Saturday, April 13, 2024
HomeSasaram3. Samay Yatraसासाराम के वीर योद्धा आन बान और शान ,अंग्रेजी तोप से शहीद...

सासाराम के वीर योद्धा आन बान और शान ,अंग्रेजी तोप से शहीद बाबू निशान सिंह

भारत की आजादी अर्जित की गई आजादी है। इसके अर्जन में कई वीरों का योगदान शामिल है। पर, इतिहास ने सबके साथ न्याय नहीं किया है। बहुत से क्रांतिकारियों ने योगदान तो दिया पर उन्हें नाम नहीं मिला। हालांकि, आम लोगों का इतिहास जो सिर्फ़ पुस्तकों तक सीमित नहीं होता, वह सबके साथ न्याय करता है।

वह जानता है कि कर्म करने वाले इतिहास की पुस्तकों में दर्ज होने के मोहताज नहीं होते हैं। वीरता, पराक्रम और अदम्य साहस के हस्ताक्षर बाबू निशान सिंह ऐसे ही क्रांतिकारी थे ,जिन्होंने अपनी व्यक्तिगत क्षमता से अंग्रेजी हुकूमत की जड़ें हिला दी थीं।

यह वह समय था, जब देश में अंग्रेज़ी शासन अपने चरम पर था। प्लासी युद्ध के पश्चात ईस्ट इंडिया कंपनी को पहली बार भारत में राजनीतिक सत्ता प्राप्त हो गई थी। अंग्रेजों के बंगाल विजय के बाद यहां की स्थिति ही बदल गई थी। आज का बिहार उस समय के बंगाल का हिस्सा था।

अंग्रेजों के जुल्म, शोषण और यातना के कारण आम जन में अत्यंत आक्रोश था। यह आक्रोश किसी भी पल चिंगारी में बदल सकता था। अंग्रेज़ यह जानते थे इसलिए वो बड़ी चालाकी से फैसले ले रहे थे। प्रत्यक्ष कार्यवाही के बदले कूटनीतिक और रणनीतिक स्तर पर अधिक सतर्कता बरत रहे थे।


Keerana
**Advertisement

अपनी फूट डालने की नीति से विभिन्न वर्गों के बीच अपने कृत्यों को वैधता प्रदान करने की कोशिश कर रहे थे। परंतु इसका असर अपनी मातृभूमि से असीम प्रेम करने वालों पर हो जाए, यह असंभव था।

सासाराम के बड्डी गांव निवासी थें निशान सिंह !!

बिहार के सासाराम के निवासी बाबू निशान सिंह ऐसे ही सेनानी थे जिन्होंने अपने देश के लिए अपनी आहुति तक दे दी। बाबू निशांत सिंह का जन्म उस समय के शाहाबाद और वर्तमान के रोहतास जिले के सासाराम के बड्डी गांव में हुआ था।

वीर कुंवर सिंह के दाहिने हाथ तथा वर्ष 1857 में आजादी की पहली लड़ाई के समय उनके सैन्य संचालन के सेनापति बाबू निशान सिंह ने बिना किसी भय और चिंता के अंग्रेजों से लोहा लिया।


ब्रिटिश सरकार को नानी याद आई !!

वीर कुंवर सिंह के साथ मिलकर आरा संघर्ष और आजमगढ़ युद्ध में ब्रिटिश सरकार को धूल चटाई। 1857 में जब भारतीय सेना ने दानापुर में विद्रोह किया था, तब निशान सिंह ने विद्रोही सेना का सहयोग किया और उनका खुलकर साथ दिया था।


banner


इसके बाद, उन्होंने अन्य क्रांतिकारियों के साथ मिल कर आरा के सरकारी प्रतिष्ठानों को अपने कब्जे में ले लिया। यह प्रत्यक्ष रूप से अंग्रेज़ो के विरुद्ध विद्रोह का आगाज और भारत की स्वतंत्रता का शंखनाद था।


गिरफ्तार हुए सासाराम के लाल !!

अंग्रेजों ने निशान सिंह को गिरफ्तार करने के लिए अपनी सेना को आरा भेजा लेकिन निशान सिंह कानपुर के लिए निकल चुके थे। कानपुर में वह अवध के नवाब से मिले। नवाब ने निशान सिंह की वीरता को देखते हुए उन्हें आजमगढ़ का प्रभारी नियुक्त कर दिया। कार्य भार संभालने के लिए निशान सिंह जब आजमगढ़ वापस आ रहे थे तो अंग्रेजों से उनका रक्तरंजित मुठभेड़ हुआ।


Ranjan Physics Classes Sasaram
**Advertisement

बाबू कुंवर सिंह के मौत के बाद निशान सिंह का बाहुबल और उनकी अवस्था अब पहले की तरह नहीं रही, जिससे वह अंग्रेजों के साथ सक्रिय संघर्ष कर सकें। जब निशान सिंह अपने घर लौटे तो उनके रिश्तेदार प्रसन्न नहीं थे। उन्हें लगता था, निशान सिंह की उपस्थिति उनके जीवन और ज़मीन जायदाद के लिए संकट पैदा कर सकती थी तथा निशान सिंह की मृत्यु के उपरांत उनके रिश्तेदारों को दमन का सामना करना पड़ेगा।


PicsArt 09 01 11.52.50 min
**Advertisement

संबंधी संकट में न पड़ें, इसलिए वह गांव के समीप डुमर्खार के जंगल की गुफा में रहने लगे। गुफाओं में पालकी से जाते समय 5 जून 1858 को माल विभाग के डिप्टी अधीक्षक कैप्टन जी. नोलन ने एक हज़ार सैनिकों की टुकड़ी भेजकर निशान सिंह को पकड़ लिया।


गौरक्षणी मुहल्ले में तोप से उड़ा कर शहीद कर दिए गए !!

vlcsnap 2016 12 18 16h20m34s163 min compress0
Painting For Representation

6 जून 1858 को बिना कोई अपराध साबित किए साजिश के तहत उनपर मुकदमा चलाया गया। मुख पर बिना किसी चिंता और मृत्यु से निर्भीक निशान सिंह ने अदालत में अपना बयान दिया। पर अंग्रेज़ कहाँ न्याय की भाषा समझते थे । उन्हें 7 जून की सुबह सासाराम के गौरक्षणी मुहल्ले में जंगलों के बीच तोप के मुंह पर बांधकर गोली से उड़ा दिया गया।

इस तरह अपनी मातृभूमि से लड़ते हुए बिहार के एक छोटे से गांव के निशान सिंह खुशी खुशी देश के नाम शहीद हो गए। सासाराम के आम जनों में वह आज भी रचे-बसे हैं। निशान सिंह शहीद हो कर भी अपनी निशानी छोड़ गए हैं।

आलेख : स्नेहा कुमारी
एमएसडबल्यू, महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय,
वर्धा-44200, महाराष्ट्र

All Copyrights Reserved For www.SasaramKiGaliyan.Com

Subscribe to our newsletter

To be updated with all the latest news, offers and special announcements.

Sasaram Ki Galiyan
Sasaram Ki Galiyanhttps://www.sasaramkigaliyan.com
Sasaram Ki Galiyan is a Sasaram dedicated Digital Media Portal which brings you the latest updates from across Sasaram,Bihar and India.
- Advertisment -spot_img

Most Popular

error: Content is protected !!