करोना वायरस संक्रमण को देखते हुए 9 महीने से लेकर 5 वर्ष के आयु वाले बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य और इम्यूनिटी सिस्टम बढ़ाने के लिए 16 से 19 तारीख तक छमाही खुराक पखवारा चलेगा । स्वास्थ्य विभाग के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने डीएम और सिविल सर्जन को पत्र लिख कर कार्यक्रम के लिए जिला ,ब्लॉक और गांव स्तर पर विभिन्न तरह की गतिविधियां संचालित करने का निर्देश दिया है ।
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प्लानिंग के साथ चलेगा अभियान
गांव और शहर के लिए अलग अलग प्लान बनाया जाएगा । आशा के कार्य क्षेत्रों के अन्तर्गत सभी टोलों और वार्डों को चिन्हित किया जाएगा । आपको बताते चलें कि, आशा के कार्य क्षेत्र को वितरण केंद्र के रूप में चिन्हित किया जाएगा । इससे यह मालूम करने में सहूलियत होगा कि उनके क्षेत्र में 5 वर्ष से लेकर 9 महीने तक के कितने बच्चे हैं ।
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बच्चों को खुराक पिलाने के लिए आशा कार्यकर्ता प्रतिदिन घर घर घूमेंगी । खुराक पिलाने के बाद एमसीपी कार्ड तथा विटामिन ए के टैलीसीट पर अंकित करना होगा ।
करोना के नियमों का पालन करना होगा
घर घर खुराक पिलाने जाने के क्रम में आशा कार्यकर्ताओं को करोना प्रोटोकॉल पालन करना पड़ेगा ।
बच्चों को खुराक पिलाने से पहले अपने हाथों को साबुन या सैनिटाइजर से साफ करना पड़ेगा । इसके अलावे मास्क और ग्लोब्स का उपयोग करना भी जरूरी है ।
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आपको बताते चलें कि , आशा कार्यकर्ताओं द्वारा विटामिन ए का खुराक पिलाते समय सोशल डिस्टेंसिंग के नियमो का पालन करना अनिवार्य है ।
कंटेनमेंट ज़ोन में क्या होगा ?
कंटेनमेंट ज़ोन में यह कार्यक्रम नहीं चलेगा । इन क्षेत्रों में कोई गतिविधि नहीं होगी । विटामिन ए के खुराक को सिर्फ कंटेनमेंट ज़ोन के बाहर के 9 महीने से 5 वर्ष के बच्चों को पिलाया जाएगा।
“यह वह दौर था जब लोग संक्रमण के डर से अपने घरों में छुपे हुए थे और मैं विभाग द्वारा दिए गए कार्यों को पूरा करने में लगी हुई थी । उस वक्त किसी के घर जाने पर लोग बात करना तो दूर, लोग अपना दरवाजा तक नहीं खोलते थे और लोगों को समझाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था” यह बातें आंगनवाड़ी केंद्र संख्या 217 की सेविका रिषियंका देवी बताती है।
अप्रैल माह में कोरोना संक्रमण (coronaVirus) के शुरूआती दौर में एक संक्रमित की पहचान होने पर सासाराम सदर के बारादरी मोहल्ले को कंटेनमेंट जोन बनाकर सील कर दिया गया था. इसी इलाके में पड़ने वाले आंगनवाड़ी केंद्र संख्या 217 की सेविका रिषियंका देवी आंगनवाड़ी के कार्यों को ईमानदारी और निडरता के साथ करती रहीं ।
इन्होंने गोद भराई, अन्नप्राशन, टीएचआर यानि टेक होम राशन का वितरण जैसे कार्यों को सुचारू रखने व लाभान्वितों को मिलने वाली सुविधाओं को उन तक पहुंचाने के कार्यों को बखूबी अंजाम दिया।
सेविका रिषियंका देवी यह भी बताती है कि फील्ड में जाने के बाद वह भी डर के साए में ही जीती थी क्योंकि उनके भी छोटे-छोटे बच्चे थे ऐसे में कोरोना वायरस को लेकर भय बना हुआ था। वह बताती है कि इस काम में उनके पति का काफी सहयोग मिला।
वह घर पर बच्चों को संभालते थे, और रिषियंका आंगनवाडी से जुड़े कार्यों को लोगों के घर घर जाकर पूरा करती थी। टीएचआर का वितरण हो या गोद भराई तथा अन्य कोई भी कार्य हो तो इसके लिए पूरी सावधानी बरतनी पड़ती थी।
लोगो के गुस्सा का शिकार होना पड़ता था
सेविका रिषियंका देवी ने बताया उस वक्त कोरोना को लेकर लोगों के बीच में एक अलग भय व्याप्त था। लोगों को बस यही पता था कि “मुझे कोरोना हो जाएगा तो मैं मर जाऊंगा”। गृहभ्रमण के दौरान अक्सर उन्हें लोगो के गुस्सा का शिकार होना पड़ता था।
उन्होंने बताया कि “काफी समझाने बुझाने के बाद कुछ लोग राजी होते थे, पर घर का कोई भी सदस्य हम लोग के करीब नहीं आते थे, परंतु हम लोग के द्वारा किए जा रहे कार्यों को लेकर परिवार के सदस्य काफी गौरवान्वित महसूस करते थे और हमेशा हौसला बढ़ाते थे।
परिवार के द्वारा हौसला बढाए जाने पर कोविड-19 को लेकर डर कम हो जाता था और एक नई ऊर्जा के साथ अगले दिन अपने कार्यों को अंजाम देने के लिए निकल पड़ते थे”।
कोविड-19 ने बेहतर कार्य करने का हौसला प्रदान किया
सासाराम सदर के सीडीपीओ आशा कुमारी कहती है कि “कोविड-19 जैसे वैश्विक महामारी ने खराब परिस्थितियों में भी लोगों को बेहतर कार्य करने का हौसला प्रदान किया है। ” ऐसे में स्वास्थ्य एवं पोषण की सुविधाओं को घर घर पहुंचाने में अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य एवं पोषणकर्मियों की भूमिका अहम रही है ।
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सेविका रिषियंका देवी ने हमें यह सिखाया कि परिस्थितियां कितनी भी बुरी हो अगर हौसले मजबूत हो तो हम किसी भी समस्या से निपट सकते हैं।
उन्होंने बताया कि कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी में भी हम लोगों ने परियोजना के साथ-साथ कोविड-19 को लेकर दिए गए कार्यों को बखूबी अंजाम तक पहुंचाया और आज भी रिषियंका देवी जैसी सेविका सहायिका एवं पर्यवेक्षिका अपने कार्यों को बखूबी अंजाम दे रही हैं ।
लवली प्रॉफ़ेशनल यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने वाले सासाराम के करपुरवा निवासी रवि रंजन ने 6 वर्ष पहले अपने गृहशहर में जिस चीज का नींव रखा था वो अब ब्रांड बनने लगा है । रवि रंजन ने 2014 में इंजिनियरिंग को डिग्री पूरी करने के तुरंत बाद ही, अपने गृह शहर सासाराम में शिक्षा रूपी बीज लगाया था, आज वह पेंड बड़ा हो कर रवि रंजन के अलावे कई शिक्षकों को रोजगार और बच्चों को शिक्षा दे रहा है ।
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रंजन फिजिक्स क्लासेज !!
कभी छोटे से इन्वेस्टमेंट से शुरू हुआ रंजन फिजिक्स क्लासेज के सफ़र में अब शहर के 4 लोकेशन्स जुड़ चुके हैं । गौरक्षणी ,सिविल लाइंस, बौलिया रोड के साथ अमरा तलाव में भी संस्था सक्रीय है ।
साइंस के स्पेस्लिस्ट !!
9 वी और 10 वीं क्लास के बच्चो को साइंस के सभी सब्जेक्ट ( बायोलॉजी, केमिस्ट्री, फिजिस्क्स) को पढ़ाते हैं जबकि 11 और 12 क्लास के छात्रों को सिर्फ फिजिक्स का सेवा दे रहे हैं ।
देश को देते हैं इंजीनियर और डॉक्टर !!
रंजन फिजिक्स क्लासेज के कई विद्यार्थी आगे चल कर इंजिनियर और डॉक्टर बन रहे हैं । अभी पिछले वर्ष ही रंजन फिजिक्स क्लासेज की पूर्व छात्र इशिता ने नीट क्वालीफाई किया था। इसके अलावा भी सक्सेसफुल विद्यार्थियों को लिस्ट लंबी है , सबका नाम लिखना संभव नहीं है ।
92% और 93% लाने वाले छात्र !!
इस बार रंजन फिजिक्स क्लासेज के निधि कुमारी और निशांत सिंह ( ईश्वरचंद विद्यासागर स्कूल ,सासाराम) ने क्रमशः 93 और 92 % अंक मैट्रिक के परीक्षा में प्राप्त किया था ,जबकि भाग्य श्री ( डीएवी स्कूल) ने 12 विं क्लास में विज्ञान में 83% अंक प्राप्त किया था ।
संस्था का खुद का मोबाइल एप !!
रंजन फिजिक्स क्लासेज ने खुद का एलएमएस सॉफ्टवेयर लॉन्च किया है ,जिसकी मदद से विद्यार्थी घर बैठे क्लासेज अटेन कर सकते हैं । इस मोबाइल एप का नाम लर्न इनफिनिटी है ।
आगे की तैयारी !!
रंजन फिजिक्स क्लासेज निर्धन और गरीब छात्रों के लिए जल्द ही विशेष कार्यक्रम लाने वाला है । रंजन फिजिक्स क्लासेज के शिक्षक रवि बताते हैं की उनका सपना सासाराम शहर को शिक्षा का हब बनाने का है । उनका सपना हैं कि सासाराम में अलग अलग संस्थाएं आगे बढ़े और सब मिल जुल कर कोटा के तर्ज पर बिहार के सासाराम शहर को भी खड़ा किया जाए ।
अफगानी स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना शेरशाह का मकबरा अपने एतिहासिक मत्व के साथ ख़ूबसूरती के लिए दुनिया भर में मशहूर है । शेरशाह सूरी अपने शासनकाल (वर्ष 1540 -1545 ईस्वी) में मध्य युग के महत्वपूर्ण शासकों में गिना जाता है। शेरशाह सूरी के बचपन का नाम फरीद खान था । शेरशाह सूरी को ‘शेर खान’ के नाम से भी जाना जाता है । मुगल सल्तनत के बादशाह हुमायूं को धूल चटा कर 1540 में शेरशाह दिल्ली की गद्दी पर बैठे थे।
Side View : SherShah Tomb Sasaram
चन्द्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक महान द्वारा बनाई गई उत्तरपथ नाम से जानी जाने वाली और बांग्लादेश से अफगानिस्तान तक फैली हुई कच्ची सड़क ( ग्रैंड ट्रंक रोड : सोर्स विकिपीडिया ) को जीर्णोद्वार करके पुनर्जिवित करने और भारतीय रुपये के प्रथम संस्करण ‘रुपया’ का चलन प्रारंभ करने, एक वेल एस्टेब्लिशड पोस्टल सर्विस प्रारंभ करने के साथ-साथ कई ऐतिहासिक कार्य शुरू करने के लिए शेर शाह सूरी मशहूर है। बिहार का सासाराम सूफी संतों और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए प्रख्यात है । यहां पर हर 5 से 10 किलोमीटर की दूरी पर कोई ना कोई ऐतिहासिक धरोहर मिल ही जाता है, जिसका इतिहास के पन्नों सुनहरे अक्षरों में नाम दर्ज है । उन्हीं में से एक है रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम स्थित बादशाह शेरशाह सूरी का अति विशाल मकबरा । 52 एकड़ के तलाब के मध्य में स्थित शेरशाह सूरी का यह मकबरा विश्व के ऐतिहासिक धरोहरों में से एक माना जाता है ।
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यूनेस्को के विश्व धरोहर की सूची में है शामिल है मकबरा !!
Sher Shah Suri Ka Makabra
शेरशाह सुरी का मकबरा
अफगान वास्तुकला का शानदार नमूना होने के कारण संयुक्त राष्ट्र ने 1998 में इस मकबरे को विश्व धरोहरों की सूची में महत्वपूर्ण स्थान दिया था ।
Entry Gate : Sher Shah Tomb
यह मकबरा 1130 फीट लंबे और 865 फीट चौड़े तालाब के बीचों बीच स्थित है। तालाब के मध्य में सैंड स्टोन के चबूतरे/बेस पर अष्टकोणीय मकबरा सैंडस्टोन एवं ईंट से बना है। इसका गोलाकार स्तूप 250 फीट चौड़ा तथा 150 फीट ऊंचा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि, इसकी गुंबद की ऊंचाई ताजमहल से भी दस फीट अधिक है।
शानदार बारीक नक्काशी की गई है मकबरा में !!
SherShah Tomb Sasaram
SherShah Tomb Sasaram
मकबरे के अंदर ऊंचाई पर बनी बड़ी-बड़ी रोशनदानें इसे हवादार और रोशनीयुक्त बनाती हैं। सभी खिड़कियों पर की गई बारीक नक्काशी पर्यटकों को उस समय के कारीगरी को दाद देने को मजबूर कर देती हैं।
शेरशाह सूरी का कब्र मकबरे में मौजूद है !!
Grave yard of shershah suri inside the tomb
शेरशाह का कब्र मकबरे में मौजूद है । गलती से तोप के गोले के रिवर्स बैक होने से शेरशाह की मृत्यु कालिंजर में हुई थी । शेरशाह के मकबरे में शेरशाह की कब्र के अलावे भी 24 और कब्रें हैं, ये इनके परिवार के सदस्यों, मित्रों और अधिकारियों की हैं। सभी के ऊपर कुरान की आयतें खुदी हुई हैं।
उमड़ता है पर्यटकों का सैलाब !!
सालो भर पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है । इन पर्यटकों में मुख्य रूप से देशी पर्यटक रहते हैं । लेकिन समय समय पर विदेशी पर्यटकों का भी आगमन होते रहता है ।
कैसे पहुंचें शेरशाह मकबरा ?
Direction : SherShah Tomb
रोडवे : सासाराम शहर के किसी भी कोने से बाई रोड आसानी से पहुंचा जा सकता है । आपको बताते चलें कि, यहां पहुंचने के लिए रौजा रोड और रौजा रोड नंबर 1 ( प्रभाकर रोड) मुख्य रोड हैं ।
रेलवे : बनारस और गया के बीच सासाराम एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है । देश के विभिन्न राज्यों से आसानी से डायरेक्ट या दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन (मुगल सराय) से ट्रेन बदल कर सासाराम पहुंचा जा सकता है ।
एयरवेज : नजदीकी एयपोर्ट गया है । बनारस भी नजदीक है । पटना भी विकल्प हो सकता है ।
टिकट की व्यवस्था !!
Ticket Counter : SherShah Suri Tomb
शेरशाह सूरी मकबरा में आने वाले पर्यटकों के लिए भारतीय पुरात्त्व विभाग की टिकटें लगती हैं । रौजा के पार्किंग क्षेत्र में ही टिकट काउंटर है ।
कोरोना काल में विशेष व्यवस्था : क्यूआर कोड के साथ ऑनलाइन टिकट निकालने की व्यस्था उसी पुराने काउंटर के पास है ।
UnderConstruction : New Ticket Counter
गाड़ी पार्किंग की व्यवस्था !!
Parking Area : SherShah Tomb
शेरशाह सूरी मकबरा में आने वाले पर्यटकों के लिए गाड़ी पार्किंग की अच्छी व्यवस्था है । गाड़ी पार्किंग के लिए आपको शुल्क देना पड़ेगा ।
Parking Rates : SherShah Rauza
अलग अलग गाड़ियों के अलग अलग पार्किंग रेट हैं । पार्किंग के लिए शुल्क भुगतान के बाद आपको रशीद भी मिलेगा ।
शौचालय की व्यवस्था !!
Toilet : SherShah Suri Tomb
शेरशाह सूरी मकबरा में आने वाले पर्यटकों के लिए निशुल्क शौचालय की व्यवस्था है । गाड़ी पार्किंग वाले क्षेत्र में ही महिला और पुरुष के लिए अलग अलग शौचालय उपलब्ध है।
कैसा है व्यवस्था ?
ठीक ठाक है, काम चलाऊ । थोड़ा गंदा और देख रेख़ की कमी है । लेकिन जरूरत पूरा कर सकता है ।
पानी पिने की व्यवस्था !!
Drinking Water : SherShah Tomb
शेरशाह सूरी मकबरा में आने वाले पर्यटकों के लिए पानी पिने की निशुल्क व्यवस्था है । पार्किंग वाले क्षेत्र में ही पानी की व्यवस्था है ।
कैसा है व्यवस्था ?
आरो का फिल्टर्ड पानी नहीं है । लेकिन प्यास बुझाया का सकता है । बिस्लरी की पानी बोतलें गेट के पास ठेलों पर उपलब्ध रहती है ।
खाने पीने की व्यवस्था ?
शेरशाह सूरी मकबरा में आने वाले पर्यटकों के लिए हल्के फुल्के स्ट्रीट फूड शेरशाह मकबरा गेट के पास ठेलों पर उपलब्ध रहते हैं । इसमें मुख्य रूप से मूंगफली , चाट,समोसे, गोलगप्पे , स्नैक इत्यादि शामिल हैं । रौजा रोड में मौर्या रेस्टुरेंट एंड होटल है । मकबरा से पोस्ट ऑफिस चौराहा की ओर बढ़ने पर अन्य अच्छे होटल और रेस्टुरेंट भी मिल जाएंगे । जिसमे उपहार होटल ,उपकार होटल, जीएसबी रेस्टुरेंट, प्रिंस रेस्टुरेंट, लाजवाब रेस्टुरेंट, बीएनएस होटल एंड रेस्टुरेंट शामिल हैं ।
ठहरने की व्यवस्था ?
शेरशाह सूरी मकबरा में आने वाले पर्यटकों के लिए सासाराम शहर में ठहरने के लिए कई होटल है । रौजा रोड में मौर्या होटल, धर्मशाला चौराहा के पास गोपाल होटल, अंकुर होटल, फजलगंज में नटराज होटल, मेहता कॉलोनी के पास रोहित इंटरनेशनल होटल सहित शहर में कई छोटे बड़े होटल उपलब्ध हैं ।
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पर्यावरण और जलवायू परिवर्तन के खतरों से मानव सभ्यता को बचाने के लिए सासाराम के तकिया मुहल्ले के निवासी अनिल कुमार ( पैतृक गांव कथराई ,कोचेस ) घूम घूम कर लोगों को जागरूक कर रहे हैं । गांव के मस्जिद से लेकर सरकारी विद्यालय तक सबको हरा भरा बना चुके हैं। गांव के अनपढ़ बुजुर्ग भी अनिल के बातों को मानते है । पेड़ पौधों का महत्व गांव के बच्चे बच्चे को मालूम है ।
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करोना काल में गांव बना तुलसी ग्राम !!
करोना काल में पूरा विश्व त्राहि त्राहि कर रहा है । किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा है कि
Katdihari
क्या करें । ऋषियों मुनियों का देश होने के चलते भारत को आयुर्वेद का वरदान प्राप्त है । हमारे यहां इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए तरह तरह की जड़ी बूटियां है । इन जड़ी बूटियों को युगों युगों से भारतीय पूर्वज उपयोग करते आ रहे है । इसमें कई तरह के औषधीय गुण युक्त पौधे भी शामिल हैं ।
तुलसी इसी तरह के पौधों में शामिल है । तुलसी पत्ते के काढ़ा पीने का प्रचलन भारत में शुरू से रहा है , लेकिन करोना काल में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए इसका प्रयोग पहले के तुलना में कई गुना बढ़ गया है । गरीब अमीर सभी इसका उपयोग कर रहें हैं । अत्यधिक उपयोगी होने के कारण इसका शॉर्टेज भी हो गया है । आसानी से मिलने वाले तुलसी पत्ते अब थोड़ा बहुत मेहनत करवाने लगे है ।
अनिल का पैतृक घर कोचस के कथराई में है ।
Katdihari
अनिल ने अपने गांव के मुख्य रोड किनारे लगभग 1 से 1.5 किलोमीटर तक तुलसी पौधा का नर्सरी तैयार किया है । यहां से गुजरने वालों को विशेष तरह की अनुभूति होती है । हवाओं में ताजगी रहती है और मूड फ्रेश और रिलैक्स करने की भी क्षमता है ।
मस्जिद और स्कूल को भी पेड़ो का छांव दिलाया !!
Mosque Katdihari
अनिल बताते हैं कि गांव के मुस्लिम समाज के नव युवकों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करके उन्हें मस्जिद के पास पेड़ लगाने को उन्होंने मनाया था ।
Mosque tree plantation Katdihari
मस्जिद के पास अशोक के कई पेड़ लगाए गए हैं । इसी तरह सरकारी स्कूल में भी कई पेड़ लगाए गए हैं ।
आप भी ले सतके है तुलसी पौधा !!
तुलसी पौध लेने के लिए 748 495 0655 पर संपर्क कर सकते हैं , अनिल ने बताया कि एक परिवार को एक ही पौधा उपलब्ध कराया जाएगा । ऐसा इसलिए किया जा रहा है, ताकि हर जरूरतमंद को मिल सके ।
है समाज सेवा का जज़्बा !!
अनिल सरकारी नौकरी की तैयारी करने के साथ समाज सेवा का भी जज़्बा पाले हुए हैं । जब भी इन्हे समय मिलता है सासाराम के प्रतिष्ठित सामाजिक संगठन “रैप – रिवोल्यूशन अगेंस्ट पॉल्यूशन” के कार्यों में हाथ बंटाने आ जाते हैं । अभी हाल के 10 दिनों के भीतर रैप के “क्लीन वॉटर बॉडीज” कार्यक्रम के अन्तर्गत मां तुतला भवानी, मांझर कुंड और शेर गढ़ किला को साफ करने में महत्वपूर्ण योगदान दे चुके हैं ।
बिहार राज्य के रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम में कैमूर पहाड़ी के गुफा में स्थित माँ ताराचण्डी देवी का मंदिर सासाराम नगर से 5 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है और अशोक शिलालेख से लगभग 1 किमी दूर स्थित हैं। यहाँ चंडी देवी मंदिर के पास, चट्टान पर सासाराम के प्राचीन राजा प्रताप धवल का एक शिलालेख भी है। हिंदू ,सिक्ख,बौद्ध ,जैनी पूजा करने के लिए यहाँ बड़ी संख्या में आते हैं । इसलिए यह एक सुंदर धार्मिक स्थल बन गया है । चारो तरफ से पहा़ड, झरने और जल स्त्रोतों के बीच स्थित ताराचंडी मंदिर का मनोरम वातावरण मन मोह लेता है |
Main Temple Tarachandi Dham
यह भारत के 51 प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है । अपनी मनोकामनाओं के पूरी होने की लालसा में दूर-दूर से यहां भक्त आते हैं । माँ ताराचण्डी के दर्शन के लिए नवरात्री में श्रद्धालुओ का ताँता लगा रहता हैं | कथाओं, ग्रंथो और प्राचीन मान्यताओ के अनुसार माता के तारा रूप की पूजा यहाँ होती हैं । वैसे तो यहां सालो भर भक्तो की आना लगा रहता है, लेकिन नवरात्र मे यहा पूजा अर्चना का विशेष महत्व होता है |
Devotees in Nauratri
नवरात्र में दूर-दराज से यहाँ भक्तो का आना होता हैं । कहा जाता है कि यहा आने वालो की हर मनोकामना माता रानी पूरी करती है । इसलिए लोग इन्हें मनोकामना सिद्धी देवी भी कहते हैं । सासाराम नगर से 5 किलोमीटर दक्षिण में स्थित इस मंदिर के प्रति, यहाँ के लोगो में बहुत ही ज्यादा श्रद्धा और विश्वास हैं । नवरात्र में मां दुर्गा के आठवें रुप की पूजा होती है । अष्टमी को मां के दरबार मे दर्शन के लिए तांता लगा रहता है । दूर-दराज से आए लोग मां के दरबार में मत्था टेकने के बाद मां से आशीर्वाद के साथा-साथ सुख समृद्धि की भी कामना करते हैं | माँ ताराचंडी विन्ध्य पर्वत के कैमूर पर्वत श्रृंखला में विराजमान हैं | भारत के अन्य 51 शक्तिपीठों में इसका स्थान प्रमुख शक्तिपीठ के रूप में है |
माँ ताराचण्डी धाम और कथा
wide view of Temple premises
इस शक्तिपीठ के बारे में कहा गया है की किंवदंती सती के तीन नेत्रों में से श्री विष्णु के चक्र से खंडित होकर दायां नेत्र यहीं पर गिरा था, जिसे तारा शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है । धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महर्षि विश्वामित्र ने इस पीठ का नाम तारा रखा था । दरअसल, यहीं पर परशुराम ने सहस्त्रबाहु नामक क्षत्रीय राक्षस को पराजित कर मां तारा की उपासना किया था । आपको बताते चलें कि इसी सहस्त्रबाहु और परशुराम के नाम से मिलकर शहर का नाम सहस्त्राम ( बाद में सहसराम और अभी सासाराम ) बना है । मां ताराचंडी इस शक्तिपीठ में बालिका के रूप में प्रकट हुई थीं और यहीं पर चंड का वध कर चंडी कहलाई थीं.
गुरु-शिष्य परंपरा का भारतीय संस्कृति में पवित्र स्थान है । माता-पिता को जीवन का पहला गुरु माना जाता है । भारत में प्राचीन समय से ही गुरु व शिष्य परंपरा चली आ रही है, जीने का असली सलीका हमें शिक्षक ही सिखाते हैं। गुरु हमें सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।
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भारत में कब मनाया जाता है शिक्षक दिवस ?
भारत में प्रतिवर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। पहले उप राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म-दिवस के अवसर पर शिक्षकों के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए भारत में शिक्षक दिवस 5 सितंबर को मनाया जाता है। ‘गुरु’ का सबके जीवन में महत्वपूर्ण स्थान होता है। सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षा में बहुत विश्वास रखते थे। वे एक महान दार्शनिक और शिक्षक थे। विवेकानंद से प्रभावित थें । उन्हें अध्यापन से गहरा प्रेम था। एक आदर्श शिक्षक के सभी गुण उनके अंदर मौजूद थे। शिक्षक दिवस के अवसर भारत भर के चुनिंदा शिक्षकों को उनके कार्यों के लिए भारत सरकार द्वारा पुरस्कार देने की भी परंपरा है ।
क्या होता है शिक्षक दिवस के दिन ?
इस दिन सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई बंद रहती है। स्कूलों में प्रोग्राम, धन्यवाद और स्मरण की गतिविधियां होती हैं। बच्चे व शिक्षक दोनों ही सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेते हैं और दिन को खास बनाते हैं। स्कूल-कॉलेज सहित अलग-अलग संस्थाओं में शिक्षक दिवस पर विविध कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। छात्र विभिन्न तरह से अपने गुरुओं का सम्मान करते हैं, तो वहीं शिक्षक गुरु-शिष्य परंपरा को कायम रखने का संकल्प लेते हैं।
दुनिया के अन्य देशों में भी मनाया जाता है शिक्षक दिवस।
अलग-अलग देशों में अलग-अलग तारीखों पर शिक्षक दिवस मनाने की परंपरा है । चीन : 10 सितम्बर, पाकिस्तान : 5 अक्टूबर, श्रीलंका : 5 अक्टूबर, बांग्लादेश : 5 अक्टूबर, भूटान :5 अक्टूबर, कैनेडा : 5 अक्टूबर, रोमानिया : 5 अक्टूबर ,सऊदी अरब : 5 अक्टूबर, ब्राजील : 15 अक्टूबर, ऑस्ट्रेलिया : अक्टूबर के अंतिम फ्राइडे को । इसके अलावे भी बाकी बचे दूसरे देशों में विभिन्न तारीखों पर मनाया जाता है शिक्षक दिवस।
करोना का क्या प्रभाव है शिक्षक दिवस पर ?
करोना काल में सभी स्कूल कॉलेज बंद हैं , बच्चे घरों में रह कर ही फोन, इमेल और सोशल मीडिया के माध्यमों से अपने शिक्षकों को नमन कर रहे हैं । जिन स्कूलों में शिक्षकों का जाना अर्थात उनकी हाजिरी जरूरी है ,वहां पर शिक्षक अपने तरीके से देश के पहले उप राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मोत्सव अर्थात शिक्षक दिवस मना रहे है ।
शहर का व्यस्त बाज़ार माने जाने वाले धर्मशाला रोड में नगर परिषद के लापरवाही के कारण आए दिन दुर्घटनाएं होने लगी है। पहले से ही सड़क सकरा और जाम के समस्या से आने जाने वाले लोग परेशान रहते थें । लेकिन अब “नहले पर दहला हो गया है” ।
कल देर शाम धीरे धीरे आ रही एक कार उस गड्ढे में फंस गई । गाड़ी का अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया । गलिमत था कि , गाड़ी धीमे रफ्तार में थी ,इसलिए अधिक चोट नहीं आई। अगर गाड़ी तेज रफ्तार में होती तो वहां बड़ी दुर्घटना होने के संभावना कोई नहीं नकार सकता है ।
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गड्ढे को देखिए और सोचिए
इस गड्ढे के आकार और लोकेशन को देख कर समस्या के गंभीरता को समझा जा सकता है । आप सोच सकते हैं कि , जिस जगह पर यह गड्ढा हुआ है ,बाज़ार में भीड़ होने पर या गाड़ी पास के समय , साइड लेते समय यहां दुर्घटना होने के चांसेज कितना है ।
क्या हो गया है ? धर्मशाला पर ?
मुख्य चौराहा धर्मशाला रोड में गांधी जी के प्रतिमा के ठीक बगल में नाली के उपर बड़ा सा छेद हो गया है । यह छेद नाली टूटने के कारण या किसी कारण वस स्लैब हटने के कारण हुआ है ।
कल शाम को कई लोग बड़ी दुर्घटना से बचे थे !
कल भीड़ अधिक होने के कारण जो भी उस रोड से गुजरता था, उसकी स्पीड कम होती थी । स्पीड कम होने के कारण दुर्घटना में नुकसान का लेवल कम हो जाता है । लेकिन अगर कोई थोड़े तेज रफ्तार में वहां से पास करेगा तो , निश्चित ही बड़ी दुर्घटना जिसमे हाथ ,पैर, इत्यादि टूटना तय है ।
क्या है समाधान ?
नगर परिषद और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को विशेष रुचि लेकर इस गड्ढे के कारण होने वाले दुर्घटनाओं को टाला जा सकता है। यह गड्ढा बीच रोड पर और धर्मशाला चौराहा जैसे व्यस्त इलाके में है इसलिए यह स्पेशल केस है । धर्मशाला रोड सिर्फ बाज़ार नहीं है, बल्कि पीछे के कई मुहल्लों का मुख्य रास्ता है । पुराने शहर का द्वार है यह । शहर के बड़ी आबादी को इस रोड से हो कर गुजरना पड़ता है । इसका समाधान प्रायोरिटी पर करना चाहिए ।
सासाराम के शोभागंज मुहल्ले के रहने वाले अभिजीत ने करोना काल में चरमरा चुके आर्थिक हालातों में शिक्षित बेरोजगारों के लिए “तिनके को सहारा” साबित हो रहे है ।
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स्टार्टअप से आत्मनिर्भर भारत बनाने के सपने को करेंगे साकार !!
डीएवी स्कूल सासाराम के पूर्व छात्र रहे हैं अभिजीत । इन्होंने नया स्टार्टअप किया है , जो कि सिर्फ सासाराम ही नहीं बल्कि पूरे रोहतास में रोजगार उपलब्ध कराएगा । इनके फूड एंड ब्रिवरेज कम्पनी का नाम “Aditya Traders” है । दिल्ली एनसीआर के गाजियाबाद के मां लक्ष्मी – इजी फन कम्पनी की इकाई है अभिजीत की आदित्य ट्रेडर्स कंपनी ।
क्या है कम्पनी का काम ?
आदित्य ट्रेडर्स फूड एंड ब्रीवरेज कम्पनी है । इसका मुख्य काम प्रोडक्ट मैनेजमेंट और सप्लाई करना है ।
किसको मिलेंगी नौकरियां ?
कई तरह की नौकरियों में ,दो तरह की नौकरियां प्रमुख है , 1. डिलरों के लिए बढ़िया मौका है । रोहतास जिले हर इलाके में व्यक्ति डीलर बन सकता है । 2. मार्केट रिपरजेंटेटिव : यह नौकरी भी अच्छी चॉइस हो सकती है , खास कर शिक्षित बेरोजगारों के लिए ।
क्या करना पड़ेगा नौकरी के लिए ?
किसी भी जानकारी के लिए नीचे दिए गए नंबरों पर संपर्क कर सकते है । 99 3493 9122 91 2347 2467
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कम्पनी के प्रमुख कैटेगरी में नमकीन,रिंग, ट्रायंगल, स्टिक,चिप्स,राइस पफ है । इन कैटेगरी के अंदर बहुत सारे आईटम्स है , जो कि इस प्रकार है ।
सासाराम के प्रतिष्ठित संगठन रैप के द्वारा पर्यटन स्थल खास कर वॉटर बॉडीज वाले स्पॉट्स को साफ करने के अभियान का शुभारंभ तुतुला भवानी को साफ करके किया जा चुका है । DFO रोहतास, IAS प्रदुम्न गौरव ने इसका अध्यक्षता किया ।
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समस्या क्या है ? और क्या किया समाधान ?
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पिकनिक मनाने लोग जाते हैं , लेकिन खाना खा कर ग्नदागी और प्लास्टिक वहीं फेंक देते है । जिससे दूसरे पर्यटकों को तकलीफ़ होती है । बिहार के पर्यटन स्थलों के विकास नहीं होने का कारण इसी मानसिकता के लोग भी हैं । इन लोगों के कारण, दूसरे लोग अपने धरोहरों पर गर्व नहीं कर पाते हैं , नीच दृष्टि से देखते है और इसी तरह के चीजों को देखने बड़ी रकम को खर्च करके दूसरे राज्यों में जाते है । तुतुला भवानी परिसर के अंदर हर जगह कचड़े बिखरे हुए थे, मृत गाय का डेड बॉडी भी दुर्गंध दे रहा था ।
रैप टीम के 25 से अधिक सदस्यों ने 1 ट्रैक्टर कचड़े को इकट्ठा करके उचित स्थान पर वन विभाग के मदद से डिस्पोज करवाया ( तस्वीरें देखें ) । लगभग 1 किलोमीटर के मंदिर परिसर और झरने के आस पास आज दिन भर यह अभियान चला । पर्यटकों को साफ सफाई रखने का पाठ भी पढ़ाया गया ।
Thankyou Dfo Sir
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DFO ने रैप के सदस्यों के खाने पीने का उच्चतम क्वालिटी के भोजन का भी प्रबंध कराया । ट्रैक्टर सहित कई चीजों का खर्च उठाया । वन विभाग के फोर्स भी उपलब्ध थें । DFO खुद भी मुआयना करने आए और लगभग 1 घंटे तक साथ रहें । इस सहयोग के लिए डीएफओ सर को रैप टीम तहे दिल से धन्यवाद करता है ।
डीएफओ के सख्त तेवर
पर्यटन स्थलों पर गंदगी फैलाने वालों पर डीएफओ सख्त दिखें , कई लोगों को रोक कर पूछ ताछ किए और गड़बड़ी फैलाने वालों को इसबार चेतावनी देकर छोड़ दिए ।
आपको बताते चलें कि , पर्यटन स्थलों के स्थित पर गंभीर डीएफओ ने अधिकारियों को कई दिशा निर्देश भी दिए । तुतुला भवानी परिसर में पिकनिक मना कर इधर उधर कचड़ा फेंकने वालो पर 50 रुपए के फाइन का निर्देश दिए । नवनिर्मित रोप ब्रिज का भी मुआयना किए और वहां पर चल रहे कई बड़े विकास कार्यों का भी जायजा लिए ।
रैप संगठन अब क्या करेगा ?
तुतुला भवानी में साफ सफाई का अभियान चलाने के बाद रैप का टीम आज “क्लीन वॉटर बॉडीज कार्यक्रम” के तहत मांझर कुंड को गंदगी मुक्त बनाएगा । उसके बाद लिस्ट में शेरगढ़ किला सहित कई अन्य पर्यटन स्थल भी शामिल हैं । तुतुला भवानी कार्यक्रम में डीएफओ और पुलिस फोर्स के अलावा रैप के मनी राज सिंह, विनीत प्रकाश, शिवानंद शौंडिक, अजय ,सत्यपाल ,रोहित, मनीष कुमार मौर्य , सईद अल्तमश सहित 25 सदस्य मौजूद थें । जाते जाते डीएफओ ने रैप के नेक कार्यों का ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए शाबाशी देने के साथ ,हर समय साथ खड़े होने का भरोसा दिया ।