Friday, July 26, 2024
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400 वर्षों तक राज करने वाले रोहतास राज परिवार के राजा प्रताप धवल ! ताराचण्डी , तुतला व तिलौथू में मिले शिलालेख | Raja Pratap Dhaval

रोहतास के खरवार राजा प्रताप धवल ने अकेले 21 सालों तक शासन किया और झारखंड का जपला इसी प्रतापी राजा महानृपति जपिल प्रताप धवल के नाम से मशहूर हुआ । मां तुतला भवानी,मां ताराचण्डी धाम और तिलौथू में राजा प्रताप धवल के शिलालेख मिले हैं

रोहतास के खरवार राजवंश का दबदबा मध्यकाल में काफी प्रसिद्ध रहा है। 12 वीं शताब्दी से लेकर 16 वीं शताब्दी यानि चार सौ वर्ष तक तक खरवार राजवंश ने उत्तर प्रदेश तथा बिहार झारखंड के एक बड़े भूभाग पर अपना राज्य स्थापित किया । खरवार राजवंश की प्रसिद्धि अंग्रेजी काल में भी बनी रही। इस राजवंश की शाखाएं पलामू के सोनपुरा से लेकर रामगढ़ तक फैली हुई हैं, जहां उनके वंशज मौजूद हैं ।

महाप्रतापी राजा प्रताप धवल

Rohtas Fort
Rohtas Fort | Pc : gargi manish

इस राजवंश में प्रताप धवल देव ऐसे देदीप्यमान नक्षत्र की भांति उदीयमान हुए कि इनकी कीर्ति देश भर में फैल गई। प्रताप धवल देव द्वारा जिले के विभिन्न स्थानों पर कई लिखवाए गए शिलालेखों से इसकी पुष्टि होती है कि कन्नौज के गहड़वाल शासनकाल में राजा प्रताप धवल पहले नायक हुए और बाद में महानायक की पदवी भी इन्होंने धारण किया ।

21 वर्षों तक राज किया महानृपति जपिल प्रताप धवल ने

महानृपति जपिल प्रताप धवल (1162 ई.) ने अकेले 21 सालों तक शासन किया और झारखंड का जपला इसी प्रतापी राजा जपिल के नाम से मशहूर हुआ ।

Rohtas Fort Bihar, India
Rohtas Fort Bihar, India | Pc : gargi manish

आपको बताते चलें कि राजा प्रताप धवल के वंशज पूर्व में झारखंड के इसी जपला नामक जगह के मूल निवासी थें, और ये लोग बाद में रोहतास आए । राजा प्रताप धवल के पुत्र ने सासाराम के पास मिले एक ताम्रपत्र में इसका उल्लेख किया है ।

रोहतास गढ़ किला से राज करते थे राजा प्रताप धवल

Rohtas Fort - HATHIYA POL
Rohtas Fort – HATHIYA POL | Pc : gargi manish

पौराणिक कथाओं में रोहतास गढ़ किला को राजा हरिश्चन्द्र द्वारा निर्मित बताया जाता है । लेकिन ऐतिहासिक प्रमाणों के आधार पर बात करें तो यह किला खरवारों और कुशवाहा समुदाय का गढ़ रहा है । उसके बाद शेरशाह , अकबर का सूबेदार राजा मान सिंह, अंग्रेज और नक्सलियों ने भी इस पर राज किया है ।

Rohtas Fort | AINA - E - MAHAL
Rohtas Fort | AINA – E – MAHAL | Pc : gargi manish

सबसे ज्यादा यह किला खरवारों के निकट रहा है और लगभग 400 – 500 वर्षों तक इन्होंने इस पर राज किया है । राजा प्रताप धवल भी इसी रोहतास गढ़ किला से राज किया करते थें ।

रोहतास किला के गर्भ में छिपा है भगवान हरिश्चंद्र से रोहतास सरकार तक का स्वर्णिम इतिहास : Click Here To Read

खरवार समुदाय अपनी उत्पत्ति रोहतास से ही मानता है और फ़रवरी के महीने में देश भर के खरवार रोहतास गढ़ किला पर जुटते है । सांस्कृतिक कार्यक्रम, नाच , संगीत , पूजा पाठ करते हैं ।

राजा प्रताप धवल के कई शिलालेख ज़मींदोज़

सासाराम के आस पास के इलाकों में राजा प्रताप धवल के कई शिलालेख मिले हैं । मां तुतला भवानी में इनका पहला शिलालेख प्राप्त हुआ था । इसको मां तुतला शिलालेख और तुतराही शिलालेख भी कहते हैं। इसके आलावा मां ताराचण्डी धाम और तिलौथू के फुलवरिया में भी राजा प्रताप धवल के शिलालेख मिले हैं ।

अर्ध पठित है तुतला भवानी में प्रताप धवल का पहला शिलालेख

मां तुतला भवानी मंदिर में राजा प्रताप धवल का शिलालेख
मां तुतला भवानी मंदिर में राजा प्रताप धवल का शिलालेख | Pc : Varun Ji

मां तुतला भवानी मंदिर में मिले राजा प्रताप धवल के शिलालेख के कई अंशों को अंग्रेजी काल में पढ़ा गया था । हालांकि यहां के संपूर्ण शिलालेख अभी तक अपठित हैं, जिसके कारण हैं इनका मंदिर में दब जाना।

तिलौथू में राजा प्रताप धवल का दूसरा शिलालेख

प्रताप धवल देव का दूसरा शिलालेख मिला है ,तिलौथू प्रखंड के फुलवरिया में। इसकी खोज प्रोफेसर किल्हार्न ने की थी, कितु सुनिश्चित स्थान न बता पाने के चलते इसे गुम मान लिया गया था। फुलवरिया शिलालेख की खोज 2010 में दोबारा सासाराम के इतिहासकार व शोध अन्वेषक डा. श्याम सुंदर तिवारी ने किया था और इसे पढ़ा था।

मां ताराचण्डी धाम में राजा प्रताप धवल का शिलालेख

मां ताराचण्डी धाम में राजा प्रताप धवल का शिलालेख
मां ताराचण्डी धाम में राजा प्रताप धवल का शिलालेख

मां ताराचण्डी मंदिर के गर्भ गृह से ठीक सटे राजा प्रताप धवल का शिलालेख मौजूद है । इसे अंग्रेजी इतिहासकार फ्रांसिस बुकानन ने खोजा था । इस शिलालेख का बड़ा हिस्सा पढ़ा जा चुका है । यह शिलालेख मां ताराचण्डी धाम के प्राचीनता को भी प्रमाणित करता है । राजा प्रताप धवल आदिशक्ति देवी के बहुत बड़े भक्त थें । इन्होंने कई मन्दिरों में अपने शिलालेख लगवाए थें ।

राजा प्रताप धवल के पिता , दादा, परदादा और वंश

Rohtas Fort - CARVINGS INSIDE THE FORT
Rohtas Fort – CARVINGS INSIDE THE FORT | Pc : gargi manish

राजा साहस धवल के ताम्रपत्र से यह स्पष्ट होता है कि इस वंश के सबसे प्रथम राजा खादिर पाल हुए । उनके बाद उनके पुत्र साधव हुए, साधव के पुत्र रण धवल और उनके पुत्र प्रताप धवल देव हुए ।

राजा प्रताप धवल का पुत्र था राजा साहस धवल

राजा प्रताप धवल के पुत्र का नाम साहस धवल था । 12वीं सदी में राजा साहस धवल देव हुए थें । ये सर्वप्रसिद्ध राजा प्रताप धवल देव के तीसरे पुत्र थें । सासाराम के शिवसागर थाना अंतर्गत आदमपुर में एक मकान के नींव खुदाई के दौरान इनके ताम्रपत्र मिले थे ।

राजा साहस धवल का ताम्रपत्र जो सासाराम के अदमापुर गाँव में मिला था । अब यह पटना संग्राहालय में रखा हुआ है
राजा साहस धवल का ताम्रपत्र जो सासाराम के अदमापुर गाँव में मिला था । अब यह पटना संग्राहालय में रखा हुआ है

बड़ी मशक्कत के बाद इतिहासकारों को इस ताम्रपत्र को पढ़ पाने में सफलता प्राप्त हुई है । यह ताम्रपत्र एक दान पत्र है जो एक मंदिर को दिया गया है। मंदिर अम्बडा ग्राम में था जिसका वर्तमान नाम अदमापुर हो गया है। राजा साहस धवल का ताम्रपत्र लेख विक्रमी संवत 1241 का है ।

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