अगर आप स्वाद और व्यंजनों के शौकीन हैं तो यह खबर आपही के लिए है । सासाराम में आज से शहर का पहला फूड कैफे आज से आम नागरिकों के लिए खुल गया है । इस फूड कैफे (Food Cafe) नाम Aura- Deliciously Different है ।
Table of Contents
कहां पर है Aura- Deliciously Different Food Cafe ?

शहर के धर्मशाला रोड में नवनिर्मित VL Square नाम के मार्केट कांप्लेक्स के अंदर है “औरा फास्ट फूड कैफे” (Aura Deliciously Different) ।
शहर का पहला फूड कैफे

आपको बताते चलें कि , शहर में कई रेस्टुरेंट पहले से हैं लेकिन फास्ट फूड के लिए डेडीकेटेड कैफे नहीं है । यह अपने तरह का सासाराम का पहला फ़ास्ट फूड कैफे होगा ।
क्या क्या मिलेगा ?

कैफे मालिक बताते हैं कि, यहां पर विदेशी और देशी दोनों तरह के फास्ट फूड उपलब्ध रहेंगे । पिज्जा, बर्गर, हॉट डॉग सहित कई अन्य आईटम्स उपलब्ध रहेंगे ।
बिरयानी का छोटा भाई राइस बॉल आया है
बिरयानी से मिलता जुलता लेकिन उससे थोड़ा अलग डिश राइस बॉल लोगों को खूब लुभा रहा है । कैफे मालिक बताते हैं की यह स्पेशल आइटम है ।
मंचूरियन और चाइनीज़ भी रेस में
ड्राई मंचूरियन और ग्रेभी मंचूरियन भी कम स्पाइसी नहीं है । इसके अलावे भी कई चाइनीज़ आईटम्स स्वाद प्रेमियों की पहली पसंद बन रहें हैं ।
ऑनलाइन डिलेवरी

कैफे मालिक बताते हैं कि, ऑनलाइन डिलेवरी की भी सुविधा उपलब्ध है । फिलहाल वॉट्सएप नंबर 977 1639 626 के माध्यम से डिलेवरी सर्विस मुहैया करवाई जा रही है । लेकिन जल्द ही स्विगी और अन्य स्टैंडर्ड फूड डिलीवरी एप्स से ऑनलाइन डिलेवरी की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी ।
स्टैंडर्ड और साफ सफाई है प्राथमिकता

कैफे मालिक का कहना है कि साफ सफाई और स्टैंडर्ड उनकी पहली प्राथमिकता है । इसके लिए किचेन के अंदर विशेष व्यवस्था की गई है ।
वेज नॉन वेज दोनों उपलब्ध

यहां पर दोनों तरह के आइटम मिलेंगे । वेज और नॉन वेज आईटम मेन्यू के अंदर दर्ज है । मेन्यू देख कर आईटम मंगाया जा सकता है।
शहर का बाज़ार बढ़ रहा है
पत्थर उद्योग के बंद होने के बाद शहर के बाज़ार को भारी नुकसान हुआ था । बाजारों के फैलने की रफ्तार धीमी हो गई थी । जब पत्थर उद्योग चल रहा था तो सासाराम के बाजारों का विकास अपने पीक पर था । शोरूम पर शोरूम खुल रहे थें । इससे खोलने वाले मालिकों को तो फायदा हो ही रहा था , साथ में उन शोरूम में काम करने वाले गरीबों को भी रोजगार मिल रहा था ।
लेकिन एक बार फिर इस तरह के स्टैंडर्ड प्रतिष्ठानों के खुलने से शहर के बाज़ार को रफ्तार मिलेगा । कई अन्य प्रतिष्ठान भी खुलेंगे , शहर का स्टैंडर्ड बढ़ेगा और विकास भी होगा ।
शहर के विकास में बाजारों का रोल
दिल्ली , बैंगलोर, मुंबई कहीं भी जाइएगा और अगर वहां के मैन्युफैक्चरिंग कम्पनियों को एक तरफ छोड़ कर बात करें तो , उन शहरों के बज़ार और प्रतिष्ठान ही उस शहर को बड़ा या आकर्षक बनाते हैं । शादियों और अन्य मौकों पर लोग बड़े शहरों में शॉपिंग के लिए रुख करते हैं । उन शहरों के बजारें और दुकानें ही लोगों को आकर्षित करते हैं ।
उदाहरण के रूप में दिल्ली का कैनाट पैलेस या बंगलुरू का एमजी रोड को ही देख लीजिए, इन जगहों पर एक से बढ़ कर एक स्टैंडर्ड शोरूम और दुकानें हैं । देश भर से लोग यहां पर घूमने और खरीदारी के लिए जाते हैं । जो बैंगलोर जाए और वहां का एमजी रोड नहीं घूमे, तो समझिए उसने बैंगलोर को देखा ही नहीं । यही स्थिति दिल्ली के कैनोट पैलेस के साथ भी पैदा होती है ।
लोकल में पटना , बनारस या रांची को भी इस रूप में देख सकते हैं । शादियों में बड़ी संख्या में छोटे शहरों से लोग शॉपिंग करने इन शहरों में जाते हैं । क्यूंकि वहां पर बड़ी बड़ी दुकाने हैं, कई तरह स्टैंडर्ड आईटम्स और ब्रांड मिलते हैं ।क्या वैसे ब्रांड सासाराम में मिलने लगेगा तो लोग शॉपिंग करने दूसरे शहरों में जाएंगे ? क्या पटना के लोग शॉपिंग करने बनारस जाते हैं ? नहीं !!
पटना के लोग दिल्ली जा सकते हैं , क्यूंकि वह उससे बड़ा शहर है। जो पटना नहीं मिलेगा वो दिल्ली मिलेगा । लेकिन पटना वाले डेहरी या सासाराम क्यूं आएंगे ?