Friday, July 26, 2024
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पत्थर उद्योग सासाराम ,रोजगार का भंडार | Stone Industry Sasaram

बिहार झारखंड के बंटवारे के बाद एक तरफ जहां पूरा बिहार कंगाली के चरमुहाने पर खड़ा था,तब सासाराम अपने पैरों पर खड़ा होने की तैयारी कर रहा था । सासाराम का तरक्की का रफ्तार दुगना तिगुना हो चुका था , बाज़ार में ब्रांड्स आना शुरू होने लगे थे, सबसे ज्यादा छोटे बड़े शोरूम भी इसी समय खुले थे ।

सासाराम का लाईफ लाइन कहा जाने वाला पत्थर उद्योग कभी बिहार , पूर्वांचल तथा झारखंड तक को डायरेक्ट या इंडायेक्ट रूप से रोजगार तथा सस्ते माल मुहैया करवाता था ।

उत्तर प्रदेश, बिहार ,झारखंड में भी सासाराम का सिक्का चलता था

आपको बताते चलें कि, पत्थर उद्योग सासाराम से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और सीमावर्ती पश्चिम बंगाल तक ट्रकों में भर भर कर गिट्टी जाया करता था ।

गिट्टी लदा हाईवा ट्रक
गिट्टी लदा हाईवा ट्रक | Stone Industry Sasaram

सासाराम और पास के इलाकों में गिट्टी बहुत सस्ता भी हुआ करता था । जो लोग घर बनवा रहें है वो जानते ही होंगे गिट्टी का भाव , तब और अब में कितना अंतर आ गया है ।

सबका साथ , सबका विकास

पत्थर उद्योग
पत्थर उद्योग

इस उद्योग की खासियत थी कि, यह सबको अपना लेता था। छोटे पूंजी वालों से बड़े पूंजी वालों तक सबको फायदा देता था । कोई भी इसमें पैसा लगाकर लॉस में नहीं डूबता था ।

ट्रक | pc : truck Lovers
ट्रक | pc : truck Lovers

ट्रैक्टर वाले से लेकर गिट्टी तोड़ने वाले मजदूर, क्रेशर चालक , ट्रैक्टर मालिक,ट्रैक्टर चालक,पहाड़ मालिक सब के सब इससे खुशहाल थें ।

“फर्श से अर्श” और “अर्श से फर्श” का सफर 

Stone Mines Chandani Chowk,Karwandia,Sasaram
Stone Mines Chandani Chowk,Karwandia,Sasaram

बिहार झारखंड के बंटवारे के बाद एक तरफ जहां पूरा बिहार कंगाली के चरमुहाने पर खड़ा था,तब सासाराम अपने पैरों पर खड़ा होने की तैयारी कर रहा था । सासाराम का तरक्की का रफ्तार दुगना तिगुना हो चुका था , बाज़ार में ब्रांड्स आना शुरू होने लगे थे, सबसे ज्यादा छोटे बड़े शोरूम भी इसी समय खुले थे ।

Stone Mines Bansa,,Sasaram
Stone Mines Bansa,,Sasaram

होटल भी फल फूल रहे थे । सासाराम में सबसे ज्यादा होटल उसी दौर में खुले थें । पत्थर उद्योग के आखिरी दौर में रेस्टुरेंट बिजनेस भी लहलहाने लगा था । शहर के अंदर और शहर के बार डेहरी से लेकर सासाराम हाईवे पर कई रेस्टुरेंट खुलने लगे थें ।

शाम में सासाराम का बाज़ार और चकाचौंध

जब पत्थर उद्योग चरम पर था तब, सासाराम के मुख्य बाजारों कि सड़कों पर शाम के समय में  एक से एक महंगी गाडियां सन – सन दौड़ा करती थी । उन गाड़ियों में से बड़े बड़े बिजनेसमैन निकलते थें । नीचे उतर कर खाने – पीने की दुकानों और कपड़ों की दुकानों पर पानी की तरह पैसे बहते थें ।

Stone Mines Karwandia ,Sasaram
Stone Mines Karwandia ,Sasaram | In Frame : Manish Maurya ( Founder Of : Sasaram Ki Galiyan | pic by : Mr Khwaza

प्रायः पहाड़ से जुड़े बिजनेसमैन अकेले नहीं चलते थें, जब भी चलते थें उनके साथ कम से कम 5-10 मित्र/साथी और स्टाफ जरूर होते थें । दुकानों पर कैसे हजार दो हजार कैसे खत्म हो जाया करता थें, उसकी आप कल्पना नहीं कर सकते हैं ।

क्राइम भी था चरम पर था

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उस दौर में पूरा बिहार अपहरण उद्योग का शरणार्थी बन चुका था । हर तरफ माफिया, गुंडे, बदमाशों का बोल बाला था । नई सरकार के बनने के बाद इस पर कंट्रोल होना शुरू हो गया । ऐसे में जहां पैसे होंगे ,वहां कौन नहीं किस्मत आजमाना चाहेगा । सासाराम में तो दुधारू गाय थी , इसलिए सासाराम में भी बड़े बड़े अपराधी जुट रहे थें ।

क्या पर्यावरण को खतरा था ?

Stone Mines ,Sasaram
Stone Mines ,Sasaram | Pc : Gargi Manish

बेशक प्राकृतिक संसाधनों के ओवर एक्सपोलाइटेशन से पर्यावरण को नुक्सान तो होता ही है । चाहे वह पानी, बालू, गिट्टी, कोयला, सोना, चांदी ,लकड़ी ही क्यूं नहीं हो ।

पर्यावरण के साथ उद्योग बचाने का कोई रास्ता था ?

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जिस तरह से मानव की जरूरतों को पूरा करने के लिए आज भी दुनिया भर में सोना, चांदी , मिनरल का खनन होता है उसी तरीके से अगर सासाराम के पत्थर उद्योग से कंट्रोल्ड यानी “निगरानी के साथ सीमित मात्रा में” खनन होता और

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लाइसेंस देने के समय है वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाने की प्रतिबद्धता सुनिश्चित कर दी जाती तब , पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचता । रोड ऐक्सिडेंट को रोकने के लिए , रोड नहीं बंद किया जा सकता ।

पर्यावरण सुरक्षा के लिए जनसंख्या नियंत्रण जरूरी है

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जिस तरह से देश की जनसंख्या बढ़ रही है, बिना इस पर नियंत्रण किए, प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा, सबका विकास, सबको रोजगार, सबको इलाज , सबको शिक्षा, सबको संसाधनों तक पहुंच होने की बातें करनी ही बेईमानी है ।

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हमारी सरकारें वोट बैंक की लालच में ठोस निर्णय लेने से बचती हैं , जबकि शॉर्टकट तुरंत अपना लेना चाहती हैं । यही कारण है की लाखों, करोड़ो खर्च होने के बाद भी स्थाई बदलाव संभव नहीं हो पाता है ।

नियम कानून और इंप्लीमेंटेशन भी जरूरी

पत्थर उद्योग
पत्थर उद्योग

प्राकृतिक संसाधनों के लिए कड़ा कानून और एक्चुअल इंप्लीमेंटेशन भी जरूरी है । यह नियम सबको ध्यान में रख कर बनाए जाने चाहिए , खनन को कंट्रोल्ड रखना चाहिए ।

सब ख़तम हो गया , पत्थर उद्योग बंद होने से 

Stone Industry Sasaram
अवैध खनन करते लोग | यह तस्वीर 22 अगस्त 2021 का है , और मैंने खुद लिया है

हालांकि, अवैध खनन और पर्यावरण का नुकसान अब भी जारी है , लेकिन इससे शहर का विकास नहीं होता क्यूंकि सिर्फ गिने चुने मुट्ठी भर माफिया ही संलिप्त है इसमें । छोटे और ईमानदार कारोबारीयों के बस में नहीं है इसमें हाथ लगाना ।

पत्थर उद्योग सासाराम
पत्थर उद्योग सासाराम ( अवैध खनन अभी भी हो है ) | तस्वीर : 22-08-2021

पहले नियम से टूटता था पहाड़,अब अंधाधुंध टूटता है । इससे तो उल्टा लॉस ही हुआ समाज,सरकार और पर्यावरण को ।

सासाराम
सासाराम

नोट : यह पोस्ट सासाराम के लोगों पर निर्भर करेगा कि, वो कितना इसको शेयर करते हैं और रोजगार तथा विकास के लिए कितना चिंतित हैं । यह एक रिस्की विषय था,लोग इसपर लिखने पर प्रायः बचते हैं , कई माफिया इस उद्योग को बन्द कराने में सरकार के प्रियतम बने बैठे थें । रशुखदारों द्वारा सरकार पर दबाव बनाकर पहाड़ बंद करवाना उनके निजी बिजनेस के चलने के लिए बेहद जरूरी था ।

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