शहर के बीचों बीच गुजरने वाली जीटी रोड के किनारे स्थित इमारतें रंग बिरंगी रौशनी से जगमगा रही थीं । जिला के इतिहास पर लोग गर्व कर रहे थें । लेकिन जिस इतिहास पर लोग छाती चौड़ी कर रहे थें उस इतिहास को अपने गर्भ में समेटे हुए विभिन्न इमारतें अंधकार में वीरान पड़े हुए थें ।
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पर्यटन विकास फैशनेबल हॉट टॉपिक
पर्यटन के विकास , समाज सेवा, देशभक्ति के नाम पर न जाने कितने लोग फोटो वीडियो बनाते बनाते खुद का अच्छा खासा बिजनेस बना लिए । ब्लॉगिंग और वीडियोग्राफी से लोग लाखों रुपए महीना कमा रहे हैं जो की अच्छी बात है लेकिन बुरी बात यह है की वो सिर्फ अपना प्रोडक्ट ( फोटो ,वीडियो) बेचने और मार्केटिंग करने तक सीमित हैं ,धरातल पर बदलाव लाने के प्रति उदासीन रवैया है ।
पर्यटन के विकास पर जिले के विभिन्न सराकारी तथा गैर सरकारी प्लेटफार्मो पर सालों भर चर्चाएं होती हैं । चर्चा करने वाले और करवाने वाले चर्चा करने के बाद मेडल, सेटीफिकेट, फोटो सोटो के बाद गहरी नींद में सो जाते हैं मानो ये सब एक रूटीन वर्क की फॉर्मेलिटी हो ।
सासाराम शहर में स्थित शेरशाह मकबरा सालो भर अंधेरा में डूबा रहता है । कभी कभी मुख्य गेट के पास थोड़ी दूरी तक 4- 5 लाइटें जला कर फॉर्मेलिटी निभा दिया जाता है । सासाराम शहर का पहचान शेर शाह सूरी का मकाबरा सिर्फ मकबरा नही है , बल्कि यह इस शहर का दिल है । इसके इर्द गिर्द घनी आबादी रहती है । एक समय में यह मकबरा का तलाब लोगो की प्यास बुझाता था ।
पैसा देने वाले पर्यटकों की किल्लत
देश विदेश से यहां पर्यटक घूमने नहीं आते है । कभी भूले भटके आ जाते हैं तो वह खबर बन जाता है । इस मकबरा को अंग्रेजो ने ताज महल से तुलना किया था । लेकिन आज इसकी हालत ऐसी है की देश विदेश तो छोड़ दीजिए बिहार के लोग भी स्पेशल प्लान बनाकर घूमने नहीं आते हैं । कोई सासाराम में किसी काम से आता है तो घूम लेता है ।
दीपक तले अंधेरा
शेरशाह मकबरा के चारो तरफ की सड़कें शहर के बड़े हिस्से को एक दूसरे से जोड़ती हैं । लश्करिगंज,बांध, कंपनी सराय, करपुरवा, भारतीगंज इत्यादि मुहल्लों के लोग इसे मुख्य मार्ग के रूप में उपयोग करते हैं । इन अंधेरी सड़को पर छीनतई, अपहरण ,सड़क दुर्घटना का अपना इतिहास रहा है । इसके बावजूद इस सड़क पर प्रकाश की व्यवस्ता के लिए स्थानीय नेताओं कोई ठोस पहल नहीं किया है ।
स्थापना दिवस पर छाया रहा अंधेरा
रोहतास का 50 वा स्थापना दिवस समारोह एक सफल कार्यक्रम रहा । इस तरह के कार्यक्रमों का अपना महत्व है । इससे स्थानीय माहौल में बदलाव भी आ रहा है । लेकिन स्थानीय धरोहरों के आस पास प्रकाश और अन्य बेसिक सुविधाओं की व्यवस्था हो जानें पर इस तरह के कार्यक्रमों की सार्थकता और भी बढ़ जाएगी ।
अशोक शिलालेख अतिक्रमण का शिकार
जिले के 50 वर्ष पूरा होने के बाद भी राष्ट्रीय धरोहर बिहार का इकलौता लघु अशोक शिलालेख बंद कमरे में कैद है ।
सुखा रौजा जुआडियों का अड्डा
शेरशाह सूरी के पिता हसन शाह सूरी का मकबरा जुआड़ियों और हिरोंचियों का पसंदीदा हब के रूप में स्थापित हो गया है । पर्यटक तो छोड़िए , नेगेटिविटी के कारण स्थानीय सभ्य व्यक्ति भी यहां जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाता है ।
शेरशाह मकबरा पार्क
यह पार्क पिछले 8-10 वर्षो से ताला चाभी से बंद है । इसके रख रखाव और विकास का फंड कहां जाता है ? क्या होता है इसका भगवान ही मालिक है । स्थानीय विधायक ,सांसद ने कभी इस मुद्दे को लेकर प्रतिक्रिया नहीं दिया है ।
गंदगी
शहर के अधिकांस मुहल्लों में गंदगी का अंबार लगा हुआ है । समय पर उठाव की व्यवस्था नहीं होने के कारण दुर्गंध के साथ बीमारियां भी फैल रही हैं ।
पानी
शहर के मुख्य बाजार वाले हिस्से में गर्मियों में पानी की किल्लत होती है तो बरसात में जल निकासी की समस्या प्रायः सभी मोहल्लों में बना रहता है ।
स्ट्रीट लाइटें भी दगा बाज निकली
पथ निर्माण विभाग द्वारा हाल ही में बनाई गई जीटी रोड और उसपर लगी स्ट्रीट लाइटें बस सोभा की वस्तु बन कर रह गई है । कभी जलती है तो कभी दगाबाजी कर देती हैं । शहर के पूर्वी और पश्चिमी छोरो पर एक साथ अगर ये लाइटें जल जाए तो वह दिन चर्चा का विषय बन जाता है ।
सवाल जिसपर सबको मंथन करने की आवश्यकता है
क्या पर्यटन स्थलों पर बिना साफ सफाई , शौचालय, प्रकाशकी व्यव्स्था किये सिर्फ पर्यटन पर चर्चा , प्रोग्राम करने से पर्यटन का विकास संभव है ?
क्या अतीत के गौरव गान से वर्तमान और भविष्य समृद्ध हो सकता है ?
शहर की समस्याओं के लिए समाजसेवियों और कुछ प्लेटफार्मो के भरोसे बैठे रहने से समाधान निकल जाएगा ? गिने चुने लोग अकेले क्या और कैसे करेंगे ?