Friday, October 24, 2025
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सासाराम में आ कर गर्वान्वित कर चुके राष्ट्रपति ओबामा से मिलने वाले शरद आज “कौन बनेगा करोड़पति” में | Sharad Sagar KBC

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Sharad Sagar KBC

2018 में सासाराम के प्रतिष्ठित सामाजिक संगठन रिवोल्यूशन अगेंस्ट पॉल्यूशन – रैप के परिकल्पना कार्यक्रम में सोशल एंटरप्रिन्योर शरद विवेक सागर (Sharad Sagar KBC) को सुनकर सासाराम गर्वान्वित हो चुका है।

एक बार फिर हम सासाराम वासी गर्वान्वित होगें इस शरद ऋतु में कौन बनेगा करोड़पति के मंच पर एक्सपर्ट की भूमिका में बिहार के लाल शरद विवेक सागर को देखकर ।

कौन हैं शरद सागर ?

शरद सागर भारत के करोड़ों लोगो के प्रेरणास्रोत और युथ आइकन हैं । डेक्सटेरिटी ग्लोबल के फाउंडर एवं सीईओ हैं।

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आपको बताते चलें कि, डेक्सटेरिटी ग्लोबल शिक्षा और नेतृत्व के क्षेत्र में काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतिष्ठित संगठन है।

तत्कालीन राष्ट्रपति ओबामा बुला चुके हैं शरद सागर को

शरद सागर के कार्यों से प्रभावित हो कर वर्ष 2016 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा इनसे मिलने के लिए व्हाइट हाउस बुला चुके हैं ।

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उस समय भारत से आमंत्रित होने वाले एकमात्र व्यक्ति थें शरद सागर । देश और दुनिया में अमेरिकी व्हाइट हाउस के कार्यक्रम की चर्चा हुई थी ।

कौन बनेगा करोड़पति में एक्सपर्ट के रूप में आमंत्रित

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बिहार के लोकप्रिय सामाजिक उद्यमी शरद विवेक सागर को श्री अमिताभ बच्चन जी द्वारा कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी) में एक्सपर्ट के रूप में आमंत्रित किया है।

बिहार के पहले केबीसी एक्सपर्ट होंगे 

आपको बताते चलें की कौन बनेगा करोड़पति के इतिहास में बिहार से जाने वाले पहले एक्सपर्ट होंगे , और देश के भी सबसे कम आयु के एक्सपर्ट होंगे ।

क्या करेंगे केबीसी में | Sharad Sagar KBC ?

शरद सागर कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी) में एक्सपर्ट के रूप में टेलीविजन पर देश भर से आए प्रतियोगियों का मार्गदर्शन करेंगे एवं चुनौतीपूर्ण सवालों में उनका सहयोग करेंगे ।

कब आएंगे कौन बनेगा करोड़पति में ?

शरद सागर सोनी चैनल पर आज दिनांक 12 एवं कल 13 अक्टूबर को कौन बनेगा करोड़पति में आएंगे ।

 

 

जल्द मिलेगी राहत ,सासाराम में जी टी रोड जीर्णोद्वार कार्य जारी है !! लेकिन अभी भी बदहाल है अमरा बभनपूर्वा पथ | Gt Road Repairing

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Gt Road Repairing

पिछले कई महीनों से सासाराम के न्यू एरिया मुहल्ले से लेकर मेहता कॉलोनी और रोहित इंटरनेशनल तक गड्ढों और नालियों में तब्दील हो चुके जीटी रोड पर चलने वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है ।

जीर्णोद्वार कार्य जारी 

Near New Stadium Fazalganj

जीटी रोड चौड़ीकरण का कार्य सासाराम जारी है (Gt Road Repairing ) । अभी फजलगंज मुहल्ले में कार्य चल रहा है । वहां से होते हुए न्यू एरिया और मेहता कॉलोनी तक भी पहुंचेगा । उसी समय इन गड्ढों को भर कर , नय रोड का निर्माण होगा ।

क्यूं हो रही है देरी ?

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वन विभाग और बिजली विभाग से वृक्षों और बिजली खंभों को हटाने की अनुमति मिलने में देरी के चलते , सड़क निर्माण में देरी हो रही है ।

रुक रुक कर हो रहा है काम

जहां पर फ्रेश एरिया है , अर्थात जहां पर बिजली विभाग और वन विभाग कि कोई संपत्ति नहीं है और जहां पर काम करने में कोई दिक्कत नहीं है । वहां वहां काम हो रहा है ।

बाकी जगह भी होगा काम

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अन्य विभागों से विभागीय कार्य पूरा हो जाने पर बीच बीच के छूटे हुए जगहों पर भी काम होगा ।

हमने काम शुरू होते ही बताया था

Sasaram Ki Galiyan के फेसबुक पेज के माध्यम से शहरवासियों को यह खुशखबरी उसी समय दे दिया गया था , जब काम चालू हुआ था ।

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उस समय एसपी जैन कॉलेज के पास काम शुरू होते ही, उपर बताए गए विभागीय परेशानियों के चलते काम रुक गया था, लेकिन फिर पुनः शुरू हो चुका था ।

काम का न्यूट्रल हिसाब किताब

जैसा कि आप जानते हैं कि हम लोग न्यूट्रल रूप से किसी भी कार्य के लिए काम शुरू कराने वाले नेता या अधिकारियों को क्रेडिट दे कर अच्छे कार्यों को अधिक से अधिक करने के लिए मोटिवेट करने या काम नहीं होने पर खिचाई करने में कोताही नहीं करते ।

आप इसी वेबसाइट के सासाराम मेन्यू में जा कर, 6. इश्यू नाम के सब मेन्यू के अंदर इन सब चीजों को देख सकते हैं ।

यह कार्य स्थानीय विधायक डॉक्टर अशोक कुमार कुशवाहा के अनुसंशा पर शुरू हुआ था । बिहार सरकार ने रुचि दिखा कर काम शुरू करवाया था । उस समय का अख़बार चेक कीजिएगा तो, पता चलेगा की सभी मीडिया ने भी इस खबर को इसी रूप में प्रमुखता से छापा था ।


अमरा बभनपूर्वा रोड बदहाल , ग्रामीण परेशान !!

अमरा बभनपूर्वा रोड के जर्जर होने से ग्रामीणों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है ।

समस्या लंबी है, नई नहीं है

ग्रामीण आशुतोष बताते हैं की यह समस्या लंबे समय से चली आ रही है ।

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गांव के लोगो को सड़क अच्छी नहीं होने के कारण आने जाने में तकलीफें होती है और एक्सिडेंट का खतरा बना रहता है ।

जनप्रतिनिधियों से नाराज़ ग्रामीण

ग्रामीण सड़क के दुर्दशा के कारण अपने स्थानीय जन प्रतिनिधि ( मुखिया, विधायक, सांसद, विधान परिषद, राज्यसभा सांसद) से नाराज़ हैं ।

 

डेहरी में मस्त आधुनिक पार्क बन रहा है, सासाराम नगर परिषद कब देगा ऐसा तौफा ? | Dehri Anicut Park

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जिला रोहतास के सुंदर शहर डेहरी ऑन सोन के एनिक्ट में इस बार बिहार के सबसे स्वक्ष नगर पालिका का गौरव प्राप्त कर चुके डेहरी नगर पालिका द्वारा आधुनिक पार्क (Dehri Anicut Park) का निर्माण किया जा रहा है । पार्क निर्माण का कार्य जोर शोर से चल रहा है ।

डेहरी का पार्क शानदार होगा

इस पार्क में बच्चों के लिए झूले और नवयुवकों के लिए जिम बन रहा है ।

Dehri Anicut Park

वृद्धों के लिए भी विशेष व्यवस्था किया जा रहा है, इनके बैठने के लिए और हलके फुल्के व्यायामों की व्यवस्था की जाएगी ।

footpath

पार्क के चारो तरफ पैदल टहलने वालों के लिए फुट पाथ निर्माण किया जा रहा है ।

आधुनिक होगा पार्क

सुरक्षा के लिए गार्ड , लाइट , म्यूजिक सिस्टम , हाई क्वालिटी सीसीटीवी कैमरे सहित शौचालय और स्वक्ष पानी की भी व्यवस्था होगी ।

 

 

इस पार्क से डेहरी के लोगों को बहुत लाभ मिलेगा, शहर के सुंदरता में भी चार चांद लग जाएंगे ।

सासाराम नगर पालिका के सामने शहरवासी सरेंडर

गंदगी, कुव्यवस्था, सड़क जाम के लिए कुख्यात सासाराम नगर पालिका ने शहर के लिए क्या किया है ? यह सोच कर लोग निराश और हताश हो जाते हैं ।

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कुछ वर्षों पहले मुख्य रोड पर लाइटें भी लगी थीं, वो लाइटें कब शोभा की वस्तु बन गई किसी को कुछ पता ही नहीं चला ।

जिला मुख्यालय में रेवेन्यू अधिक , सुविधाएं शून्य

सासाराम जिला मुख्यालय है, यहां की आबादी भी अधिक है । जाहिर सी बात है कि रेवेन्यू भी अधिक है ।

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इसके वावजूद शहर में ढ़ंग का एक भी पार्क नहीं है ।

नेहरू पार्क पूर्व की कमाई है, अभी की नहीं

नेहरू पार्क में काम जरूर चल रहा है , लेकिन वो तो पुराना है । उस समय के टैक्स और रेवेन्यू से वो बना था , ठीक भी है । लेकिन टैक्स तो अभी भी लगते है , रेवेन्यू अभी भी आते है, तो काम अब क्यूं नहीं होते ? नय जनप्रतिनिधियों ने क्या किया ? इतिहास उन्हे कैसे और क्यूं याद रखेगा ?

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शहर का फैलाव हो चुका है , नेहरू पार्क जब बना था तो उस समय के जरूरतों के हिसाब से बना था । अब शहर का आकार बढ़ा है, जरूरतें बढ़ी है , टैक्स बढ़े हैं तो सुविधाएं क्यूं नहीं ?

शेरशाह पार्क भी किसी काम का नहीं

शेरशाह मकबरे के ठीक सामने स्थित यह पार्क पिछले कई वर्षो से बन्द पड़ा है । इसके अंदर कोई व्यवस्था नहीं है ।
20 वर्ष पहले इसमें भी झूले हुआ करते थें , लेकिन सब ख़तम हो गया ।

दोबारा झूले तो नहीं लगे, उल्टा पार्क ही बन्द हो गया । वैसे यह पार्क भारत सरकार के पुरातत्व विभाग का है , नगर परिषद का नहीं ।

टैक्स देने के वावजूद , शहरवासी अभाव में रहने को मजबुर

सासाराम शहर घनी आबादी वाला शहर है । व्यापार और बाजार भी बड़े हैं । टैक्स देने वाले जब ज्यादा होते हैं तो रेवेन्यू भी ज्यादा आता है । अपने आस पास के औरंगाबाद, बक्सर, डेहरी जैसे शहरों को आगे बढ़ता देख कर , यहां के बुद्धिजीवियों में भी सकारात्मक उम्मीदें जागृत होती है ।

लेकिन अफसोस , की यहां पर कोई सुनवाई नहीं है । “अंधेर नगरी चौपट राजा ” पंक्तियों को यहां के जनप्रतिनिधि और अधिकारी चिरतार्थ करते नजर आते हैं ।

सासाराम के लाल ने घर रह कर ही निकाल लिया IIT | सासाराम के कोचिंग देने लगे आईआईटियन | IIT Results 2020

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आईआईटी के रिज़ल्ट आ चुके हैं (IIT Results 2020) | “जहां चाह वहां राह ” इन पंक्तियों को चिर्तार्थ किया है बिहार के छोटे से शहर सासाराम के राज गुप्ता ने । प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने लोग न जाने कहां कहां जाते हैं , लेकिन यह भी सत्य है कि बाहर जा कर पढ़ने का मौका सभी को नसीब नहीं होता । बहुत सारे ऐसे लोग भी होते हैं जिनके हालात उन्हे , घर की चौखट लांघने का परमीशन नहीं देते है ।

राज इसी कैटेगरी से हैं , ये उन छात्रों में से हैं जिन्होंने अपने पास मौजूद संसाधनों का भरपूर उपयोग करके अपने मेहनत के दम पर आईआईटी जैसी कठिन परीक्षा को क्रैक किया है ।

राज अपने सफलता का श्रेय अपने कोचिंग संस्थान को देते हैं । राज सासाराम के ही दक्षणा क्लासेज में पढ़ाई करते थें । राज का रैंक 5000 के करीब है, आपको बताते चलें कि 15000 बच्चों को आईआईटी लेता है । इन्होंने स्थानीय डीएवी से मैट्रिक तथा प्रज्ञा निकेतन से 12 वीं किया है ।

राज बताते हैं की , उनके सफलता में उनके गुरुओं ने भी कठिन परिश्रम किया है । किसी भी सफलता के लिए , एक अच्छे गुरु का होना बहुत जरूरी होता है ।

दक्षणा क्लासेज हर वर्ष आईआईटियन दे रहा है

सासाराम के नयका गांव स्थित दक्षणा क्लासेज , पिछले 5 वर्षों से सासाराम में ऑपरेट हो रहा है । वर्ष 2015 में शुरू होने वाला संस्थान , अपने जन्म के साथ ही देश को आईआईटियन देना शुरू कर दिया था ।

परफॉर्मेंस एनालिसिस

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  • 2015 : में विजय कुमार ने आईआईटी क्रैक किया था ।
  • 2016 : में श्याम ने आईआईटी क्रैक किया था । श्याम अभी आईआईटी चेन्नई में हैं ।
  • 2017 : में अमृत कुमार ने बेहतरीन अंको के साथ मेंस क्वालीफाई किया था , इसलिए इन्हे एनआइटी मिला । अमृत अभी एनआइटी सिक्किम में हैं ।
  • 2018 : में आकाश चन्द्रा ने आईआईटी क्रैक किया था ।
  • 2019 : में प्राशु शर्मा ने आईआईटी क्रैक किया था ।

कौन कौन से सब्जेक्ट पढ़ाए जाते हैं  ? | IIT Results 2020 

दक्षणा क्लासेज में साइंस के सभी सब्जेक्टों की पढ़ाई होती है । इसमें मैथ, बायोलॉजी,केमेस्ट्री और फिजिक्स शामिल है । संचालक बताते हैं की यहां पर नीट और जेईई की तैयारी कराई जाति है ।

किस क्लास की पढ़ाई होती है ?

दक्षणा क्लासेज के मिथलेश जी बताते हैं कि, दक्षणा क्लासेज में क्लास 9 वीं से लेकर क्लास 12 वीं तक की पढ़ाई होती है । इसमें एकेडमिक्स और प्रतियोगी परीक्षाएं ( Medical + Engineering ) दोनों की तैयारी कराई जाति है ।

कहां है दक्षणा क्लासेज ?

IIT Results 2020
Office

दक्षणा क्लासेज सासाराम के नयका गांव ( धर्मशाला रोड के पास ) में स्थित है । सुदर्शन हुंडा के शो रूम के बगल वाली गली में दूसरे मकान के दूसरे मंजिल पर स्थित है ।

कौन कौन हैं शिक्षक ? क्या है इनकी खासियत

Class Room

एस.के पांडेय सर : 25 वर्षों का टीचिंग एक्सपीरिएंस रखने वाले पांडेय जी, अपने समय के रोहतास जिले के डेहरी स्थित प्रतिष्ठित फ्लेम इंस्टीट्यूट के hod रह चुके हैं । मुंबई, इंदौर, ग्वाहाटी, भोपाल और रांची में टीचिंग करने का लंबा अनुभव रहा है ।

केमिस्ट्री के स्पेशलिस्ट अनंत राय सर हैं ।
बायोलॉजी के स्पेशलिस्ट अखिलेश कुमार सर हैं ।

कितने घंटो की होती है क्लास ?

दक्षणा क्लासेज के मिथलेश जी बताते हैं कि , बच्चों को अधिक से अधिक लाभ देने के उद्देश्य से उनके यहां हर क्लास 1.5 घंटो की होती है ।

क्या है उद्देश्य ?

दक्षणा क्लासेज के मिथलेश जी बताते हैं कि उनका सपना कोटा , विशाखापट्टनम के तर्ज पर सासाराम को एजुकेशन हब के रूप में खड़ा करने का है ।

बिहार एक लैंड लॉक्ड स्टेट है, इंडस्ट्रीज यहां नहीं है लेकिन एजुकेशन हब के रूप में विकसित करके बिहार का रेवेन्यू सिस्टम और इन्फ्रास्ट्रक्टर को ठीक किया ही जा सकता है । बिहार को बदलने के लिए , “सरकार के भरोसे मत बैठिए, क्या पता सरकार आपके भरोसे बैठी हो ?”

गरीब छात्रों के लिए फ़्री एजुकेशन

दक्षणा क्लासेज के मिथलेश जी बताते हैं कि , उनकी आर्थिक स्थिति दुरुस्त हो जाएगी तो गरीब छात्रों के लिए भी विशेष व्यवस्था किया जाएगा । फ़्री एजुकेशन भारत जैसे देश की सबसे बड़ी जरूरत है ।

सासाराम की श्रेया ने BHU के लॉ एंट्रेंस में लहराया परचम !! फजलगंज कि श्रेया संत पॉल स्कूल की पूर्व छात्रा

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bhu

देश के प्रतिष्ठित बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (BHU) के लॉ संकाय में सासाराम शहर के श्रेया गौतम ने सराहनीय सफलता हासिल किया है ।

परफॉर्मेंस एनालिसिस

श्रेया ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के लॉ संकाय प्रवेश परीक्षा में जेनरल कैटेगरी अन्तर्गत 58 वाँ रैंक प्राप्त किया है, जबकि इन्हे जेनरल महिला श्रेणी में 7 वाँ स्थान प्राप्त हुआ है ।

परिवार में खुशी

श्रेया के इस सफलता से परिवार में खुशी का वातावरण है ।

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पिता जी
श्रेया के पिता का नाम बिनोद कुमार मिश्रा है । श्रेया के पिता जी यानी श्री बिनोद जी स्थानीय सिविल कोर्ट में अधिवक्ता हैं। माता जी
श्रेया की माता जी शिक्षिका है ।

परिवार के साथ स्कूल में भी खुशी की लहर

श्रेया के इस सफलता से परिवार के अलावे स्कूल के भी शिक्षक और सहपाठी खुश हैं । स्कूल संचालक श्री एसपी वर्मा ने भी इनके सफलता पर हर्ष व्यक्त किया है ।

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श्री एसपी वर्मा ने अन्य छात्र छात्राओं को श्रेया से सीख लेने का सलाह दिया ।

सासाराम में किस मुहल्ले कि है श्रेया ?

श्रेया सासाराम के फजलगंज मुहल्ले की रहने वाली हैं ।

संत पॉल स्कूल से प्रारम्भिक शिक्षा

श्रेया की स्कूलिंग स्थानीय संत पॉल स्कूल से हुई है । इन्होंने 2013 में मैट्रिक पास किया था ।

मैट्रिक में भी शानदार प्रदर्शन

श्रेया को जाननेवाले ,उन्हे शुरू से ही मेहनती और होनहार बताते हैं । आपको बताते चलें कि इन्होंने मैट्रिक परीक्षा में 10 सीजीपीए का गौरव प्राप्त किया था ।

ठेकुआ है बिहारी मां का प्यार !! खास मिठास और सोन्हापन इसको विश्व में यूनिक बनाता है

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ठेकुआ

बिहार का ठेकुआ विश्वभर में प्रसिद्ध है । ऐसी पकवान दुनिया में कहीं नहीं बनाई जाति है । ग्लोबलाइजेशन के दौर में बिहार के लोग भी देश से निकल कर दुनिया भर में गए, अपने साथ बिहारी संस्कृति की खुशबू भी साथ ले गए । ठेकुआ बिहार से निकल कर ,अब यूरोप के देशों में पहुंच चुका है ।

गेंहू के आटे ,चीनी और घी से निर्मित ठेकुआ का हमारे भोजन परम्परा में विशिष्ट स्थान है। बिहार के लोकप्रिय पर्व छठ में तो यह मुख्य प्रसाद ही होता है। यह हमारे तीज त्यौहार का भी मुख्य पकवान होता है। ठेकुआ को कुछ लोग खजूर भी कहते हैं । जबकि बिहार के कुछ हिस्सों में इसे खजूरी कहने का भी प्रचलन है ।

मुंह में पानी आ जाएगा !!

गेंहू के आटे को चीनी या गुड़ के साथ सान कर, घी या वनस्पति तेल में तल कर इसे बनाया जाता है। इसमें मेवे और ड्राई फ्रूट्स भी डालने का रिवाज है । सूखे नारियल के छोटे छोटे टुकड़े काट इसमें मिलाए जाते हैं। किशमिश भी स्वाद बढ़ा देता है। इलायची या सौंफ भी डाल इसके स्वाद को एक नया फ्लेवर देने का प्रयास भी होता है।

ठेकुआ बनाने की विधि !!

साँचा

ठेकुआ को बेला नहीं जाता है वरन लकड़ी के साँचा पर ठोका जाता है। सांचे में सुंदर आकृतियां बनी होती हैं तो, ठेकुआ में भी हम उन आकृतियों के छाप देख सकते हैं।

यूं ही नहीं है ठेकुआ खास !!

इसे एक बार बना कर आप दस पंद्रह दिनों तक संरक्षित रख सकते हैं। तो बाहर जाने वाले लोगों यानी यात्रा हेतु यह एक सहूलियत का भोज्य पदार्थ है। यात्रा में ठेकुआ निकालिए और अचार या सब्जी के साथ चट कर जाइये । तीर्थ हेतु भी यह सुविधाजनक खाद्य पदार्थ है।

बिहारी संस्कृति में बेटियों के लिए मां का प्यार है ठेकुआ !!

बिहार में बेटियों को शादी के बाद दउरा भेजने का रिवाज है । इस दउरा में तमाम तरह के खाद्य पदार्थ होते हैं । इस दउरा में बतासा, खाझा ,खजुली, बेलग्रामी, गाजा ,मोतीचूर इत्यादि के साथ ठेकुआ जरूर शामिल रहता है ।

आपको बताते चलें कि दउरा एक खास तरह का सजाया हुए टोकरी अर्थात डाली होता है । लोकल भाषा में विशेष अवसर पर सजे हुए इस टोकरी को दउरा बोला जाता है ।

छठ महापर्व से रिश्ता पुराना है !!

छठ पर्व का यह विशिष्ट पकवान है । इसके बिना छठ पर्व की कल्पना शायद हमलोग नहीं कर पाएं ? केला ,ठेकुआ तो पर्याय है छठ पर्व का । और कुछ हो या न हो इसे तो होना ही चाहिए ।

परणा के दिन क्या बूढ़े ,क्या बच्चे सभी ठेकुआ पर टूटे हुए मिलते हैं । उसदिन तो यही लगभग भोजन का अंग होता है ।ठेकुआ चीनी के अलावा गुड़ का भी बनता है।

अपनी अपनी रुचि है। जो मन हो बनाइये। इसे खाने हेतु छुरी कांटे की जरूरत नहीं पड़ती। दांत से तोड़ खाइये । पर कुछ ठेकुआ कड़े होते हैं तो उससे दांत भी टूटने का डर रहता है।

Keerana
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तो संभल कर खाईए। मुलायम ठेकुआ के लिए घी का मोइन या मइजन दीजिये । देखिये फिर खा के ,लगेगा स्वाद का सागर जिह्वा पर हिलोरे मार रहा है ।

ठेकुआ और कला !!

ठेकुआ तलना भी एक कला है । कुछ लोग कड़ा तलते हैं । झुर तलते हैं। डार्क रंग आ जाता है। तब इसका स्वाद और भी अलग होता है। आप अपने घर में ठेकुआ बनवाने की कोशिश जरूर कीजियेगा। खाइयेगा तो बोलियेगा गजब का है यह पकवान !

नदी का किनारा, ताजी हवाएं और मन को सुकून चाहिए तो चले आईए इंद्रपुरी डैम | Indrapuri Dam

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इंद्रपुरी बांध रोहतास जिले के तिलौथू ब्लॉक के इंद्रपुरी में सोन नदी के ऊपर निर्मित है ।  जैसा कि आपको मालूम होगा , हिंदुस्तान में हजारों छोटे बड़े नदियों के बीच सिर्फ 2 ही नद हैं ( पुलिंग) । ब्रम्हपुत्र नद और सोन नद दोनों मर्द /पुलिंग हैं ।

Indrapuri Dam

मध्य प्रदेश के अमरकंटक के पास नर्मदा नदी के पूर्व से सोन नद बहता है । अपने जन्मस्थली मध्यप्रदेश से निकल कर उत्तरप्रदेश, झारखण्ड और बिहार के कुछ जिलों से होते हुए पटना के पास जाकर गंगा नदी में मिल जाती है ।

सोन नाम के पीछे रोचक तथ्य

Golden Sand Of River Son

पीले ,चमकदार और सुनहरे रंग के बालू अर्थात रेत होने के कारण इस नद का नाम सोन पड़ गया । सोन नद के बालू ,सोने की तरह ही चमकदार होते हैं ।

Indrapuri Dam

 

गृह निर्माण में सोन का बालू उपयोग होता है । बिहार , झारखंड के अलावे उत्तरप्रदेश में भी सोन के बालू का भारी डिमांड रहता है ।

मछलियों के लिए मशहूर

Fish Nets at Indrapuri Dam

सोन नद पर बना इंद्रपुरी डैम मछलियों के लिए मशहूर रहा है , इसमें कई तरह की स्वादिष्ट मछलियां पाई जाति है ।

Indrapuri Dam

अब मछलियों कि संख्या कम हो गई है ,लेकिन अभी भी खाली समय में लोग यहां खाना बनाने और पिकनिक मनाने के लिए आते हैं ।

इंद्रपुरी डैम का आर्किटेक्चर

Indrapuri Dam
Indrapuri Dam

इंद्रपुरी बांध 1,407 मीटर लंबा है, यह लंबाई इस बांध को दुनिया का चौथा सबसे लंबा बांध होने का गौरव प्रदान करता है ।

एचसीसी कम्पनी द्वारा इस बांध के उपर सड़क भी बनाया गया है , यह वही एचसीसी कम्पनी है जिसने दुनिया के सबसे लंबे फरक्का बराज का निर्माण किया था । फरक्का बराज की लम्बाई लगभग 2,263 मीटर है ।

Indrapuri Dam

इतिहास

Indrapuri Dam

इंद्रपुरी बांध का निर्माण 1960 के दशक में शुरू किया गया था । 1968 में यह बांध चालू हुआ था । मुख्य नहरें 209 मिल हैं । छोटी नहरें 150 मिल हैं । 1478 मिल तक की दूसरी छोटी नहरें भी हैं ।

कभी व्यापार के साधन थें सोन के नहर

Nahar | Cannel From River Son

4543 माल-वाहक और 537 यात्री-वाहक छोटे जलपोत रजिस्टर्ड थे ।

Indrapuri Dam

20 वीं सदी में ये स्टीमर रोहतास के डेहरी और औरंगाबाद के बारूण से सोन नद में चलकर गंगा नदी में पहुंचते थे, जहां से यात्री वाहक और माल वाहक बड़े स्टीमरों के जरिये पूरब दिशा में कोलकाता शहर तक और पश्चिम दिशा में बनारस होते हुए इलाहाबाद अर्थात प्रयागराज तक पहुंचते थे ।

सासाराम के लोगों से संवाद करेंगी, भारत की प्रथम महिला IPS ,रेमन मैग्सेसे पुरस्कृत, एलटी गवर्नर डॉ किरण बेदी

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किरण बेदी

हिंदुस्तान की प्रथम महिला आईपीएस अधिकारी, पांडिचेरी की उपराज्यपाल और महिला सशक्तीकरण कि पर्यायवाची करोड़ों देशवासियों की प्रेरणास्रोत डॉक्टर किरण बेदी जी सासाराम के लोगों से बात करने Sasaram Ki Galiyan के फेसबुक पेज पर लाईव आ रही हैं । विषय होगा “पिपुल पार्टिसिपेशन इन नेशन बिल्डिंग” है ।

कब आएंगी लाईव ?

गुरुवार, दिनांक 1 अक्टूबर 2020 को शाम 4 : 58 मिनट पर लाईव आएंगी ।

मैं कैसे जुड़ सकता हूं ?

लाईव शो देखने के लिए ,1 अक्टूबर को शाम 4:58 में फेसबुक खोलकर , Sasaram Ki Galiyan पेज पर पहुंचना है । पेज पर पहुंच जाने पर आप लाईव शो के माध्यम से जुड़ सकते हैं ।

कौन हैं किरण बेदी जी ?

किरण बेदी जी देश की पहली महिला आईपीएस ऑफिसर है और फिलहाल पांडिचेरी की उपराज्यपाल ( एलटी गवर्नर) हैं । विदित हो कि, केंद्र शासित प्रदेशों अर्थात यूनियन टेरेटरी में मुख्मंत्री के बदले राज्यपाल होने का प्रावधान है । लेकिन पांडिचेरी और दिल्ली एक्सेप्शन हैं ,ये अर्ध राज्य भी हैं ,क्यूंकि केंद्र शासित प्रदेश होने के वावजूद यहाँ मुख्यमंत्री भी होते हैं इसलिए यहां उपराज्यपाल होने का प्रावधान है ।

किरण बेदी जी का जीवन परिचय क्या है ?

Kiran bedi Live

1949 : अमृतसर में जन्म ।
1966 : नेशनल जूनियर टेनिस चैम्पियन ।
1968 : बेस्ट एनसीसी कैडेट ऑफिसर अवॉर्ड फॉर 4 ईयर्स रनिंग ।
1970 : पॉलिटिकल साइंस लेक्चरर ।
1972 : शादी ।

1972 : भारत कि प्रथम महिला आईपीएस अधिकारी बनी ।

1972 : एशियन लाउन टेनिस चैम्पियन ।
1974 : नेशनल टेनिस हार्ड कोर्ट चैम्पियन ।

1975 : भारत कि प्रथम महिला, गणतंत्र दिवस परेड में सभी पुरुष सैन्य दल का नेतृत्व करने वाली ।

1976 : नेशनल वूमेंस लॉन टेनिस चैम्पियन
1978 : दिल्ली में हिंसक संघर्ष रोकने में अग्रणी भूमिका ।
1979 : दिल्ली में 200 वर्षों से चले आ रहे अवैध ड्रग व्यापार को ध्वस्त किया ।

1980 : वीरता के लिए “राष्ट्रपति पुलिस पदक” से सम्मानित ।

1980 : वूमेन ऑफ द ईयर अवार्ड ।
1981 : पुलिस बीट बॉक्स और पुलिस बीट सिस्टम को रे रिवाइव किया ।
1982 : “क्रेन बेदी” का उपाधि प्राप्त हुआ ।
1986 : देश के 8 पुलिस स्टेशनों में नव ज्योति नशा मुक्ति केंद्रो की स्थापना ।
1988 : दिल्ली यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री ।

1991 : नॉर्वे द्वारा एशियन रीजनल अवॉर्ड फॉर ड्रग प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ।
1993 : आईआईटी दिल्ली से पीएचडी ।
1993 : तिहाड़ जेल को आश्रम में ट्रांसफॉर्मेशन ।

1994 : एशिया का नोबेल कहा जाने वाला रेमन मैग्सेसे पुरस्कार ।

1994 : कैदियों के रिफॉर्म और बाल शिक्षा के लिए “इंडिया विजन फाउंडेशन” संस्था की स्थापना ।
1995 : लायंस ऑफ़ द ईयर पुरस्कार कम्युनिटी सेवा के लिए प्राप्त हुआ ।
2004 : उत्कृष्ट सेवा के लिए संयुक्त राष्ट्र पदक प्राप्त हुआ।
2005 : जेल और दंड प्रणाली में सुधार के लिए मदर टेरेसा मेमोरियल राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुआ ।
2006 : द वीक द्वारा देश की सबसे अधिक प्रशंसित महिला का गौरव प्राप्त हुआ ।
2008 : बहुचर्चित टीवी शो ” आपकी कचहरी , किरण के साथ” का होस्टिंग ।
2008 : रेडियो होस्टिंग ।

2008 : एपॉर्टल ” सफ़र इंडिया ” का शुभारम्भ ।
2009 : ऑस्ट्रेलियन फिल्म मेकर द्वारा किरण बेदी पर बायोपिक “यस मैडम,सर” को बेस्ट डॉक्यूमेंट्री अवॉर्ड ।
2011 : “इंडिया अगेंस्ट करप्शन” अर्थात अन्ना आंदोलन का मुख्य नेतृत्वकर्ता ।
2013 : नोमुरा केयर्श अवॉर्ड ।
2014 : सोशल इन्फ्लूइंसिंग के लिए “लो ओरियल पेरिस फेमिना महिला पुरस्कार” प्राप्त हुआ ।
2015 : मुख्यमंत्री उम्मीदवार दिल्ली ।
2016 : ” मिसन स्वाक्ष पांडिचेरी” , “मिशन प्रोस्पेरस पांडिचेरी” ” मीसन वॉटर रिच पांडिचेरी” का शुभारम्भ ।
2020 : लॉकडॉउन के दौरान अवैध ड्रग/लिकॉर व्यापार पर पांडिचेरी में बड़ी कार्यवाई ।

**नोट : उपलब्धियों की लिस्ट और भी लंबी है, हमने सिर्फ बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण पड़ावों को ही शामिल किया है ।

जब IPS किरण बेदी ने उठवा लिया था ,प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी का गाड़ी

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IPS किरण बेदी

बात सशक्तिकरण का हो और किरण बेदी का नाम नहीं आए ऐसा भला हो सकता है क्या ? हिंदुस्तान की प्रथम महिला आईपीएस अधिकारी डॉक्टर किरण बेदी की बहुदुरी की इतनी गाथाएं हैं ,जिसे अगर शुरू कर दिया जाए तो खत्म ही नहीं हों ।

इंदिरा गांधी का गाड़ी उठवा लिया

तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपनी गाड़ी गलत जगह पर पार्किंग कि हुई थीं । कानून को सबके लिए समान रूप से पालन कराने वाली ईमानदार किरण बेदी कार्यावाई करने में बिल्कुल नहीं हिचकी । प्रधानमन्त्री को संविधान और देश से नीचे रखने में बिल्कुल नहीं डरी ।

किरण बेदी ने गलत पार्किंग करने के जुर्म में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का गाड़ी ही उठवा लिया । एक आईपीएस अधिकारी द्वारा प्रधानमंत्री पर कि गई कार्यवाई से सब दंग थें । आमतौर पर , प्रधानमंत्री जैसे सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति पर कार्यवाई तो दूर की बात है, बल्कि उसके बारे में सोंचने तक का भी हिम्मत अधिकारी नहीं जुटा पाते हैं ।

किरण बेदी और भारतीय पुलिस सेवा

1972 में किरण बेदी की शादी श्री ब्रिज बेदी से हुई थी । शादी के वर्ष ही उन्होंने अमृतसर कॉलेज में बतौर लेक्चरर काम करना शुरू कर दिया था । लेकिन किरण के किस्मत में कुछ और ही लिखा हुआ था ,और उन्होंने उसी वर्ष भारतीय पुलिस में सेवा देना शुरू किया था ।

आईपीएस बनने के बाद भी पढ़ाई जारी

किरन बेदी का आईपीएस बनने के बाद भी पढ़ाई लिखाई से गहरा रिश्ता बना रहा । उन्होंने नौकरी के दरमियान वर्ष
1988 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से क़ानून में स्नातक की उपाधि हासिल कर लिया ।

आपको बताते चलें कि वर्ष 1993 में राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान, नई दिल्ली से सोशल साइंस में ‘नशाखोरी तथा घरेलू हिंसा’ विषय पर शोध कर के पी.एच.डी. की डिग्री हासिल किया ।

एलटी गवर्नर किरण बेदी

किरण बेदी फिलहाल पांडिचेरी की एलटी गवर्नर हैं ।

देव में दुनियाँ का एकलौता सूर्य मंदिर जिसका दरवाजा रातों रात पूरब से पश्चिम हो गया | औरंगाबाद

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देव

बिहार के औरंगाबाद जिले के देव में स्थित सूर्य मंदिर प्राचीन तथा अनोखा है। धर्मग्रंथों के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ने एक रात में इस मंदिर का निर्माण स्वयं अपने हाथों से किया था ।

सनातन संस्कृति में मंदिरों के दरवाजे का दिशा प्रायः पश्चिम दिशा में नहीं होता है , लेकिन इस सूर्य मंदिर के दरवाजे का पश्चिम दिशा में होना इसे खास बनाता है । यह देश का एकमात्र सूर्य मंदिर है, जिसका दरवाजा पश्चिम कि ओर है ।

यहां पर सूर्य भगवान की मूर्ति सात रथों पर सवार है। इसमें वो अपने तीनों रूपों में विद्यमान है । भगवान सूर्य के तीन रूप इस प्रकार हैं प्रात: सूर्य-उदयाचल, मध्य सूर्य – मध्याचल और अस्त सूर्य – अस्ताचल ।

स्थापत्य एवं वास्तुकला

लगभग 100 फिट ऊंचे सूर्य मंदिर का आर्किटेक्चर / बनावट स्थापत्य एवं वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण है । इस अत्यंत आकर्षक व विस्मयकारी मंदिर को बिना सीमेंट या चूना-गारा का प्रयोग किए आयताकार, वर्गाकार, गोलाकार, अर्द्धवृत्ताकार, त्रिभुजाकार इत्यादि स्टाइलों में कटे हुए पत्थरों को जोड़कर बनाया गया है । आपको बताते चलें कि, यह मंदिर काले और भूरे पत्थरों से निर्मित है ।

दो भागों में बंटा हुआ है मंदिर

देव मंदिर दो भागों में बंटा हुआ है । एक भाग गर्भ गृह है,जबकि दूसरा मुख मंडप है ।

इस मंदिर पर सोने का एक कलश भी मौजूद है

स्थानीय लोगों में एक किवदंति प्रचलित है कि, यदि कोई इस सोने के कलश को चुराने की कोशिश करता है तो वह उससे चिपक जाता है । चैत्र मास व कार्तिक मास में हर वर्ष छठ पूजा के अवसर पर यहां लाखों श्रद्धालु और छठ व्रती आते हैं ।

रातों रात बदल गया था मंदिर के दरवाजे का दिशा

dev surya mandir

आस पास के लोगों के अनुसार जब औरंगजेब भारत के मंदिरों को तोड़ता हुआ औरंगाबाद के देव सूर्य मंदिर पहुंचा, तब पुजारियों ने उससे मन्दिर नहीं तोड़ने के लिए बहुत विनती तथा फरियाद किए ।

औरंगजेब ने सूर्य देवता का मजाक उड़ाते हुए कहा कि अगर यहां पर सच में भगवान हैं और उनमें शक्तियां है तो इस मंदिर का प्रवेश द्वार पश्चिम में कर दें , अगर ऐसा हो गया तो में मंदिर को नहीं तोडूंगा। औरंगजेब वहां के साधु संतो और पुजारियों को मंदिर के द्वार की दिशा बदलने की बात कहकर अगले दिन के सुबह तक का वक्‍त देकर वहां से चला गया था।

इस घटना के बाद वहां के पुजारियों ने सूर्य देवता से प्रार्थना और मिन्नतें किया । अगले दिन सुबह जब पूजा के लिए पुजारी मंदिर पहुंचे तो उन्‍होंने देखा कि मंदिर का प्रवेश द्वार दूसरे दिशा में बदल चुका था । वह पूर्व से पश्चिम दिशा में हो चुका था। उसी समय से देव स्थित सूर्य देव मंदिर का प्रवेश द्वार पश्चिम दिशा में है।

सूर्य मंदिर तलाब का विशेष महत्त्व है

सनातन जनश्रुतियों के अनुसार सतयुग में इक्ष्‍वाकु के पुत्र राजा ऐल बीमार थें । उन्हे कुष्‍ठ रोग हुआ था । राजा ऐल शिकार खेलने जंगल में गए थे। उन्‍हें शिकार खेलने के क्रम में तेज प्‍यास और गर्मी लगने लगी । राजा ने इसी तलाब के पानी से प्यास बुझाया और स्नान किया । भारतीय जनश्रुतियों के अनुसार इस तालाब में स्नान करने के बाद राजा का कुष्‍ठ रोग पूरी तरह से ठीक हो गया।

राजा इस चमत्कार से काफी हैरान हो गए । रात को नींद में सोने पर श्री सूर्य देव ने सपने में दर्शन दिए और कहा कि वह उसी तालाब में विराजमान हैं जिस तलाब में स्नान से उनका कुष्‍ठ रोग ठीक हुआ है।

इसके घटना के बाद राजा ने उसी स्‍थान पर भव्य सूर्य मंदिर का निर्माण करवाना प्रारंभ किया ।  लोग बतातें है कि उस तालाब से भगवान ब्रह्मा, विष्‍णु तथा महेश की मूर्तियां भी मिली, और उन मूर्तियों का स्थापना राजा ने मंदिर मे करवा दिया।

मन्दिर की प्राचीनता जानकर ,लोग दांतो तले उंगलियां दबा लेते हैं

dev surya mandir

भारतीय धर्मग्रंथों के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ने स्वयं अपने हाथों से मंदिर का निर्माण किया है । सूर्य मंदिर के बाहर लगा एक शिलालेख इसके प्राचीनता के बारे में बताता है । शिलालेख के अनुसार , इला पुत्र ऐल ने 12 लाख 16 हजार वर्ष पहले त्रेता युग के बीत जाने के बाद देव स्थित सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया था ।

शिलालेख के आधार पर शोधकर्ता और इतिहासकार इस पौराणिक मंदिर का निर्माण काल एक लाख पचास हजार वर्ष से ज्यादा बताते है ।

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