Thursday, March 28, 2024
HomeSasaram4. Mitti Ki Khushbooठेकुआ है बिहारी मां का प्यार !! खास मिठास और सोन्हापन इसको...

ठेकुआ है बिहारी मां का प्यार !! खास मिठास और सोन्हापन इसको विश्व में यूनिक बनाता है

बिहार का ठेकुआ विश्वभर में प्रसिद्ध है । ऐसी पकवान दुनिया में कहीं नहीं बनाई जाति है । ग्लोबलाइजेशन के दौर में बिहार के लोग भी देश से निकल कर दुनिया भर में गए, अपने साथ बिहारी संस्कृति की खुशबू भी साथ ले गए । ठेकुआ बिहार से निकल कर ,अब यूरोप के देशों में पहुंच चुका है ।

गेंहू के आटे ,चीनी और घी से निर्मित ठेकुआ का हमारे भोजन परम्परा में विशिष्ट स्थान है। बिहार के लोकप्रिय पर्व छठ में तो यह मुख्य प्रसाद ही होता है। यह हमारे तीज त्यौहार का भी मुख्य पकवान होता है। ठेकुआ को कुछ लोग खजूर भी कहते हैं । जबकि बिहार के कुछ हिस्सों में इसे खजूरी कहने का भी प्रचलन है ।

मुंह में पानी आ जाएगा !!

गेंहू के आटे को चीनी या गुड़ के साथ सान कर, घी या वनस्पति तेल में तल कर इसे बनाया जाता है। इसमें मेवे और ड्राई फ्रूट्स भी डालने का रिवाज है । सूखे नारियल के छोटे छोटे टुकड़े काट इसमें मिलाए जाते हैं। किशमिश भी स्वाद बढ़ा देता है। इलायची या सौंफ भी डाल इसके स्वाद को एक नया फ्लेवर देने का प्रयास भी होता है।

ठेकुआ बनाने की विधि !!

thekuamaker e1601799354642
साँचा

ठेकुआ को बेला नहीं जाता है वरन लकड़ी के साँचा पर ठोका जाता है। सांचे में सुंदर आकृतियां बनी होती हैं तो, ठेकुआ में भी हम उन आकृतियों के छाप देख सकते हैं।

यूं ही नहीं है ठेकुआ खास !!

इसे एक बार बना कर आप दस पंद्रह दिनों तक संरक्षित रख सकते हैं। तो बाहर जाने वाले लोगों यानी यात्रा हेतु यह एक सहूलियत का भोज्य पदार्थ है। यात्रा में ठेकुआ निकालिए और अचार या सब्जी के साथ चट कर जाइये । तीर्थ हेतु भी यह सुविधाजनक खाद्य पदार्थ है।

बिहारी संस्कृति में बेटियों के लिए मां का प्यार है ठेकुआ !!

बिहार में बेटियों को शादी के बाद दउरा भेजने का रिवाज है । इस दउरा में तमाम तरह के खाद्य पदार्थ होते हैं । इस दउरा में बतासा, खाझा ,खजुली, बेलग्रामी, गाजा ,मोतीचूर इत्यादि के साथ ठेकुआ जरूर शामिल रहता है ।

आपको बताते चलें कि दउरा एक खास तरह का सजाया हुए टोकरी अर्थात डाली होता है । लोकल भाषा में विशेष अवसर पर सजे हुए इस टोकरी को दउरा बोला जाता है ।

छठ महापर्व से रिश्ता पुराना है !!

छठ पर्व का यह विशिष्ट पकवान है । इसके बिना छठ पर्व की कल्पना शायद हमलोग नहीं कर पाएं ? केला ,ठेकुआ तो पर्याय है छठ पर्व का । और कुछ हो या न हो इसे तो होना ही चाहिए ।

IMG 20200918 WA0010 compress44 1

परणा के दिन क्या बूढ़े ,क्या बच्चे सभी ठेकुआ पर टूटे हुए मिलते हैं । उसदिन तो यही लगभग भोजन का अंग होता है ।ठेकुआ चीनी के अलावा गुड़ का भी बनता है।

अपनी अपनी रुचि है। जो मन हो बनाइये। इसे खाने हेतु छुरी कांटे की जरूरत नहीं पड़ती। दांत से तोड़ खाइये । पर कुछ ठेकुआ कड़े होते हैं तो उससे दांत भी टूटने का डर रहता है।

Keerana
**Advertisement

तो संभल कर खाईए। मुलायम ठेकुआ के लिए घी का मोइन या मइजन दीजिये । देखिये फिर खा के ,लगेगा स्वाद का सागर जिह्वा पर हिलोरे मार रहा है ।

ठेकुआ और कला !!

ठेकुआ तलना भी एक कला है । कुछ लोग कड़ा तलते हैं । झुर तलते हैं। डार्क रंग आ जाता है। तब इसका स्वाद और भी अलग होता है। आप अपने घर में ठेकुआ बनवाने की कोशिश जरूर कीजियेगा। खाइयेगा तो बोलियेगा गजब का है यह पकवान !

Subscribe to our newsletter

To be updated with all the latest news, offers and special announcements.

Sasaram Ki Galiyan
Sasaram Ki Galiyanhttps://www.sasaramkigaliyan.com
Sasaram Ki Galiyan is a Sasaram dedicated Digital Media Portal which brings you the latest updates from across Sasaram,Bihar and India.
- Advertisment -spot_img

Most Popular

error: Content is protected !!