सासाराम के बाल विकास विद्यालय के लाल ने मारा यूपीएससी 2020 में बाजी – Sasaram Ki Galiyan
इंडियन सबकंटीनेंट की 5 महिलाएं, जिनकी किताबें सबको पढ़नी चाहिए । 5 Ladies Of Indian Subcontinent , Whose Books Should Be Read By Everyone
साहित्य की दुनिया में महिलाओं का योगदान बहुत ज़रूरी रहा है । सदियों से अपनी ज़िंदगी की कहानियों को राइटिंग की शक्ल देकर उन्होंने अपनी आवाज़ दुनिया तक पहुंचती आई है। भारत और उसके पड़ोसी देशों की कई महिलाएं भी अपने अनुभवों और आसपास की सामाजिक व्यवस्थाओं के बारे में लिखकर साहित्यकार के तौर पर प्रसिद्ध हुईं हैं। अलग-अलग देशों में रहने के बावजूद दक्षिण एशिया के इंडियन सबकांटिनेंट की औरतों की सामाजिक परिस्थितियां लगभग एक जैसी हैं, जो उनके लेखन में साफ़ उभरकर आती हैं। आज हम मिलेंगे मौजूदा समय में दक्षिण एशिया की पांच ऐसी लेखिकाओं से,जो अपने लेखन के ज़रिए अपनी सामाजिक परिस्थितियों में औरत होने के अनुभव पर रोशनी डालती हैं ।
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मीना कंदस्वामी | साभार : Kandasamy.co.uk |
मीना एक कवियत्री हैं जिनकी कविताएं जाति, नारीवाद, और भाषा जैसे टॉपिक्स पर आधारित हैं । भारत में एक दलित औरत होने का अनुभव वे अपने लेखन में बखूबी बयान करती हैं। वे अंग्रेज़ी में लिखतीं हैं और साल 2001 से साल 2002 तक ‘दलित मीडिया नेटवर्क’ की द्विमासिक पत्रिका ‘द दलित’ की संपादक थीं। वे ‘टच’ और ‘मिस मिलिटेंसी’ नाम के दो कविता संकलन भी प्रकाशित कर चुकीं हैं और फ़िलहाल ‘कास्ट एण्ड द सिटी ऑफ़ नाइन गेट्स’ नाम के उपन्यास पर दिन रात काम कर रही हैं। आपको बताते चलें कि मीना ‘आउट्लुक इंडिया’ और ‘द हिंदू’ के लिए नियमित लिखतीं हैं और साथ में दलित लेखकों की किताबों का अंग्रेज़ी में अनुवाद भी करती हैं।
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कामिला शामसी | साभार : The Indipendent |
2. कामिला शामसी (पाकिस्तान)
कामिला भी अंग्रेज़ी में लिखती हैं और कहतीं हैं कि लिखने की प्रेरणा उन्हें कश्मीर के महान कवि आग़ा शाहिद अली से मिली। कॉलेज में रचनात्मक लेखन की पढ़ाई करते हुए उन्होंने अपना पहला उपन्यास ‘इन द सिटी बाइ द सी’ लिखा। राष्ट्रपति ज़िया-उल-हक़ के क्रूर, अत्याचारी शासन का वर्णन करता यह उपन्यास साल 1998 में बड़े स्तर पर प्रकाशित हुआ, जब कामिला 25 साल की थी। इनका दूसरा उपन्यास ‘सॉल्ट ऐंड सैफ्रन’ साल 2002 में आया जो पाकिस्तान में पारिवारिक और सामाजिक ज़िंदगीयों के बारे में है। कामिला की ज्यादातर कृतियां राजनीतिक घटनाओं से जुड़ी हैं। इसके साथ ही वह अपने नए उपन्यास ‘होम फायर’ (2017) के लिए वे ‘विमेंस प्राइज़ फ़ॉर फिक्शन’ जीत चुकीं हैं। यह उपन्यास इंसानों के सांस्कृतिक परिचय के विकास के बारे में हैं। कामिला मशहूर पाकिस्तानी पत्रकार मुनीज़ा शामसी की बेटी हैं।
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झमक घिमिरे | साभार : Enabled |
3. झमक घिमिरे (नेपाल)
झमक कुमारी घिमिरे जन्म से ‘सरीब्रल पॉल्ज़ी’ रोग से ग्रस्त हैं। इस बीमारी के कारण वे ठीक से बोल नहीं पाती और अपने हाथ नहीं चला पाती जिसके कारण उन्हें अपने बाएं पैर से लिखना पड़ता हैं। वह ‘कांतिपुर समाचार पत्र’ के लिए नेपाली भाषा में नियमित लेख लिखती हैं। झमक कुमारी के लेखन में नारीवादी दृष्टिकोण से सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों का विश्लेषण होता है। साल 2005 में वह नोबेल शांति पुरस्कार के लिए चुनी गई नौ नेपाली महिलाओं में से एक थीं। अपनी आत्मकथा ‘जीवन कांडा कि फूल?’ (‘जीवन कांटा है या फूल?’) के लिए झमक को नेपाल सरकार की ओर से प्रतिष्ठित ‘मदन पुरस्कार’ से नवाज़ा गया है। वह एक कवियत्री भी हैं और अपनी कविताओं के चार संकलन प्रकाशित कर चुकी हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया है कि उनकी आत्मकथा का अंग्रेज़ी अनुवाद जल्द ही आने वाला है ।
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पुरबी बसु | साभार : Wikipedia |
4. पुरबी बसु (बांग्लादेश)
डॉ पुरबी बसु पेशे से फार्मकोलोजिस्ट यानी औषध विज्ञानी हैं और अमेरिका के मिसूरी विश्वविद्यालय से पीएचडी हैं। वे अपनी ही मातृभाषा बंगाली में लघुकथाएं लिखतीं हैं। उनकी कहानियां सशक्त महिला किरदारों के बारे में हैं जो अपने आस-पास की पितृसत्तात्मक दुनिया में खुद के लिए थोड़ी बहुत जगह बना लेती हैं और कुछ हद तक अपने लिए स्वतंत्रता हासिल कर लेती हैं। उनकी कहानियों का पहला संकलन साल 2009 में प्रकाशित हुआ था
जिसमें ‘राधा आजके रांधिबे ना’ (राधा आज खाना नहीं बनाएगी) और ‘सलेहा र इच्छा ऑनिच्छा’ (सलेहा की पसंद-नापसंद) जैसी कहानियां शामिल हैं। साल 2013 में उन्हें ‘बांग्ला अकादमी साहित्य पुरस्कार’ से भी नवाज़ा जा चुका है।
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रू फ़्रीमैन | साभार : O/R Books |
5. रू फ़्रीमैन (श्री लंका)
रू लेखिका के साथ साथ अध्यापिका और मानवाधिकार कार्यकर्ता भी हैं। उन्होंने लंबे समय तक मध्य-पूर्वी देशों में महिला प्रवासी मजदूरों पर शोधकार्य किया है। रू वॉशिंगटन डी.सी. के ‘इंस्टिट्यूट फ़ॉर पॉलिसी स्टडीज़’ की आपदा राहत योजनाओं में काम कर चुकी हैं। उनकी कृतियां भी निम्न वर्ग से आनेवाली महिला किरदारों के आसपास रची गई हैं। उनका पहला उपन्यास ‘अ डिसोबीडीयंट गर्ल’ तीन महिला किरदारों के नज़रिए से श्री लंका के इतिहास और वर्ग के आधार पर होने वाले भेदभाव की समस्या का वर्णन करता है। उनका दूसरा उपन्यास ‘ऑन साल माल रोड’ सामाजिक समुदायों पर युद्ध के प्रभाव के बारे में हैं। अपने लेखन के ज़रिए वे खासतौर पर वर्ग के आधार पर होने वाले भेदभाव और संघर्ष पर नज़र डालतीं हैं। वे ‘बॉस्टन ग्लोब’, ‘गार्डियन’, और ‘न्यू यॉर्क टाइम्स’ जैसे समाचार पत्रों के लिए भी नियमित लेख लिखतीं हैं।
सिर्फ़ यही चंद महिलाएं नहीं हैं, इन सभी देशों में ऐसी कई महिला साहित्यकार हैं, जिन्होंने अंग्रेज़ी और अपनी मातृभाषा में लेखन के ज़रिए अपने देश और समाज के मुद्दों की ओर दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है। अपनी कहानियां दुनियाभर की औरतों तक पहुंचाई हैं, ताकि उन्हें पता चले कि इस पितृसत्तात्मक दुनिया में वे अकेली नहीं हैं। उम्मीद है हम ऐसी और लेखिकाओं को पढ़ पाएं और दुनिया बदलने की प्रेरणा उनसे ले सकें।
लेखक : इंजीनियर मनीष कुमार ( सासाराम की गलियां )
करोना काल में सासाराम के युवा ट्रेनी पत्रकार ने यूं मनाया जन्मदिन..लोग बोले वाह !! – Sasaram Ki Galiyan
आपने हिल स्टेशन,5 स्टार होटल, बिच,में कई लोगों को जन्मदिन मनाते देखा और सुना होगा । लेकिन आज हम मिलवाते है , सासाराम के ऐसे शक्श से जिसका जन्मदिन गरीबों के लिए पर्व त्योहार से कम नहीं था । करोना और लॉकडॉउन से दो वक़्त का रोटी किसी तरह से जुगाड़ कर पाने वाले गरीब, पाई पाई के लिए तरस रहे हैं । बेचारे मास्क और अन्य सेफ्टी प्रोडक्ट्स भी नहीं खरीद पा रहे है । ऐसे में इनके उपर करोना का खतरा सबसे अधिक है । सिस्टम तो ऐसे भी गरीबों का नहीं होता ,चाहे दुनिया का कोई भी देश हो, गरीबों के हिस्से में धोखा,शोषण, इग्नोरेंस ही हाथ आता है ।
इसी चीज से दुखी और चिंतित हो कर सासाराम के बाराडिह निवासी , संत पॉल स्कूल के पूर्व छात्र, न्यूज 24 चैनल नोएडा के ट्रेनी जर्नलिस्ट शिवानंद सौंडिक ने अपने जन्मदिन पर कुछ खास करने क सोचा , जिससे समाज का कुछ भला हो । इन्होंने गरीबों के बीच निशुल्क मास्क बांटने का निर्णय लिया । इसकी शुरुआत इन्होंने अपने गांव बाराडिह के जरूरतमदों से किया , उसके बाद शहर के विभन्न हिस्सों में भी मास्क वितरण किया । जन्मदिन के अगले दिन भी यह कार्यक्रम जारी रहा ।
शिवानंद शौंडिक अभी तक लगभग 300 – 350 लोगों को मास्क पहना चुके हैं । शिवानंद से पूछने पर बताते हैं कि उन्हें ऐसा करके अच्छा लगता है । करोना से मरते हुए लोगों की खबरें सून कर व्यथित हो गए और जीवन के सही मीनिंग के उपर घंटो सोचते रहे , बाद में यही रियलाइज हुआ कि इंसानियत ही एक मात्र धर्म है और जब तक जीवन है एक दूसरे की मदद करना ही जीवन का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए ।
शिवानंद ने यह कार्यक्रम बिल्कुल निस्वार्थ भाव से किया था, उन्होंने फोटो भी नहीं लिया था । न्यूज के लिए फोटो मांगने पर किसी तरह अपने दोस्तों से फोटो मांग कर एक दिन बाद में दिए ।
आपको बताते चलें कि न्यूज 24 के ट्रेनी पत्रकार शिवानंद शौंडिक , शहर के चर्चित सामाजिक संगठन “रैप – रिवोल्यूशन अगेंस्ट पॉल्यूशन” के एक्टिव सदस्य होने के साथ कुछ राष्ट्रीय और स्टार्टअप मीडिया एजेंसियों के लिए फ्रीलेंस पत्रकारिता भी करते हैं । “सासाराम की गलियां ” के भी एडमिन हैं । इसके अलावा सिंगिंग, आर्ट्स इत्यादि के भी कलाकार हैं ।
जिले के युवाओं ने किया वृक्षारोपण ,प्रकृति लोक पर्व “हरेला” के अवसर पर माटी संस्था देहारादून के सहयोग से रोहतास जिले के हुरका ग्राम पंचायत में वृक्षारोपण व संरक्षण संकल्प कार्यक्रम का आयोजन।
पेड़ पौधे प्रकृतिक के वो देन है जिसका कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है। सदियों से जगत के सभी प्राणी फिर व चाहे इंसान हो या जानवर सभी का जीवन इसी पर निर्भर करता आया है और आज भी कर रहा है। यह न केवल मानव जगत को जीवन प्रदान करने वाली ऑक्सीजन प्राप्त होता है साथ ही साथ जीवन निर्वाह के लिए रोज़मर्रा की वस्तुएं भी मिला करते है। “हरेला” प्रकृति से जुड़ा उत्तराखंड का यह एक विशिष्ट लोक पर्व है। हरेला का पर्व न सिर्फ नई ऋतु के शुभागमन की सूचना देता है, बल्कि प्रकृति के संरक्षण को भी प्रेरित करता है। इसीलिए देवभूमि उत्तराखंड में हरेला पर्व लोकजीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया। अब तो इसी दिन से पौधरोपण अभियान शुरू करने करने की परंपरा भी शुरू हो गई है।

इस वृक्षारोपण कार्यक्रम में गाँव के मींटू श्रीवास्तव, उज्ज्वल श्रीवास्तव, प्रियान्शु शर्मा, संत शैलेश श्रीवास्तव, शशि कुमार, संतोष शर्मा, रोहित शर्मा आदि सहित कुल 20 युवाओं नें अपने अपने हाथों से पौधे लगाए व उसके संरक्षण हेतु संकल्प लिया। साथ ही भविष्य में पौधे लगाने व पर्यावरण संरक्षण पर जागरूकता फैलाने का भी संकल्प सभी ने लिया।
सासाराम में कैंसर का ईलाज शुरू हुआ नारायण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल जमुहार में || Cancer Treatment Begins- SasaramKiGaliyan.Com
नारायण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल जमुहार में कैंसर मरीज का इलाज प्रारंभ कर दिया गया। कैंसर रोग विशेषज्ञ चिकित्सक ने पहली बार एक कैंसर मरीज पर कीमोथेरेपी का शुरुआत किया । औरंगाबाद जिले के नवीनगर क्षेत्र के एक 55 वर्षीय मरीज को कीमोथेरेपी का पहला डोज दिया गया। कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. एसके झा ने बताया कि मरीज के परिजन पूर्व में भी उक्त मरीज को दो बार एनएमसीएच में उपचार के लिए लाए थे । उस समय जांच में कैंसर का संदेह पाया गया था, लेकिन पुन: जांच के उपरांत जब उक्त मरीज के पैन्क्रियाज में कैंसर की उपस्थिति कंफर्म हो गई, तब उन्हें उपचार के लिए यहां भर्ती किया गया। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन होने और अस्पतालों में कोविड-19 के लिए मरीजों के भर्ती किए जाने के कारण दूर दराज के विभिन्न स्थानों पर आना जाना संभव नहीं बताकर मरीज के स्वजनों ने यहीं उपचार कराने की सहमति व्यक्त की। उसके बाद मरीज को कीमोथेरेपी का पहला डोज दिया गया।
संस्थान के अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद गोपाल नारायण सिंह, सचिव गोविद नारायण सिंह ,प्रबंध निदेशक त्रिविक्रम नारायण सिंह ,गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. एमएल वर्मा,एनएमसीएच के प्राचार्य डॉ विनोद कुमार तथा चिकित्सा अधीक्षक डॉ प्रभात कुमार ने यहां कैंसर मरीजों की सेवा शुरू किए जाने पर खुशी व्यक्त किया है। कहा है कि आने वाले समय में कैंसर यूनिट को और भी समृद्ध बनाया जाएगा, ताकि आमलोगों को कैंसर के उपचार के लिए दूरदराज जाने की आवश्यकता न पड़े और कम संसाधनों में यहां मरीज कैंसर का उपचार करा सकें।
SDM पहलिबार करेंगे सासाराम वासियों के साथ डिजिटल मीटिंग , आ रहे हैं फेसबुक पर लाईव ,रविवार 12 जुलाई को सुबह 8 बजे
UPSC में 1 नंबर से पीछे रह गए , तो क्या हुआ ? BPSC में 13 वा रैंक फतह करके हमारे SDM बन गए । कल ,यानी रविवार 12 जुलाई, सुबह 8 बजे !! मैडम भी साथ रहेंगी । त्राहिमाम करोना काल में 24 घंटे के कठिन ड्यूटी से , स्पेशल समय निकाल कर आ रहें है सबके चहेते SDM सासाराम , श्री राज कुमार गुप्ता सर आप सबके बीच Sasaram Ki Galiyan के विशेष कार्यक्रम “संवाद ए सासाराम ” में फेसबुक लाईव । आप सभी सपरिवार सादर आमंत्रित हैं
इनसे पहले सासाराम सांसद छेदी पासवान जी, बिहार टॉपर हिमांशु राज, पूर्व विधायक सासाराम जवाहर प्रसाद जी, करगहर विधायक वशिष्ट सिंह जी, दिल्ली से राष्ट्रीय मेंटल हेल्थ स्पेशलिस्ट शीतल जी, who से सम्मानित और करोना पीड़ित मृत शवों को जलाकर रिकॉर्ड बनाने वाले दिल्ली के सरदार ज्योत जीत जी इसी Sasaram Ki Galiyan डिजिटल मीडिया के फेसबुक पेज पर लाईव आ चुके हैं । सभी वीडियो पेज पर उपलब्ध है , अगर नहीं देखें है तो उन्हें भी देखिए , बहुत कुछ जानने समझने को नया मिलेगा
सासाराम के मिट्टी के कुकर से होगा चीनी उत्पादों का मुकाबला, देशभर में मिलेगा बाजार – Sasaram Ki Galiyan.Com
सासाराम के मिट्टी के कुकर से होगा चीनी उत्पादों का मुकाबला, देशभर में मिलेगा बाजार | सासाराम में सहयोगी समूह द्वारा होगा उत्पादन | उत्तम स्वास्थ्य के लिए ये मिट्टी के उत्पाद हैं लाभदायक | देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर ‘वोकल फॉर लोकल’ कार्यक्रम के तहत खादी ग्रामोद्योग आयोग ने देशी उत्पादों को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। इसके लिए राज्य के 500 कुंभकारों को विशेष रूप से पांच दिनों का प्रशिक्षण देकर मिट्टी के कुकर तैयार करवाए जाएंगे। साथ ही टेराकोटा के अन्य उत्पाद भी तैयार होंगे। खादी भंडारों के माध्यम से इन उत्पादों की बिक्री देशभर में की जाएगी। ये उत्पाद चीनी उत्पादों का मुकाबल करेंगे।
खादी-ग्रामोद्योग आयोग के राज्य निदेशक वी.एस.बागुल का कहना है कि देसी उत्पादों की भारी मांग को देखते हुए आयोग ने उन्हें बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। खासकर टेराकोटा के उत्पादों पर विशेष जोर दिया जाएगा।उसमें मिट्टी के कुकर की सर्वाधिक मांग की जा रही है। मिट्टी का कुकर सासाराम में क्लस्टर (समूह) बनाकर तैयार किया जाएगा। इसके अलावे मिट्टी की सजावटी सामग्री भी बनवाई जाएगी। राज्य के कुंभकार कुल्हड़ भी तैयार करेंगे। उन्हें रेलवे से जोड़कर बाजार मुहैया कराया जाएगा।
पूर्व विधायक जवाहर प्रसाद आ रहे हैं हिसाब और सवालों का जबाब देने नागरिक सशक्तीकरण – #हिसाब_किताब विशेष प्रोग्राम में
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर माटी संस्था का ऑनलाइन योग महोत्सव 2020 मनाया गया – Dehradun Yoga Day
इस साल कोरोनावायरस महामारी यानी कोविड 19 के चलते लोगों को ऐसी थीम दी गई है, जो सेहत और स्वस्थ्य को बढ़ावा देगी। सरकार के द्वारा दिए गए थीम के अनुरूप ही संस्था ने भी अपना योग दिवस डिजीटल रूप से ही मनाने का निर्णय लिया। इसके तहत माटी संस्था ने अपने इस ऑनलाइन महोत्सव का नाम “योग फ्रॉम होम, योग विथ माटी” का नाम दिया गया। इसमे संस्था से जुड़े देश भर के स्वंयसेवी कार्यकर्ताओं के माध्यम से कुछ दिनों पूर्व से लोगो को योग करने तथा इसके महत्व से सम्बंधित जागरूकता अभियान चलाया जा रहा था। आज इसी “योग फ्रॉम होम, योग विथ माटी” के अंतिम चरण में लोगो को अपने घर पर ही योग की क्रिया करते हुए अपनी फ़ोटो डिजिटल प्लेटफार्म के सहायता से माटी संस्था को प्रेषित किया जाना शामिल था। माटी संस्था के द्वारा आयोजित इस ऑनलाइन योग महोत्सव में देश भर के करीब 400 से ज्यादा प्रतिभागियों ने अपने-अपने घरों में रहकर योग के आसन किये व सबने अपने-अपने फ़ोटो को माटी संस्था से संबंधित डिजिटल व सोशल मीडिया के मंचो पर साझा किया।
इस ऑनलाइन योग महोत्सव में बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, ओडिशा सहित देश भर के 18 राज्यो से हर उम्र व वर्ग के लोग शामिल हुए। संस्था की ओर से शामिल सभी प्रतिभागियों को ई-सर्टिफिकेट प्रेषित किया गया। इस योगमहोत्सव को सफल बनाने में संस्थाके संस्थापक व वैज्ञानिक डॉ0 वेद, सचिव डॉ0 अंकिता, मानववैज्ञानिक जोखन शर्मा,मेघा, प्रतीक्षा, उदित, रेणु, अनुप्रिया, कृतिका राजपूत आदि अन्य ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सासाराम के लोगों से डायरेक्ट कनेक्ट होंगी ,टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस, गुवाहाटी की डिप्टी डायरेक्टर
सासाराम के लोगों से डायरेक्ट कनेक्ट होंगी ,टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस, गुवाहाटी की डिप्टी डायरेक्टर , प्रोफेसर कल्पना सारथी जी ।
आज , 21 जून अर्थात अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर www.SasaramKiGaliyan.Com के विशेष कार्यक्रम में , शाम 5:30 बजे लाईव आएंगी । यह लाईव कार्यक्रम फेसबुक पेज Sasaram Ki Galiyan पर होगा ।
मैडम का , दिल्ली यूनिवर्सिटी और मिजोरम यूनिवर्सिटी में 20 वर्षों तक टीचिंग एक्सपीरियंस है । इन्होंने M.Phil ,नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस, बैंगलोर से किया है । इसके बाद पिछले 6 वर्षों से गुवाहाटी के T.I.S.S में रहीं और अभी डिप्टी डायरेक्टर हैं ।
J.N.U ,Delhi के Centre For Social Medicine And Community Health से Doctorial Studies
किया है ।
मद्रास यूनिवर्सिटी के मद्रास स्कूल ऑफ सोशल वर्क से इन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन किया है , इनका स्पेशलाइजेशन मेडिकल एंड साइकेट्रिक सोशल वर्क है ।
5 वर्षों तक Cancer, Hiv ,Substance Abuse, Disablity में इन्होंने रिसर्च किया है और इसमें महारथ हासिल है । इन विषयों पर मैडम डॉक्टरिएल छात्रों का सुपरविजन भी करती हैं ।
यह कार्यक्रम सासाराम जैसे छोटे शहरों के लिए ,जहां संसाधनोंऔर गाइड्स का अभाव रहता है , अति महत्वपूर्ण और लाभकारी सिद्ध होगा । इसे आप जरूर देखिए और अपने लोगों को भी शेयर करके दिखाइए । नेक काम में देरी कैसा ?