की बीमारी सुनकर छटपटा जाती। किसी के रोके नहीं रुकती। जाने के बाद आने का पता नहीं रहता। बच्चे को जैसे-तैसे तुम और भैया संभालते। उसके पीछे भाग-भागकर तुम कितना थक जाती।
मेरे हर जन्मदिन पर तुमने मुझे नए कपड़े दिए हैं, और मैं पहनकर इठलाई हूँ। मेरे ससुराल में भी बेटियों को जन्मदिन पर उपहार मिलते हैं। यूँ भी मिलते हैं जब कभी वो आती हैं। मैं आपके पास नहीं आती तो शायद अपना जन्मदिन भूल जाती, ससुराल में मुझे सिर्फ देना होता है। लेने के लिए तो बस माँ तुम्हारा आँचल है। तुमसे मांगते हुए आज भी झिझक नहीं है। तुम कभी ‘ना’ नहीं कहती।
माँ ! तुम माँ बहुत अच्छी हो, सास अच्छी क्यों नहीं?
उत्कर्ष ,करन सराय

छोटे भैया की शादी हुई तो नई भाभी को तुमने कुछ मामलों में आज़ादी दे दी। जहाँ तुम दोनों का मन नहीं मिलता वहां तुम्हें शिकायतों के लिए हमेशा की तरह मैं ही मिलती थी। तुमने मुझे चाँदी की तगड़ी दी- यह बात छोटी भाभी को बहुत अखरी थी।

माँ ! तुम माँ बहुत अच्छी हो, सास अच्छी क्यों नहीं?
रवि सोनी ,लश्करीगंज

 

अंत में तुमने लॉकर से अपनी सोने की चूड़ियां निकलीं और दोनों भाभियों को दो-दो बाँट दीं। अब तुम्हारे पास गहने के नाम पर सिर्फ एक मंगलसूत्र बचा था जो तुम्हारे गले में दिखता है। तुम और मैं आज भी सहेली हैं, राज़दार हैं। आज भी अपनी बात कहने को तुम मेरा इंतज़ार करती हो। और मैं भी अपना मन तुम्हारे पास ही हल्का करती हूँ। माँ वहां भी है, माँ यहाँ भी है। ममता वहाँ भी है, यहाँ भी है। लेकिन किसको कहाँ क्या नहीं मिलेगा, यह बिना कहे हमें पता है।

माँ ! तुम माँ बहुत अच्छी हो, सास अच्छी क्यों नहीं?
राहुल कुशवाहा ,गौरक्षणी
मेरी बेटी की शादी होने वाली है। वो अपनी नई ज़िन्दगी के सपने संजो रही है। कई बार आँखें भी भर लेती है, छोड़ कर नहीं जाना चाहती। मुझे भी अपने मन को समझाना पड़ता है। कल वो चली जाएगी …..अपना घर बसाने। मैं चाहती हूँ कि जो कुछ वह छोड़कर जा रही है, उसे वो सब वहां मिल जाए। यहाँ आकर खोजना न पड़े! और जो बेटी यहाँ आएगी, उसे छूटी हुई चीज़ पाने के लिए अपने मायके कभी न जाना पड़े…….
(समाज  में चेतना के लिए ,शेयर जरूर कीजिये )
लेखक – अमृता मौर्य ( सीनियर राष्ट्रीय पत्रकार ,iimc  में रविश कुमार की क्लासमेट )

नारी सशक्तीकरण का मिसाल पेश करती सासाराम की 2 बेटियां

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नारी सशक्तीकरण का मिसाल पेश करती सासाराम की 2 बेटियां 
लॉकडॉउन के विषम परिस्थितियों के बीच ,सासाराम की दो बच्चियां समाज के लिए अपने रूप से योगदान दे रहीं हैं । शहर के नुरनगंज मुहल्ले के कमेश्चर सिंह और कुंती देवी की दोनो बेटियां अपराजिता हैं ,दोनों के हौसले बुलंद हैं । एक बेटी समाजसेवी है और वह शिक्षा का चिराग इंटरनेट के माध्यम से फैला रही है ,तो दूसरी बेटी कविताओं के माध्यम से समाज में जागरूकता फैला रही है । अपने मौलिक स्वरों से लोकसंवाद कर समाज में नई चेतना जगा रही हैं ।

यूट्यूब चैनल से बच्चों का मार्गदर्शन करती प्रतीक्षा

एक समाजसेवी है । रक्तदान, वृक्षारोपण ,शिक्षा समेत अन्य कार्यों के माध्यम से पहले भी समाज के लिए अपना फ़र्ज़ निभाते आई है । लॉकडॉउन में आम लोगों का जब आवागमन बन्द हो चुका है ,तो इन्होंने अंकवाद (marksism) नाम से यूट्यूब चैनल की शुरुआत किया है । चैनल का उद्देश्य बच्चे बच्चियों को शिक्षा में मदद करना, वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना,अनुशासन के महत्व पर चर्चे करना , प्रोडक्टिविटी के विषयों पर चर्चा कर उन्हे प्रेरणा देना और आत्मविश्वास जगाना है । इस चैनल के अधिकतर वीडियो हिन्दी में है, प्रतीक्षा का कहना है कि हिंदी भाषा के छात्रों को सही मार्गदर्शन करने वाले साधनों की कमी है । ये कहती हैं कि ,अंको का महत्व सिर्फ परीक्षा तक ही सीमित नहीं है, मनुष्य अपने निजी जीवन में भी 10 में 10 अंक प्राप्त करना चाहता है ।

प्रतीक्षा की छोटी बहन भी ऑनलाइन कविताओं के माध्यम से लोगों को जागरूक के रही हैं । 

प्रतिभा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग से हिंदी में स्नातक कर रही हैं । बचपन से कविता और साहित्य में रुचि रखने वाली प्रतिभा के साहित्यिक उपलब्धियां भी कम नहीं है । साहित्य समाज का आइना होती है । साहित्य के माध्यम से समाज में बदलाव लाने के लिए प्रयासरत है । प्रतिभा का कहना है कि , कोई भी समय अच्छा या बुरा नहीं होता । बस उसे बताने और गुजारने का सही हुनर होना चाहिए । हर इंसान खास है , उसके अंदर एक यूनीक हुनर है । बस उसे पहचानने और जागृत करने की देरी है । यह समय एक वरदान है अपने प्रितिभाओ को खोजने का । उसे निखारने का । किताबों की दुनिया में डूब जाने का । भविष्य का लक्ष्य तय कर उसपर कार्य करने का । हर कोई कवि है, बस अपने मन की सुने ।

अच्छी खबर !! 12 करोना मरीज सासाराम के नारायण मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल से स्वस्थ हो कर डिस्चार्ज हो रहें है ।

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अच्छी खबर !! 12 करोना मरीज सासाराम के नारायण मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल से स्वस्थ हो कर डिस्चार्ज हो रहें है ।
अच्छी खबर
रोहतास जिला के लिए आई खुशखबरी | 12 करोना मरीज सासाराम के नारायण मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल से स्वस्थ हो कर डिस्चार्ज हो रहें है । अंतिम ऑफिसियल प्रक्रिया पूरी हो रही ही | 
अच्छी खबर !! 12 करोना मरीज सासाराम के नारायण मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल से स्वस्थ हो कर डिस्चार्ज हो रहें है ।
अच्छी खबर !! 12 करोना मरीज सासाराम के नारायण मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल से स्वस्थ हो कर डिस्चार्ज हो रहें है ।
 
आपको बताता चलें कि अब तक 22 पुराने और आज वाले 12 जो जोड़कर कुल 34 करोना मरीज सासाराम में स्वस्थ हो चुके हैं । 
अच्छी खबर !! 12 करोना मरीज सासाराम के नारायण मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल से स्वस्थ हो कर डिस्चार्ज हो रहें है ।
अच्छी खबर !! 12 करोना मरीज सासाराम के नारायण मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल से स्वस्थ हो कर डिस्चार्ज हो रहें है ।

 

वहीं दूसरी ओर कल एक सासाराम के धौडाढ़ निवासी 70 वर्षीय वृद्ध की मृत्यु भी हो गई थी । ये पहले से दमा और स्वांस विकारों के मरीज थे । सदर अस्पताल सासाराम से नारायण मेडिकल अस्पताल आए थें । इनका सैंपल पटना गया था ,लेकिन कल रिपोर्ट आने से पहले ही मृत्यु हो चुकी थी । डिटेल में जानने के लिए यहां क्लिक कीजिए (मेरे ऊपर )। आपको बताते चलें कि सरकार द्वारा टेस्ट नियमों में भी बदलाव किया गया है । 

अच्छी खबर !! 12 करोना मरीज सासाराम के नारायण मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल से स्वस्थ हो कर डिस्चार्ज हो रहें है ।
अच्छी खबर !! 12 करोना मरीज सासाराम के नारायण मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल से स्वस्थ हो कर डिस्चार्ज हो रहें है ।
 

क्या है नया टेस्टिंग नियम ?

5 मई को सीविल सर्जन जनार्दान शर्मा ने बताया था कि प्रधान सचिव के निर्देशानुसार पॉजिटिव के वैसे संपर्क जो डायरेक्ट एवम् हाई रिस्क कॉन्टैक्ट के श्रेणी में नहीं है ,उनमें करोना लक्षण दिखने पर ही सैंपल लिया जाएगा । उन्हे अस्पताल में नहीं ,बल्कि होम क्वारांटाइन किया जाएगा । नोट : 30 अप्रैल को स्वास्थ विभाग के सचिव द्वारा जारी पत्र में ऐसा कहा गया है ।
आपको बताते चलें कि ,पहले करोना पॉजिटिव के प्राथमिक और द्वितीय संपर्क तक के सैंपल लिए गए थे, इसीलिए जिले में करोना पॉजिटिव संख्या तेज़ी से बढ़ते हुए 52 पर पहुंच गया था । 

सासाराम पुलिस हड्डियां तोड़ती है, दिल नहीं !!

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सासाराम पुलिस हड्डियां तोड़ती है, दिल नहीं  !!
वैश्विक महामारी करोना से देश ही नहीं पूरी दुनिया बन्द है । अर्थव्यवस्था की हालत खस्ता हो रही है । काम धंधा सब चौपट हो रहा है । डॉक्टर इमर्जेंसी ड्यूटी पर लगे हुए हैं । अचानक से मरीजों की संख्या बढ़ने से ,अस्पतालों में व्यवस्था बनाए रखने में पापड़ बेलने पड़ रहें हैं । संसाधनों की घोर कमी हो गई है । लोग डिप्रेशन और एंजायटी के शिकार होने लगे हैं । गरीबों के सामने भुखमरी की गम्भीर समस्या उत्पन हो रहा है । अफ्रीका और एशिया के गरीब देशों में यह समस्या और भी विकराल है । 
सासाराम पुलिस हड्डियां तोड़ती है, दिल नहीं !!
सासाराम पुलिस हड्डियां तोड़ती है, दिल नहीं  !!
 
इस स्थिति में भारत की पुलिस और सेना लोगों के धैर्य ,विश्वास और आत्मबल बढ़ाने के लिए तरह तरह के नुक्से अपना रही है । भारत के कई शहरों में पुलिस गाना गा रही है , कहीं कोई पुलिस वाला अपने को भाई बता था है तो कहीं कोई बुजुर्ग वर्दीधारी पिता के रूप में समाज के लिए धूप में पसीने बहा रहा है ।  विडिओ देखने के लिए (मेरे ऊपर क्लिक किजिये )**
सासाराम पुलिस हड्डियां तोड़ती है, दिल नहीं !!
सासाराम पुलिस हड्डियां तोड़ती है, दिल नहीं  !!

 

बुधवार की शाम ,ऐसा ही तरीका सासाराम के पुलिस जवानों ने अपनाया । नक्सलियों के दांत ख्ट्टे करने वाली सासाराम पुलिस , हथियार के बदले तख्तियां के कर सड़कों पर घूम रही थी । अपने बेटों को इस तरह समाज को जागरूक करता देख कर “सासाराम की गलियां” पुलकित हो रहीं थीं ।

सासाराम पुलिस हड्डियां तोड़ती है, दिल नहीं !!
सासाराम पुलिस हड्डियां तोड़ती है, दिल नहीं  !!
 
सड़कों पर जरूरी काम के लिए आने जाने वाले लोग देख कर आश्चर्यचकित हो रहें थें । क्यूंकि किसी ने इससे पहले रोहतास पुलिस का तख्तियां और पोस्टर – बैनर लेकर घूमनेवाला रूप कभी नहीं देखा था ।  करोना के प्रति जागरूकता और बचाव ही इसका इलाज है । पुलिस के इन जवानों को “सासाराम की गलियां” संस्था सलाम करता है । आप भी इनके सम्मान में कम से कम एक शेयर तो कर ही सकते हैं | 
 
पुलिस ने जागरूकता के उद्देश्य से कुछ ग्राफ़िक्स भी जारी किया है ,आप चाहें तो इन्हे डाउनलोड करके सोशल मिडिया पर शेयर भी कर सकते हैं | इन्हे देखिये :-
 
सासाराम पुलिस हड्डियां तोड़ती है, दिल नहीं !!
सासाराम पुलिस हड्डियां तोड़ती है, दिल नहीं  !!
 
सासाराम पुलिस हड्डियां तोड़ती है, दिल नहीं !!
सासाराम पुलिस हड्डियां तोड़ती है, दिल नहीं  !!
 
सासाराम पुलिस हड्डियां तोड़ती है, दिल नहीं !!
सासाराम पुलिस हड्डियां तोड़ती है, दिल नहीं  !!
सासाराम पुलिस हड्डियां तोड़ती है, दिल नहीं !!
सासाराम पुलिस हड्डियां तोड़ती है, दिल नहीं  !!
सासाराम पुलिस हड्डियां तोड़ती है, दिल नहीं  !!
सासाराम पुलिस हड्डियां तोड़ती है, दिल नहीं !!
सासाराम पुलिस हड्डियां तोड़ती है, दिल नहीं  !!

करोना के डिप्रेशन से मुक्ति का सफ़र रैप के साथ !!

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करोना वायरस से उत्पन वैश्विक महामारी और लॉकडॉउन के वजह से कई लोग डिप्रेशन का शिकार हो रहें है । मन में चिंताएं और डर घर बना चुकी हैं । लोग चिड़चिड़ापन के शिकार हो रहे हैं। बात बात पर गुस्सा आ रहा है । इस तरह के कई साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर्स से ग्रसित हो रहे हैं लोग । इसी को देखते हुए , रेवोल्यूशन अगेंस्ट पॉल्यूशन नामक संगठन ने फ्री टेलीफोनिक काउंसलिंग सेवा का शुभारंभ किया है । जिसमे आपको या किसी रोगी को विशेषज्ञों द्वारा काउंसलिंग किया जाएगा ।  आपके तनाव के कारणों को जान कर ,उसे ठीक करने का प्रयास किया जाएगा । आपको बताते चलें कि , विनीत और मनी जी ने बताया की यह सुविधा बिल्कुल फ़्री है । कोई भी इस सुविधा का लाभ उठा सकता है ।

कैसे करें आवेदन

ये बड़ा आसान है, रजिस्टर करने के लिए आपको इन नंबरों पर फोन करना है  7717798384  / 9631340620  (किसी एक पर ही करें) । जिसके बाद आपको टाइम दिया जाएगा और जरूरी जानकारियां दि जाएंगी । पूरी प्रक्रिया फोन पर ही होगा , आपको कहीं दूर आने जाने की जरूरत नहीं है । घर रह कर ही , अपने सुविधानुसार आप टेलीफोनिक काउंसलिंग का लाभ उठा सकते हैं ।

करोना के डिप्रेशन से मुक्ति का सफ़र रैप के साथ !!
करोना के डिप्रेशन से मुक्ति
विनीत ने बताया कि ,काउंसलिंग की सेवा प्रोफेशनल विशेषज्ञों द्वारा प्रदान किया जाएगा । यदि आप तनावग्रस्त, निराश या चिंतित महसूस कर रहे हैं अथवा किसी भी प्रकार की मानसिक, भावनात्मक या किसी अन्य समस्याओं का अनुभव या सामना कर रहे हैं , या आपका कोई रिश्तेदार ,परिवार का सदस्य इससे ग्रसित है तो इसका लाभ लिया जा सकता है ।

मदार दरवाजा के पास गरीबों को बांटा जा रहा भोजन !!

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सासाराम के मदार दरवाजा पॉवरहाउस के पास स्वयं सेवी संगठन द्वारा खाना वितरण का कार्यक्रम चल रहा है । “फीड द नीडी एंड पुलिस पब्लिक हेल्पलाइन”, (यह एक ही नाम है,अलग अलग नहीं है)  नाम के संगठन द्वारा यह व्यवस्था किया गया है । खाने में कच्चे खाद्य सामग्रियां बांटे जा रहे हैं । यह प्रोग्राम सुबह 6:30 से 9:45 तक चलता है ,और शाम को भी वितरण का कार्य किया जाता है ।
मदार दरवाजा के पास गरीबों को बांटा जा रहा भोजन !!
मदार दरवाजा के पास गरीबों को बांटा जा रहा भोजन !!
चावल , सब्जियां, आंटा इत्यादि शामिल रहता है राहत पैकेज में । जावेद और आसिफ बताते हैं कि संगठन के सदस्य आपसी सहयोग से यह कार्यक्रम चला रहें है । सभी लोग मिल जुल कर व्यवस्था करते हैं । कल यानी बृहस्पतिवार को बिहार पुलिस के डीजीपी का सासाराम में विजिट था , इसलिए कल शाम का प्रोग्राम नहीं हो पाया । लेकिन बाकी दिनों में यह कार्यक्रम नॉर्मल चलता रहता है ।
मदार दरवाजा के पास गरीबों को बांटा जा रहा भोजन !!
मदार दरवाजा के पास गरीबों को बांटा जा रहा भोजन !!
बड़ी संख्या में जरूरतमंद जुटते हैं, उन्हे प्रॉपर सरकारी गाइडलाइंस के अनुसार आवश्यक दूरी का पालन करते हुए लाइन में खड़ा करके उन्हें राहत सामग्रियां बांटा जाता है । करोना वायरस (Cov-19) के वैश्विक महामारी और लॉकडॉउन से उत्पन भोजन की समस्या से सभी परेशान हैं । लेकिन इसका सबसे अधिक असर गरीबों पर पड़ा है , जो रोज के काम पर निर्भर रहते हैं । काम बन्द हो जाने से परिवार चलाने की गम्भीर समस्या उत्पन हो गई है ।
मदार दरवाजा के पास गरीबों को बांटा जा रहा भोजन !!
मदार दरवाजा के पास गरीबों को बांटा जा रहा भोजन !!
इसको क्रियान्विति करने में जावेद अख्तर ,गुलरेज अंजुम, इमरान, मोअज्जम, एमडी शाहनवाज़,गोलू,एमडी वाइस,आसिफ बैग का विशेष योगदान रहता है ।

सासाराम में करोना से पहला मौत,रोहतास में 2 नय मरीज मिले,नया जाँच नियम पढ़ें !!

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चार दिन की चांदनी, फिर अंधेरी रात …..
जी हां ,विगत 4 दिनों की चुप्पी के बाद सासाराम में कोरोनावायरस ने फिर से अपना  दस्तक दे दीया है ।आखिर वही हुआ, जिसका सबको डर था । करोना ने सासाराम में भी ,एक व्यक्ति को काल के मुंह में ढकेल ही दिया ।  परसों रात में सदर अस्पताल सासाराम से ,सांसो में भारी तकलीफ को लेकर क्रिटिकल हो चुके एक 70 वर्षीय बुजुर्ग मरीज को नारायण चिकित्सा महाविद्यालय में भेजा गया था ,जिन्हें उपचार हेतु आईसीयू में भर्ती किया गया था। कल उनका सैंपल टेस्टिंग के लिए भेजा गया था , आज जांच रिपोर्ट आया । लेकिन दुख की बात यही है कि, जांच रिपोर्ट आने के पूर्व ही उक्त मरीज दम तोड़ चुके हैं । इस प्रकार जब उनका रिपोर्ट पॉजिटिव आया तो जिले में करोनावायरस से मरने वाले की संख्या भी एक हो गई । यह रोहतास में करोना से मृत्यु का पहला केस है ।
 
नारायण चिकित्सा महाविद्यालय के चिकित्सा अधीक्षक डॉ प्रभात कुमार ने बताया कि काफी पहले से उन्हें सांस फूलने और दमा की बीमारी थी लेकिन सासाराम के धौडाढ गांव निवासी उक्त बुजुर्ग मरीज की स्थिति खराब होने पर उन्हें सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था वहां उनकी स्थिति जब और बिगड़ गई तब उन्हें नारायण चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल भेजा गया था । यहां उन्हें बचाने का भरसक प्रयास किया गया लेकिन अंततः आज अहले सुबह उनकी मौत हो गई।
 
वहीं दूसरी तरफ सासाराम में आज 2 नय करोना केस आने से लोगों की चिंता बढ़ गई है । इन मरीजों में से एक मरीज 56 वर्षीय महिला है जो सासाराम बारादरी की रहने वाली है ,इनका रिपोर्ट आज पौजीटीव आया है । इस महिला का कनेक्शन भी उसी चेन से जुड़े होने की बात सामने आ रही है ,जिसमें रोहतास जिले में पहली कोरोना मरीज को  चिन्हित किया गया था । दूसरा मरीज वो थें ,जिनकी मृत्यु हो गई । शहर में कोरोना की थम चुकी रफ्तार के बाद ,आज फिर दो नए कोरोनावायरस संक्रमित मरीजों की सूची ने रोहतास जिला वासियों के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी है।

जाँच नियमों में सरकारी  बदलाव 

5 मई को सीविल सर्जन जनार्दान शर्मा ने बताया था कि प्रधान सचिव के निर्देशानुसार करोना पॉजिटिव मरीज के वैसे संपर्क जो डायरेक्ट एवम् हाई रिस्क कॉन्टैक्ट के श्रेणी में नहीं है ,उनमें करोना लक्षण दिखने पर ही सैंपल लिया जाएगा । उन्हे अस्पताल में नहीं ,बल्कि होम क्वारांटाइन किया जाएगा । 
नोट : 30 अप्रैल को स्वास्थ विभाग के सचिव द्वारा जारी पत्र में ऐसा कहा गया है ।
 
आपको बताते चलें कि ,पहले करोना पॉजिटिव के प्राथमिक और द्वितीय संपर्क तक के सैंपल लिए गए थे, इसीलिए जिले में करोना पॉजिटिव संख्या तेज़ी से बढ़ते हुए 52 पर पहुंच गया था । आपको बताते चलें कि अब तक रोहतास में 21-22 मरीज स्वस्थ हो कर डिस्चार्ज भी हो चुके हैं । 

सासाराम प्रखंड प्रमुख बनी संकटमोचक ,बाराबंकी से पटना जा रही महिला बच्चों सहित पति से बिछड़ गई !!

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लॉक डॉउन के चलते बाराबंकी से पटना जा रही महिला पिछले 5 दिनों से जब अपने बच्चों के साथ अपने अपने पति से बिछड़ गई तो सासाराम की प्रखंड प्रमुख रामकुमारी देवी ने थामा लिया उसका हाथ । यह भटकने वाली महिला मजदूर है ,जिसका नाम उर्मिला देवी है । वह अपने परिवार के साथ लॉकडॉउन में उत्तरप्रदेश के वाराणसी से बिहार के बारांबकी जा रही थी । उसने बताया कि जब वो लोग वाराणसी पहुंचे तो पति सुजीत बिंद ने उसके 3 बच्चों के साथ ट्रक पर बैठा दिया और खुद साईकिल से आने का वादा किया ।
ट्रक वाले ने महिला और उसके बच्चों को सासाराम शहर के पास स्थित अमरा तलाव में उतार दिया । महिला और बच्चे भटक गए । गरीब मजदूर महिला के सामने खाने पीने और रहने का संकट खड़ा हो गया । तभी, आस पास के क्षेत्रों में खाद्य सामग्रियां वितरण करके लौट रही सासाराम प्रखंड प्रमुख की नजर इन वेवस महिला और उसके बच्चों पर पड़ी । उन्होंने अपना गाड़ी रोका , महिला से बात करके करुणा उमड़ पड़ा । महिला की दुखभरी कहानी किसी भी सभ्य इंसान को झझकोर सकती थीं ।
प्रखंड प्रमुख ने मानवता दिखाते हुए , मजदूर महिला को क्वारांटाइन सेंटर में भर्ती कराया । इसी क्वारांटाइन सेंटर में महिला और उसके बच्चों के रहने खाने का भी व्यवस्था कराया गया । इधर , रामकुमारी देवी उस महिला के गृह प्रशासन से लगातार संपर्क की कोशिशें कर रहीं थीं ,ताकि महिला की जानकारी उसके परिजनों तक पहुंचाई जा सके । उसके बाद प्रखंड प्रमुख के पहल पर जिला प्रशासन के मदद से एक बस पर बैठा कर महिला को उसके घर रवाना कर दिया गया । महिला ने घर पहुंच कर बताया कि ,उसके पति गांव में मौजूद हैं । पिता और परिजनों से मिलकर बच्चें बहुत खुश हैं । महिला भी ठीक है । महिला पटना जिला के विक्रम पाली के गरहरा ढीबरा गांव की रहने वाली है । प्रखंड प्रमुख रामकुमारी देवी के बताया की इस अभियान में सदर बीडीओ स्मृति जी ने भी अपनी ओर से सकारात्मक भूमिका निभाया हैं ।
“सासाराम की गलियां” संगठन रामकुमारी देवी, बीडीओ और नोडल अधिकारी के मानवता के इस जज्बे को सलाम करता है । इन सबके लिए एक शेयर बनता ही है ।

आज सासाराम लौटेंगे अहमदाबाद, बेंगलुरु और एर्नाकुलम से प्रवासी मजदूर !!

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सरकार द्वारा लॉकडॉउन में मजदुर और छात्रों को गृह राज्य वापस लौटने के लिए छूट देने के बाद लगातार प्रवासी बिहारियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है । स्पेशल ट्रेनों के माध्यम से प्रवसी मजदूर अपने गृह राज्य तक आ रहें है । यह ट्रेनें विभिन्न शहरों में जा रही हैं । अगर किसी व्यक्ति के रूट में ट्रेन नहीं है तो उस स्थिति में राज्य सरकार द्वारा भी बसों से प्रवासियों को उनके गृह जिले तक पहुंचाया जा रहा है । आज यानी मंगलवार को देश के कोने कोने से 3 ट्रेनों के माध्यम से प्रवासी सासाराम और रोहतास जिला में पहुंचेंगे । यह ट्रेनें बैंगलोर,अहमदाबाद और एर्नाकुलम से आएंगी । इनमे रोहतास जिला के लगभग 91 प्रवासियों के होने की सूचना है ।
 
आपको बताते चलें कि जो ट्रेन एर्नाकुलम से बिहार आ रही है , वह ट्रेन बिहार के बरौनी स्टेशन पर जाएगी । इस ट्रेन में रोहतास के 39 मजदूर होंगे । दूसरी ट्रेन गुजरात के अहमदाबाद से बिहार के मुजफफरपुर आ रही है , इसमें भी रोहतास के 37 मजदूर शामिल रहेंगे । तीसरी ट्रेन कर्नाटक के बैंगलोर स्टेशन से बिहार के दानापुर आ रही है, इसमें भी सासाराम के मजदूर शामिल रहेंगे । इन मजदूरों को बिहार के अलग अलग स्टेशनों से उनके गृह जिला तक बस से पहुंचाया जाएगा ।
 
आपको बताते चलें कि , 2 मई को जो ट्रेन राजस्थान के जयपुर से बिहार के दानापूर स्टेशन पहुंची थी, उसमे कुल 1187 मजदूर थें । जिसमे की सिर्फ रोहतास जिला से 175 मजदूर थें । आपको याद होगा की स्पेशल ट्रेनों के घोषणा के बाद देश में टिकट को लेकर घमासान शुरू हो गया था । कल के नीतीश कुमार के वीडियो संदेश के अनुसार केंद्र के नोटिफिकेशन में सम्बन्धित राज्य सरकारों को खर्च उठाने की बात कही गई थी । बिहार सरकार के राज्य आपदा प्रबंधन प्रधान सचिव अमृत प्रत्यय ने 2 मई को कहा था कि मजदूरों को भुगतान करना होगा  किराया । बिहार सरकार खर्च नहीं उठाएगी । इसके बाद राजनैतिक घमासान शुरू हो गया । तूल पकड़ते मामले को विराम देते हुए, कल फिर 4 मई को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद सामने आ कर स्पष्ट किया कि राज्य सरकार रेल खर्च केंद्र को देगी और मजदूरों को किराया नहीं देना होगा । साथ में मजदूरों को प्रति व्यक्ति ₹500 अतिरिक्त देने की भी बात कहा उन्होंने । गृह राज्य लौटने के लिए , विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा रजिस्ट्रेशन कि प्रक्रिया शुरू की गई है । इसी न्यूज पोर्टल पर कई राज्यों के रजिस्ट्रेशन लिंको की लिस्ट भी पब्लिश हुई थी । अगर आप प्रोसेस को समझना चाहते हैं तो उस खबर को पढ़ लिजिए ।
 
आपको बताते चलें कि , बिहार लौटने वाले प्रवासियों को 21 दिन के क्वारांटाइन रहना अनिवार्य है । 
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